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Dehradun से महज एक घंटे की दूरी पर है घने जंगल के बीच से गुजरता एडवेंचर का संसार, मिलेगी शांति व सुकून

George Everest Mussoorie सर जार्ज एवरेस्ट ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई का निरीक्षण और शोध मसूरी के जार्ज एवरेस्‍ट (George Everest) पर रहकर किया था। अब यह प्रसिद्ध पर्यटक स्‍थल के रूप में जाना जाता है।

By Nirmala BohraEdited By: Published: Fri, 05 Aug 2022 01:30 PM (IST)Updated: Fri, 05 Aug 2022 01:30 PM (IST)
Dehradun से महज एक घंटे की दूरी पर है घने जंगल के बीच से गुजरता एडवेंचर का संसार, मिलेगी शांति व सुकून
George Everest Mussoorie : जार्ज एवरेस्ट। फोटो- रोहित बंसल गूगल इमेज

टीम जागरण, देहरादून : George Everest Mussoorie : सर जार्ज एवरेस्ट (Sir George Everest) वो व्यक्ति हैं जिनके नाम पर सबसे ऊंचा पर्वत शिखर माउंट ऐवरेस्ट (Mount Everest) का नाम रखा गया है। सर जार्ज एवरेस्ट ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई का निरीक्षण और शोध मसूरी के जार्ज एवरेस्‍ट (George Everest) पर रहकर किया था।

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ऊंचाई से प्रकृति के मनमोहक नजारों का उठाएं लुत्फ

यह जगह देहरादून से मजह एक घंटे की दूरी पर है और जंगल के बीच से गुजरने वाला इसका रास्‍ता एडवेंचर से भरा है। यहां रोजाना देश विदेश से पर्यटक आते हैं और ऊंचाई से प्रकृति के मनमोहक नजारों का लुत्फ उठाते हैं।

सर जार्ज एवरेस्ट (Sir George Everest) के नाम पर ही दुनिया की सबसे ऊंची चोटी का नाम 'माउंट एवरेस्ट' (Mount Everest) रखा गया है, उन्होंने जीवन का एक लंबा अर्सा मसूरी में गुजारा था। यह स्‍थान प्रकृति के एकदम बीच में हैं और यहां से गुजरने वाला रास्‍ता भरपूर आनंद देने वाला है।

वहीं जार्ज एवरेस्ट (George Everest) पर पहुंच कर आसपास की हरी भरी वादियां देखकर आपके दिल और आंखों को बेहद सुकून मिलेगा। यहां से जहां दूनघाटी, अगलाड़ नदी और बर्फ से ढकी चोटियों का मनोहारी नजारा दिखाई देता है। आइए जानते हैं इसकी खासियत...

  • वेल्स के इस सर्वेयर एवं जियोग्राफर ने ही पहली बार एवरेस्ट की सही ऊंचाई और लोकेशन बताई थी।
  • इससे पहले एवरेस्ट को 'पीक-15' नाम से जाना जाता था।
  • तिब्बती लोग इसे 'चोमोलुंग्मा' और नेपाली 'सागरमाथा' कहते थे।
  • जार्ज वर्ष 1830 से 1843 तक भारत के सर्वेयर जनरल रहे।
  • मसूरी स्थित सर जार्ज एवरेस्ट के घर और प्रयोगशाला में भारत की कई ऊंची चोटियों की खोज हुई।
  • वर्ष 1832 से 1843 के बीच इनकी खोज के बाद उन्हें मानचित्र पर उकेरा गया।
  • सर जार्ज एवरेस्ट का घर और प्रयोगशाला का निर्माण वर्ष 1832 में हुआ था।अब इसे पार्क हाउस नाम से जाना जाता है।
  • यहां से दूनघाटी, अगलाड़ नदी और बर्फ से ढकी चोटियों का मनोहारी नजारा दिखाई देता है।
  • अब जार्ज एवरेस्ट का यह घर अब आर्कियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया की देख-रेख में है।
  • इस एतिहासिक धरोहर को निहारने हर साल बड़ी तादाद में पर्यटक यहां पहुंचते हैं।
  • वर्ष 1847 में जार्ज ने भारत के मेरिडियल आर्क के दो वर्गों के मापन का लेखा-जोखा प्रकाशित किया था। इसके लिए उन्हें रायल एस्ट्रोनामिकल सोसायटी ने पदक भी दिया था।
  • इसके बाद में उन्हें रायल एशियाटिक सोसायटी और रायल जियोग्राफिकल सोसायटी की फैलोशिप के लिए चुना गया।
  • वर्ष 1854 में उन्हें कर्नल के रूप में पदोन्नति मिली और फरवरी 1861 में वे 'द आर्डर आफ द बाथ' के कमांडर नियुक्त हुए। 1861 में उन्हें 'नाइट बैचलर' नियुक्‍त किया गया।
  • एक दिसंबर 1866 को लंदन के हाईड पार्क गार्डन स्थित अपने घर में उन्होंने अंतिम सांस ली।

कैसे पहुंचे जार्ज एवरेस्ट (George Everest)

इसके लिए पहले आपको सड़क मार्ग से मसूरी पहुंचना होगा। सर जार्ज एवरेस्ट का घर और प्रयोगशाला मसूरी में पार्क रोड पर स्थित है, जो गांधी चौक लाइब्रेरी बाजार से लगभग छह किमी की दूरी पर पार्क एस्टेट में स्थित है।

मसूरी स्थित हाथीपांव पार्क रोड क्षेत्र के 172 एकड़ भूभाग में बने जार्ज एवरेस्ट हाउस (आवासीय परिसर) और इससे लगभग 50 मीटर दूरी पर स्थित प्रयोगशाला (आब्जरवेटरी) को देखने रोजाना पर्यटक पहुंचते हैं।


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