नगर निगम की दरियादिली शहर पर भारी, हर जगह लगे कूड़े के ढेर
शहर में डोर-टू-डोर कूड़ा उठान का काम खुद नगर निगम देख रहा है। स्थिति यह है कि वार्डों में हफ्ता बीतने पर भी कूड़ा उठान गाड़ियां नहीं जा रहीं।
देहरादून, [अंकुर अग्रवाल]: शहर में पीपीपी मोड में कूड़ा उठान की नगर निगम की कसरत 11 महीने बाद भी परवान चढ़ती नहीं दिख रही। नगर निगम प्रशासन गत छह सितंबर को कूड़ा उठान का करार होने के बाद दावा ठोक रहा था कि अक्टूबर के पहले हफ्ते से कंपनी कूड़ा उठान का काम शुरू कर देगी, लेकिन अब कंपनी ने इससे साफ इन्कार कर दिया है। टेंडर की शर्तों में नगर निगम ने कंपनी को करार के बाद 90 दिन का समय काम शुरू करने के लिए दिया हुआ है। ऐसे में कंपनी के मुताबिक वह अक्टूबर में नहीं नवंबर में काम शुरू करेगी। वहीं, अब नगर निगम के लिए यह चिंता खड़ी हो गई है कि वह चार अक्टूबर को हाईकोर्ट में क्या जवाब देगा। हाईकोर्ट ने कूड़ा उठान पर निगम से पूरी रिपोर्ट मांगी हुई है।
मौजूदा समय में शहर में डोर-टू-डोर कूड़ा उठान का काम खुद नगर निगम देख रहा है। स्थिति यह है कि वार्डों में हफ्ता बीतने पर भी कूड़ा उठान गाड़ियां नहीं जा रहीं। माना जा रहा था कि अक्टूबर पहले हफ्ते से डोर-टू-डोर कूड़ा उठान की पूरी व्यवस्था पटरी पर आ जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं होने वाला। दरअसल, निगम से पहले ये व्यवस्था अगस्त-11 में जेएनएनयूआरम के अंतर्गत डीवीडब्लूएम कंपनी को दी गई थी।
शुरुआत में कंपनी को 15 वार्ड दिए, बाद में पूरे साठ वार्ड दे दिए गए। कंपनी द्वारा तीन चरण में 45 वार्डों से कूड़ा उठान के लिए 42 टाटाऐस वाहन खरीदे गए मगर चौथे चरण में कोई वाहन खरीदा ही नहीं गया, जबकि वार्ड पूरे 60 कंपनी के पास आ गए थे। डीवीडब्लूएम ने 45 वार्ड की जिम्मेदारी तक तो ठीक निभाई मगर इसके बाद कंपनी बेपटरी होती चली गई। तमाम विरोध होने पर मार्च-2014 में नगर निगम द्वारा कंपनी से करार तोड़ लिया गया और डोर-टू-डोर कूड़ा उठान का जिम्मा अपने कंधों पर ले लिया।
हालात यह हो गए कि जो कूड़ा कलेक्शन व्यवस्था जैसे-तैसे ही चल रही थी, वहां भी ठप पड़ती चली गई। अब गाड़ियां हफ्तेभर तक गली-मोहल्लों तक नहीं पहुंच रही। शहर में गंदगी पसरी हुई है और कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। निगम कर्मचारी अफसरों को गच्चा देकर काम के दावे कर रहे हैं मगर हकीकत गंदगी के ढेर बयां कर रहे हैं। वीवीआइपी इलाका यमुना कालोनी हो या नेशविला रोड व पटेलनगर। हर तरफ गंदगी ही गंदगी है। यही वजह है कि शहर में गंदगी पर हाईकोर्ट को दखल देना पड़ा।
पिछले 11 माह से निगम कूड़ा उठान की व्यवस्था पीपीपी मोड में देने की तैयारी कर रहा है। इसी क्रम में छह सितंबर को कूड़ा उठान का जिम्मा चेन्नई एमएसडब्लू कंपनी को दिया गया। यह शीशमबाड़ा में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का संचालन कर रही रैमकी कंपनी से जुड़ी हुई है। स्थिति ये है कि प्लांट के टेंडर की तरह निगम अफसरों ने यहां भी कंपनी पर विशेष 'दरियादिली' दिखाई।
निगम अफसर दावा कर रहे थे कि काम शुरू करने को कंपनी को 60 दिन का समय दिया गया है, लेकिन यह दावा झूठ निकला। दरअसल, करार के अंतर्गत कंपनी को काम शुरू करने को 90 दिन का समय दिया गया है। इसी का फायदा उठा कंपनी मनमानी कर रही है।
कर्मियों के लिए आधार कार्ड जरूरी
रैमकी कंपनी के प्रोजेक्ट हेड मोहित द्विवेदी के अनुसार डोर-टू-डोर उठान में नियुक्त होने वाले सभी कर्मचारियों के लिए आधार-कार्ड अनिवार्य होगा। जो कर्मचारी पहले से इस काम में लगे हैं, अगर उनके पास आधार कार्ड होगा, तभी उन्हें काम में शामिल किया जाएगा। अक्टूबर में कर्मियों का आधार कार्ड के अंतर्गत सत्यापन किया जाएगा और नवंबर में काम शुरू होगा।
वाहन-उपकरण होंगे शिफ्ट
नगर आयुक्त विजय कुमार जोगदंडे ने बताया कि करार के तहत कंपनी को काम शुरू करने के लिए जो समय मिला हुआ है उससे पहले काम शुरू कराने की कोशिश की जा रही है। मौजूदा व्यवस्था में निगम जिन वाहनों और उपकरणों से कूड़ा उठान का काम कर रहा है, वह सभी नई कंपनी को ट्रांसफर कर दिए जाएंगे।
डाक्टर पर बदसलूकी का आरोप
ऋषिनगर की निवर्तमान पार्षद नीतू वाल्मीकि ने मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. कैलाश जोशी पर उनसे व उनके पति के साथ बदसलूकी का आरोप लगाया है। आरोप है कि वे बुधवार को वार्ड से जुड़ी समस्या को लेकर डा. जोशी से मिलने गए थे। आरोप है कि डा. जोशी ने सिर्फ उनसे ही नहीं बल्कि मुख्यमंत्री और सरकार को लेकर भी अपशब्द कहे। उन्होंने मामले में नगर आयुक्त को लिखित शिकायत देते हुए कार्रवाई की मांग की। साथ ही पार्टी फोरम में भी इसकी शिकायत की बात कही।
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