Move to Jagran APP

जर्मनी मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने को करेगा उत्तराखंड की मदद

उत्तराखंड में वन्य जीव संघर्ष को रोकने के लिए अब जर्मनी मदद करेगा। इसके लिए 32 करोड़ की राशि मंजूर की गई है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 28 Feb 2018 01:27 PM (IST)Updated: Thu, 01 Mar 2018 10:31 AM (IST)
जर्मनी मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने को करेगा उत्तराखंड की मदद
जर्मनी मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने को करेगा उत्तराखंड की मदद

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: उत्तराखंड में गहराते मानव-वन्यजीव संघर्ष को थामने के लिए जर्मनी ने मदद को हाथ बढ़ाया है। इस सिलसिले में जर्मन इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी ने देश के तीन राज्यों उत्तराखंड, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में मानव व वन्यजीवों के बीच छिड़ी जंग के कारणों के साथ ही इसके समाधान के उपायों को लेकर गहन अध्ययन करने के लिए चुना है। इसके लिए 32 करोड़ की राशि मंजूर की गई है। इस कड़ी में उत्तराखंड में कवायद भी प्रांरभ कर दी गई है। 

loksabha election banner

71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष चिंताजनक स्तर पर पहुंच चुका है। अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि पिछले 17 सालों में 550 से अधिक लोग मारे गए, जबकि लगभग 1800 घायल हुए हैं। तमाम कोशिशों के बाद भी लगातार गहराती इस समस्या का निदान नहीं हो पाया है। इस बीच इससे निबटने की कड़ी में जर्मनी ने भी सहयोग देने का निश्चय किया है। 

वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जय राज के अनुसार जर्मन इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी ने तीनों राज्यों में मानव-वन्यजीव संघर्ष के कारणों, इसके निदान समेत अन्य बिंदुओं पर समग्र अध्ययन के लिए चार मिलियन यूरो यानी करीब 32 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है। वन विभाग के सहयोग से राज्य में भी एजेंसी इसका अध्ययन कराएगी। इस कड़ी में देहरादून में कार्यशाला भी आयोजित की गई, जिसमें योजना से संबंधित जानकारी दी गई। इसमें भारतीय वन्यजीव संस्थान, वन विभाग और जर्मन एजेंसी के प्रतिनिधि व विशेषज्ञ मौजूद थे। 

यह भी पढ़ें: उच्च हिमालय में बाघ की दहाड़, यहां पहली बार आया नजर

यह भी पढ़ें: केदारनाथ में दूसरी बार कैमरे में कैद हुई दुर्लभ हिम लोमड़ी

यह भी पढ़ें: हिम तेंदुओं का शिकार रोकने को चिह्नित होंगे संवेदनशील स्थल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.