उत्तराखंड में एकबार फिर ठेकेदारों पर मेहरबान हुई सरकार, इस खबर में पढ़ें
उत्तराखंड एक बार फिर ठेकेदारों पर सरकार मेहरबान हुई है। विभागों के जरिये होने वाले छोटे लघु और बड़े कार्यो में खर्च होने वाली धनराशि में इजाफा किया गया है।
By Edited By: Published: Sun, 22 Sep 2019 03:01 AM (IST)Updated: Sun, 22 Sep 2019 05:58 PM (IST)
देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। प्रदेश में एक बार फिर ठेकेदारों पर सरकार मेहरबान हुई है। विभागों के जरिये होने वाले छोटे, लघु और बड़े कार्यों में खर्च होने वाली धनराशि में इजाफा किया गया है। खर्च सीमा को छोटे कार्य (पेटी वर्क्स) के लिए 1.50 लाख से बढ़ाकर पांच लाख किया गया है। इसी तरह लघु कार्य (माइनर वर्क्स) की खर्च या लागत सीमा पांच लाख से बढ़ाकर 20 लाख तक की गई है।
उत्तराखंड में सरकार किसी भी दल की रहे, ठेकेदारों को राहत देने में सभी बढ़-चढ़कर फैसले लेती रही हैं। पिछली कांग्रेस सरकार ने तो प्रोक्योरमेंट नियमावली के सख्त प्रावधानों में ढील देकर ठेकेदारों को सुकून देने की पुरी कोशिश की थी। अब भाजपा सरकार भी प्रोक्योरमेंट नियमों में ठेकेदारों के लिए कई रियायतें दे चुकी है। इस कड़ी में अब बड़ा कदम छोटे ठेकेदारों को राहत पहुंचाने के लिए उठाया गया है। इन ठेकेदारों पर महकमों के साथ ही सरकार की मेहर गाहे-बगाहे बरसती रहती है। अब सरकार ने छोटे से लेकर वृहत कार्यों की लागत सीमा में बड़ी वृद्धि की है।
इस संबंध में वित्त सचिव अमित नेगी ने सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों, प्रभारी सचिवों के साथ ही समस्त विभागाध्यक्षों और कार्यालयाध्यक्षों को आदेश जारी किए हैं। आदेश के मुताबिक इमारती सामान, मजदूरी, निर्माण सामग्री समेत तमाम स्तरों पर मूल्यों में हुई वृद्धि के मद्देनजर छोटे कार्य, लघु कार्य और वृहत कार्य की मौजूदा सीमा बढ़ाई गई है। छोटे कार्य यानी पेटी वर्क्स की सीमा पहले डेढ़ लाख तय थी। इसमें अब साढ़े तीन लाख का इजाफा किया गया है। वहीं लघु कार्य की लागत सीमा में भी 15 लाख की बढोतरी हुई है। वृहत कार्य (मेजर वर्क्स) की लागत सीमा 20 लाख से ज्यादा रखी गई है।
वित्त सचिव ने यह भी स्पष्ट किया है कि पांच लाख से ज्यादा और 20 लाख तक लागत के लघु कार्यों को शासन से नामित कार्यदायी संस्थाओं के माध्यम से कराया जाएगा। अलबत्ता पांच लाख तक लागत सीमा के छोटे कार्य विभागाध्यक्ष या कार्यालयाध्यक्ष के स्तर से कराए जाएंगे। वृहद निर्माण कार्य के इस्टीमेट प्रोक्योरमेंट नियमों के तहत सक्षम स्तर की स्वीकृति के लिए भेजे जाएंगे। सरकार के इस कदम से विभिन्न विभागों, नगर निकायों, त्रिस्तरीय पंचायतों में काम करने वाले ठेकेदारों को अब ज्यादा निर्माण या अन्य कार्य मिल सकेंगे।
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