लोकतंत्र की पहली सीढ़ी चढ़ने को सबसे बड़ी बाधा पार
- पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लाक स्थितभादसी गांव की मुन्नी भंडारी ने प्रथम श्रेणी में पास की दसव
- पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लाक स्थितभादसी गांव की मुन्नी भंडारी ने प्रथम श्रेणी में पास की दसवीं की परीक्षा
- संघर्षशील महिला के रूप में पहचान रखने वाली भादसी निवासी 45-वर्षीय मुन्नी भंडारी बन चुकी हैं नानी
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हरीश तिवारी, ऋषिकेश
इन्सान अगर कुछ करने की ठान ले तो कितनी भी बड़ी बाधा आसानी से पार हो जाती है। इसकी बानगी पेश की है पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लाक स्थित ग्राम भादसी निवासी 45-वर्षीय मुन्नी भंडारी ने। वह क्षेत्र में एक जुझारू महिला के रूप में पहचान रखती हैं और लोकतंत्र की पहली सीढ़ी ग्राम पंचायत की कमान संभालकर आमजन की आवाज बनना चाहती हैं। लेकिन, अब तक दसवीं पास न होना इसमें आड़े आ रहा था। सो, उन्होंने राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय संस्थान (एनआइओएस) में प्रवेश लिया और इस वर्ष दसवीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास कर दिखाई। मुन्नी दो बच्चों की मां ही नहीं, बल्कि नानी भी हैं।
ग्राम पंचायत भादसी यमकेश्वर ब्लाक की नीलकंठ न्याय पंचायत में पड़ती है। इसी ग्राम पंचायत के खंडगांव मोबन खैरगल निवासी मुन्नी भंडारी के पति मोहन सिंह दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करते हैं। उनकी बेटी राधा का विवाह हो चुका है। उसके दो बच्चे हैं। दामाद विजेंद्र सिंह ग्राम प्रधान हैं। जबकि, उनका बेटा गोविद भंडारी दिल्ली से स्नातक कर चुका है।
मुन्नी महिलाओं के समूह बनाकर उन्हें स्वावलंबी बनाने के साथ ही नीलकंठ बाईपास समेत क्षेत्र की अन्य समस्याओं को लेकर भी हमेशा मुखर रही हैं। इसके लिए वह आंदोलन के साथ कई बार प्रधानमंत्री कार्यालय से पत्राचार भी कर चुकी हैं। मुन्नी बताती हैं कि उन्होंने वर्ष 2019 के पंचायत चुनाव में प्रधान पद के लिए भाग्य आजमाने का मन बनाया था, लेकिन दसवीं पास न होना इसमें बाधा बन गया।
इसके बाद उन्होंने बेटे गोविद के सामने आगे दसवीं करने की इच्छा जताई। इस पर गोविद ने एनआइओएस से दसवीं की परीक्षा के लिए उनका फार्म भरवा दिया। आनलाइन पढ़ाई चलती रही। साथ ही आनलाइन टेस्ट भी हुए। बेटे ने भी पढ़ाई में काफी मदद की। नतीजा, आज उनका दसवीं पास करने का सपना पूरा हो गया। एनआइओएस के दसवीं व 12वीं के परीक्षा परिणाम बीती 23 जुलाई को घोषित किए गए।
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अब इंटर करना चाहती हैं मुन्नी
मुन्नी भंडारी जब सात साल की थीं, तब उनके पिता का देहांत हो गया था। बकौल मुन्नी, 'मेरे सात भाई-बहन थे, परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। इसलिए जैसे-तैसे आठवीं तक ही पढ़ पाई। लेकिन, अब मैं आगे इंटर की परीक्षा भी देना चाहती हूं।'