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गंगा सप्तमी : हरकी पैड़ी में सीएम धामी ने किया पूजन, छह लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

मां गंगा का जन्म दिवस मानी जाने वाली गंगा सप्तमी पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचे। श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। कोरोनाकाल के दो साल बाद यह पहला मौका है जब गंगा सप्तमी के इस महापर्व पर श्रद्धालुओं को धर्म कर्म करने की बिना रोक-टोक अनुमति है।

By Nirmala BohraEdited By: Published: Sun, 08 May 2022 10:42 AM (IST)Updated: Sun, 08 May 2022 02:08 PM (IST)
गंगा सप्तमी : हरकी पैड़ी में सीएम धामी ने किया पूजन, छह लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी
मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी गंगा पूजन व आरती में शामिल हुए

जागरण संवाददाता, हरिद्वार : गंगा सप्तमी के अवसर पर मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी हरिद्वार पहुंचे और यहां गंगा पूजन व आरती में शामिल हुए। इस दौरान उनकी पत्‍नी गीता धामी में मौजूद रहीं। उन्होंने देश-प्रदेश की सुख-समृद्धि तथा खुशहाली के लिये मां गंगा से प्रार्थना की। कहा कि रविवार को बदरीनाथ धाम के कपाट खुल गए। बे-रोकटोक चारधाम यात्रा चलती रहे, इसके लिए गंगा मैया से प्रार्थना की।

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गंगा सप्तमी पर छह लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

गंगा सप्तमी पर छह लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड समेत अन्य गंगा घाटों पर आस्था की डुबकी लगाई। इस दौरान मां गंगा का पूजन, शृंगार और दुग्धाभिषेक कर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की गई। हरकी पैड़ी के गंगा घाट भोर से ही गंगा मैया के जयकारों से गुंजायमान रहे।

मोक्षदायिनी मां गंगा का जन्मदिवस मानी जाने वाली गंगा सप्तमी हरिद्वार औरआसपास के क्षेत्रों में हर्षोल्लास से मनाई गई। डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालुओं ने दूध, दही, शहद, मिश्री, मौसमी फल, श्रीफल, फूल, ङ्क्षसदूर, अक्षत, गुलाल आदि मां गंगा को अर्पित किए। साथ ही दुग्धाभिषेक और गंगा आरती कर घर-परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। मान्यता है कि गंगा सप्तमी के दिन गंगा स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलने के साथ रोगों से मुक्ति मिल जाती है।

ब्रह्मकुंड समेत सभी घाटों पर धर्म कर्म करने की अनुमति

गंगा स्नान और पूजन के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी हरकी पैड़ी पहुंचे। कोरोना काल के दो साल बाद यह पहला मौका है जब गंगा सप्तमी के इस महापर्व पर श्रद्धालुओं को हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड समेत सभी गंगा घाटों पर डुबकी लगाने और धर्म कर्म करने की बिना रोक-टोक अनुमति है।

ऋषिकेश : मां गंगा का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया

गंगा सप्तमी के अवसर पर देश के विभिन्न प्रांतों से आए श्रद्धालुओं ने ऋषिकेश, स्वर्गाश्रम, लक्ष्मण झूला के घाटों पर ‌गंगा में श्रद्धा की डुबकी लगाकर मां गंगा की पूजा अर्चना कर मां गंगा का जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया। इस दौरान त्रिवेणी घाट पर श्री गंगा सभा ने भव्य गंगा आरती के साथ हवन पूजन भी किया।

रविवार को ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट पर मां गंगा के जन्मोत्सव के दौरान उत्तराखंड राज्य के शहरी विकास एवं वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, नगर निगम की महापौर अनीता ममगाई, गंगा सभा के मुख्य संरक्षक महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य, गंगा सभा के महामंत्री रामकृपाल गौतम, राहुल शर्मा, डा. एचआर ममगाई, दिनेश सती भी उपस्थित थे। गंगा आरती के उपरांत बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा में दीप प्रज्वलित किए। इस दौरान नगर में विभिन्न संस्थाओं ने मीठे ‌शीतल जल‌ की छबील लगाकर लोग में मीठा शीतल जल वितरित किया।

भगवान गिरी आश्रम के पीठाधीश्वर महंत भूपद्र गिरी ने कहा कि‌ पौराणिक शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मां गंगा स्वर्ग लोक से शिवशंकर की जटाओं में पहुंची थी। इसलिए इस दिन को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। जिस दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई वह दिन गंगा जयंती (वैशाख शुक्ल सप्तमी) और जिस दिन गंगाजी पृथ्वी पर अवतरित हुई वह दिन गंगा दशहरा (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी) के नाम से जाना जाता है। इस दिन मां गंगा का पूजन किया जाता है।

गंगा स्नान से मिलता है पुण्य, दूर होते हैं कष्‍ट: महंत रविपुरी

गंगा सप्तमी पर धर्मनगरी में विधि विधान के साथ गंगा पूजन और स्नान कर श्रद्धालु पुण्य के भागीदारी बने। वहीं प्राचीन हनुमान मंदिर के महंत रविपुरी महाराज के सानिध्य में श्रद्धालुओं ने पूजन कर गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। वहीं हनुमान घाट से विगत कई वर्षों से मां गंगा जन्मोत्सव संघ मोती बाजार द्वारा निकाली जाने वाली पालकी यात्रा को महंत रविपुरी महाराज ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

महंत रविपुरी महाराज ने कहा कि वैशाख शुक्ल सप्तमी के दिन मां गंगा स्वर्गलोक से भगवान शिव की जटाओं में पहुंची थी। इसलिए इस दिन को गंगा सप्तमी या गंगा जयंती के रूप में मनाया जाता है। गंगा सप्तमी के अवसर पर्व पर मां गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।


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