गिरोह ने ठगी के लिए कदम-कदम पर बिछाया था जाल, सरकारी नौकरी के नाम पर लिया झांसे में
सरकारी नौकरी लगाने के नाम पर गिरोह ने युवाओं को कदम-कदम पर झांसा दिया। जो पीड़ित अभी तक सामने आया है उसे ही फंसाने के लिए गिरोह काफी समय से जाल बिछा रहा था।
देहरादून, जेएनएन। सरकारी नौकरी लगाने के नाम पर गिरोह ने युवाओं को कदम-कदम पर झांसा दिया। जो पीड़ित अभी तक सामने आया है, उसे ही फंसाने के लिए गिरोह काफी समय से जाल बिछा रहा था और बाद में उससे दो लाख रुपये ठग भी लिए। इस गिरोह में शामिल दो आरोपित खुद को सचिवालय कर्मी बताते थे, जबकि एक ने खुद को गृहमंत्रालय में उपसचिव बताया। हालांकि सीओ सिटी की जांच के बाद चार आरोपित मनोज, दीपक, सौरभ कौशिक और सुमेश पंत के खिलाफ नगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया है।
सीओ सिटी शेखरचंद्र सुयाल के अनुसार, हरिद्वार के संजय नगर निवासी दुर्गा प्रसाद ने अपनी शिकायत में बताया कि उसकी 2017 में देहरादून के रहने वाले मनोज से मुलाकात हुई। वह दुर्गाप्रसाद की पत्नी की सहेली का पति है। इसी दौरान मनोज ने दुर्गाप्रसाद को अपने घर खाने पर बुला लिया। आरोप है कि इसके बाद से ही आरोपित ने जाल बिछाना शुरू कर दिया था।
दावत के दौरान मनोज ने खुद को सचिवालय का कर्मचारी बताया और कहा कि वह उसे सरकारी नौकरी दिला सकता है। इस दौरान मनोज ने साढ़े पांच लाख रुपये खर्च होने की बात भी कही। मगर दुर्गाप्रसाद ने पैसे न होने की बात कहकर टाल दिया। ठीक एक साल बाद दुर्गाप्रसाद पीसीएस की परीक्षा देने के लिए दून पहुंचा। यह बात मनोज को पता चली तो उसने दुर्गाप्रसाद को यहां भी घेर लिया और कहा कि नौकरी चाहिए तो शुरू में दो लाख रुपये तो दे ही सकता है। दुर्गाप्रसाद फिर भी तैयार नहीं हुआ। 2019 में मनोज ने फिर से संपर्क किया और कहा कि अगर मेरी बात माने लेते तो तुम नौकरी कर रहे होते। इसके बाद दुर्गाप्रसाद मनोज की बातों में आ गया और एक लाख रुपये दे दिए। इसके बाद मनोज ने दीपक नाम के व्यक्ति से दुर्गाप्रसाद की फोन पर बात कराई। दीपक ने बताया कि वह सचिवालय में बाबू है और नौकरी वही लगवाता है।
गृह मंत्रालय से भिजवाया नियुक्ति पत्र
सीओ ने बताया कि सितंबर 2019 में दुर्गाप्रसाद को गृह मंत्रालय के कार्मिक प्रशिक्षण विभाग का नियुक्ति पत्र वाट्सएप पर आया। आरोपितों ने एक लाख रुपये और मांगे, जो दुर्गाप्रसाद ने आरोपितों के खाते में डाल दिए। 23 सितंबर को जब दुर्गाप्रसाद दिल्ली पहुंचा, तो पता चला कि वहां पर पहले से दस से 12 लोग और भी मौजूद हैं। दिल्ली में आरोपितों ने दुर्गाप्रसाद को सौरभ कौशिक नाम के एक व्यक्ति से मिलवाया। उसने खुद को गृहमंत्रालय में उपसचिव बताया। सौरव कौशिक ने कुछ दिक्कतों का हवाला देकर एक हफ्ते बाद नियुक्ति की बात कही, मगर किसी को नौकरी नहीं मिली।
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अक्टूबर में भेजा दूसरा नियुक्ति पत्र
आरोपितों ने अक्टूबर माह में एक और नियुक्ति पत्र वाट्सएप के माध्यम से भेजा। जिसमें 11 नवंबर 2019 की नियुक्ति लिखी थी, लेकिन उसके आधार पर भी कोई नियुक्ति नहीं हुई। इसके बाद दुर्गाप्रसाद और अन्य को ठगी का पता चला। उन्होंने आरोपितों से पैसे वापस मांगे तो धमकियां मिलने लगीं।
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