गढ़-वंदना नारेण-नारेण में हुए संपूर्ण देवभूमि के दर्शन
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में तीन दिवसीय गढ़ कौथिग युवोत्सव का शुभारंभ हो गया है। उत्सव के शुभारंभ के मौके पर उत्तराखंड की संस्कृति के दीदार हुए।
देहरादून, [जेएनएन]: गढ़वाल भ्रातृ मंडल संस्था के तत्वावधान में तीन दिवसीय 'गढ़ कौथिग युवोत्सव' का शुक्रवार को शुभारंभ हो गया। लोकगायक सौरभ मैठाणी ने गढ-वंदना 'नारेण-नारेण' में पहाड़ की पवित्र भूमि का वर्णन कर हर किसी को गौरवांवित अनुभूति प्रदान की। वहीं, लोक वाद्ययंत्रों की जुगलबंदी के बीच हर कोई पहाड़ी संस्कृति में रमता नजर आया।
पिपलेश्वर मंदिर प्रांगण में आयोजित 'गढ़ कौथिग युवोत्सव' का शुभारंभ महापौर विनोद चमोली ने दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम की शुरुआत ढोल-दमाऊ, मसकबीन, रणसिंघा, भंकोरा, शहनाई, बिणई, मोछंग, हुड़का जैसे पारंपरिक लोक वाद्यों की जुगलबंदी से की गई। वाद्ययंत्रों की मधुर ध्वनियों से हर कोई पहाड़ी संस्कृति के रंग में सराबोर हो गया। इसके बाद लोक गायक सौरभ मैठाणी ने साथी कलाकारों के साथ 'गढ़-वंदना' 'नारेण-नारेण' से गढ़वाल के धार्मिक, पौरणिक महत्व और सौंदर्य का अहसास कराया।
गौरी संस्था ने 'गौरी का गणेशा', ज्वाल्पा संस्था ने 'अपण उत्तराखंड बणै कि क्या पाई' लोकगीत की सुंदर प्रस्तुतियां दी। लोक गायिका अंजू बिष्ट के लोक गीतों पर भी दर्शक खूब झूमे।
संध्या कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड कि संस्कृति सबसे अलग है। कहा कि उत्तराखंड संस्कृति के रूप में तो धनी है ही यहां प्राकृतिक खूबसूरती भी भरपूर है। कहा कि राजनेताओं ने पहाड़ का पानी और पहाड़ी की जवानी कहावत को राजनीतिक लाभ के लिए ही उपयोग किया है, जबकि इस ओर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। इस अवसर पर उन्होंने संस्था को सांस्कृतिक कार्यक्रम कौथिग के आयोजन में दो लाख रुपये का आर्थिक सहयोग देने की घोषणा की। इस अवसर पर सभा के संरक्षक हीरामणि बड़थ्वाल, आरएस बिष्ट, बीएन पुरोहित आदि मौजूद रहे।
वयोवृद्ध नागरिकों का सम्मान
कार्यक्रम में तीन वयोवृद्ध नागरिकों का भी सम्मान किया। सम्मानित होने वालों में कै. एसएन थपलियाल (85), कन्हैया लाल (90) व इंदु देवी (102) शामिल हैं।
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