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उत्तराखंड में बहेगी देसी गाय के दूध की गंगा, पढ़िए पूरी खबर

केंद्र सरकार ने देसी नस्ल की गायों के दूध के महत्व को देखते हुए कृषि कल्याण केंद्र योजना शुरू की है। योजना के तहत देसी गायों के दूध का उत्पादन तीन गुना हो जाएगा।

By BhanuEdited By: Published: Tue, 20 Aug 2019 09:02 AM (IST)Updated: Tue, 20 Aug 2019 08:27 PM (IST)
उत्तराखंड में बहेगी देसी गाय के दूध की गंगा, पढ़िए पूरी खबर
उत्तराखंड में बहेगी देसी गाय के दूध की गंगा, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, अंकुर शर्मा। भारत में गाय को यूं ही नहीं माता का दर्जा दिया गया है। इसका दूध शरीर को स्वस्थ, मजबूत बनाने के साथ ही कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से बचाने में भी कारगर है। उसमें भी देशी गाय के दूध की बात ही अलग है। कई गुणों से भरपूर इस दूध को घर-घर तक पहुंचाने के लिए मोदी सरकार ने योजना शुरू कर दी है। 

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केंद्र सरकार ने देसी नस्ल की गायों के दूध के महत्व को देखते हुए कृषि कल्याण केंद्र योजना शुरू की है। इस योजना के अंतर्गत सूबे के हर जिले (ऊधमसिंहनगर को छोड़कर) में 100-100 गांव चिह्नित किए जाएंगे। ये वो गांव होंगे, जहां के ग्रामीण दुग्ध उत्पादन के प्रति जागरूक हैं। साथ ही उन गांवों को भी शामिल किया जाएगा जहां दुग्ध उत्पादन पिछड़ा हुआ है। 

प्रत्येक गांव में 100-100 गायों को देसी नस्ल के गोवंशीय पशु के वीर्य से कृत्रिम गर्भाधान मुफ्त में कराया जाएगा। इसका 100 रुपये शुल्क पशु पालक या किसान को नहीं देना होगा। सभी जिलों में मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारियों को 100-100 गांव चिह्नित करने के निर्देश दिए गए हैं। इस तरह सूबे में मार्च 2020 तक 1.20 लाख पशु बढ़ जाएंगे। सितंबर के पहले सप्ताह से गांव चयनित कर कृत्रिम गर्भाधान शुरू कर दिया जाएगा। इससे देसी गायों का दूध का उत्पादन भी तीन गुना हो जाएगा।

देसी नस्ल की गायों में है ए 2 मिल्क

पशु चिकित्सा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार एक शोध में देसी नस्ल की गायों के दूध में ए 2 मिल्क पाया गया। यह मिल्क कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को रोकने में मददगार है। वहीं विदेशी नस्ल की गायों के दूध में यह तत्व नहीं पाया जाता है। 

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ये हैं देसी नस्लों की गाय के नाम

साहीवाल, हरियाणा, गिर, लाल सिंधी, बद्री, मालवी, देवनी, लाल कंधारी, राठी, नागौरी, खिल्लारी, वेचुर, थारपरकर, अंगोल, काकरेज।

योजना से ये हैं फायदे

- श्वेत क्रांति में देसी नस्ल के गायों की हिस्सेदारी बढ़ेगी।

- गर्भाधान मुफ्त होने से किसान आकर्षित होंगे, दुधारू पशु बढ़ेंगे।

- दूध का उत्पादन बढ़ेगा, राज्य दूध की खपत में आत्मनिर्भर होगा।

- पशु पालकों, किसानों की आय में बढ़ोत्तरी होगी।

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राजधानी में शुरू हुआ गांवों का चयन

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. एसवी पांडे ने बताया कि देहरादून में 100 गांव चिह्नित करने के लिए पशु अस्पताल एवं पशु चिकित्सा केंद्रों में डॉक्टरों को लिखा गया है। जल्द ही रिपोर्ट मिलने के बाद गांव चयनित कर कृत्रिम गर्भाधान होगा।

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