आइएफएस का प्रशिक्षण सिर्फ एफआरआइ में स्नातकोत्तर के बराबर, पढ़िए पूरी खबर
एफआरआइ डीम्ड यूनिवर्सिटी देश में संभवत एकमात्र ऐसा संस्थान है जो आइजीएनएफए के दो वर्षीय प्रशिक्षण को स्नातकोत्तर के समकक्ष मानता है। यह मामला भी आइएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के एसएससी के सदस्य पद के लिए आवेदन करने के क्रम में सामने आया।
सुमन सेमवाल, देहरादून। वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआइ) डीम्ड यूनिवर्सिटी देश में संभवत: एकमात्र ऐसा संस्थान है, जो इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी (आइजीएनएफए) के दो वर्षीय प्रशिक्षण को स्नातकोत्तर के समकक्ष मानता है। यह मामला भी आइएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के केंद्रीय कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) के सदस्य पद के लिए आवेदन करने के क्रम में सामने आया। उन्होंने एफआरआइ की व्यवस्था के आधार पर प्रशिक्षण को स्नातकोत्तर के बराबर मानते हुए एसएससी में आवेदन किया था। इस आवेदन को डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) ने खारिज कर दिया और जब यह मामला उत्तराखंड हाई कोर्ट पहुंचा तो स्थिति और स्पष्ट हो गई।
डीओपीटी की ओर से कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे में कहा गया है कि एफआरआइ इस तरह के प्रशिक्षण को डिग्री का दर्जा देने के लिए मान्यता प्राप्त संस्थान नहीं है। दरअसल, एफआरआइ और इसके नियंता संस्थान भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आइसीएफआरई) के अहम पदों पर आइएफएस अधिकारी तैनात रहते हैैं। विभिन्न कारणों से अधिकारियों को पीएचडी की डिग्री की जरूरत पड़ती है। तमाम अधिकारी स्नातक करते ही सेवा में आ जाते हैं, लिहाजा उन्हें आगे नियमित रूप से पढऩे का अवसर नहीं मिलता।
इस राह को आसान बनाने के लिए वर्ष 1998 में तोड़ निकाला गया कि आइजीएनएफए के दो वर्षीय प्रशिक्षण को स्नातकोत्तर का दर्जा दे दिया जाए। जिससे अधिकारी आराम से पीएचडी कर सकें। अन्य यूनिवर्सिटी में पीएचडी की डिग्री नियमित पढ़ाई के बिना मिलना संभव नहीं है और एफआरआइ पर आइएफएस अधिकारियों का प्रभुत्व रहता है तो नियमित पढ़ाई की किसे चिंता करने की जरूरत है।
बीते कई साल में तमाम अधिकारियों ने नियमित सेवा के बाद भी यहां से पीएचडी की है। इसमें राज्य से लेकर केंद्र तक के तमाम अधिकारी लाभार्थी रहे हैं। हालांकि, इसकी शिकायत भी केंद्र सरकार तक की जा चुकी है, मगर आज तक ठोस कार्रवाई नहीं की जा सकी।
यूजीसी ने नहीं दिया प्रशिक्षण को डिग्री का दर्जा
आइजीएनएफए के प्रशिक्षण को यूजीसी ने स्नातकोत्तर की डिग्री की मान्यता नहीं दी है। यही कारण है कि अन्य किसी भी विश्वविद्यालय ने इस प्रशिक्षण को डिग्री की मान्यता नहीं दी। यह व्यवस्था सिर्फ एफआरआइ ने की है, ताकि आइएफएस अधिकारियों की पीएचडी करने की राह आसान हो सके।
-एएस रावत (निदेशक, एफआरआइ एवं कुलपति, एफआरआइ डीम्ड यूनिवर्सिटी) का कहना है कि आइजीएनएफए के प्रशिक्षण को स्नातकोत्तर के बराबर मानने का मामला मेरे समय का नहीं है। इस बारे में मुझे अधिक जानकारी भी नहीं है। लिहाजा, इस समय कुछ भी टिप्पणी कर पाना संभव नहीं है।
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