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दस साल से पहचान छुपाकर रह रही थी मासूम, ऐसे खुला मामला

मारपीट से तंग आकर एक मासूम गाजियाबाद से भाग कर ऋषिकेश पहुंच गई। पिछले दस सालों से मासूम यहां अपनी पहचान छुपाकर रह रही थी।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 29 May 2019 04:35 PM (IST)Updated: Wed, 29 May 2019 04:35 PM (IST)
दस साल से पहचान छुपाकर रह रही थी मासूम, ऐसे खुला मामला
दस साल से पहचान छुपाकर रह रही थी मासूम, ऐसे खुला मामला

ऋषिकेश, जेएनएन। परिजनों की मारपीट से तंग आकर एक मासूम गाजियाबाद से भाग कर ऋषिकेश पहुंच गई। पिछले दस सालों से मासूम यहां अपनी पहचान छुपाकर रह रही थी। मामला तब प्रकाश में आया, जब अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई और उसे संभालने वाला कोई नहीं मिला। किशोरी को एक सामाजिक कार्यकर्ता ने राजकीय चिकित्सालय में भर्ती कराया है। जहां चिकित्सक उसके उपचार में जुटे हैं। 

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दरअसल, मंगलवार को रामझूला पुल पर मछली का खाना बेचने वाली एक किशोरी की अचानक तबीयत बिगड़ गई। सीने में तेज दर्द के चलते किशोरी बुरी तरह से कराह रही थी, मगर उसे संभालने वाला कोई नहीं था। यहां से गुजर रहे पर्यटक भी उसे नजरअंदाज करते हुए बढ़ रहे थे। इसी बीच सामाजिक कार्यकर्ता दीपक बेंजवाल वहां से गुजर रहे थे। उन्होंने किशोरी को दर्द से छटपटाते हुए देखा तो उससे वजह पूछी। 

किशोरी ने बताया कि उसका यहां कोई परिचित नहीं है और उसे सीने में तेज दर्द हो रहा है। दीपक बेंजवाल ने किशोरी को राजकीय चिकित्सालय ऋषिकेश पहुंचाया। यहां जब किशोरी ने अपनी कहानी बयां की तो सभी के होश उड़ गए। पंद्रह वर्षीय किशोरी ने अपना नाम मनीषा ठाकुर बताया। उसने बताया कि वह आज से दस वर्ष पहले करीब पांच वर्ष की उम्र से गाजियाबाद अपने घर से भागकर यहां आ गई थी और तब से किसी तरह यहां मांगकर और मछली के लिए आटे की गोलियां बेचकर अपना गुजर-बसर कर रही है। 

वजह पूछी तो किशोरी ने बताया कि वह तीन बहनें और एक भाई थे। माता-पिता गाजियाबाद में सब्जी की ठेली लगाते हैं। माता-पिता ने उसकी एक बहन को जलाकर मार डाला और दूसरी का गला घोंटकर उसे भी मार डाला। आंखों के सामने दो बहनों की हत्या देखने के बाद वो भी भयभीत हो गई और घर छोड़कर यहां भाग आई। इसके बाद उसके माता-पिता ने भी उसकी तलाश नहीं की और ना ही वह वापस गाजियाबाद गई। राजकीय चिकित्सालय के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एसके पंत ने बताया कि किशोरी की कहानी कितनी सही है यह जांच का विषय है। मगर, फिलहाल उसकी हालत में सुधार है। उन्होंने बताया कि प्रशासन या किसी सामाजिक संस्था को इसका संज्ञान लेना चाहिए। 

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