लूट की नीयत से आए चार बदमाश दबोचे
ऋषिकेश में लूट की नाकाम कोशिश के बाद दून में वारदात को अंजाम देने के इरादे से यहां पहुंचा बदमाशों का गिरोह पुलिस के हत्थे चढ़ गया। पुलिस ने गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया
जागरण संवाददाता, देहरादून: ऋषिकेश में लूट की नाकाम कोशिश के बाद दून में वारदात को अंजाम देने के इरादे से यहां पहुंचा बदमाशों का गिरोह पुलिस के हत्थे चढ़ गया। पुलिस ने गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया, जबकि उनके तीन अन्य साथियों की तलाश में छापेमारी की जा रही है। यह गिरोह नकदी के बदले डेड अकाउंट से उसकी दोगुनी रकम ट्रांसफर करने का लालच देकर मालदार लोगों को निशाना बनाता था। बदमाशों के पास अवैध असलहे भी मिले हैं। पकड़े गए आरोपितों में तीन पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जबकि एक हरिद्वार का रहने वाला है।
शुक्रवार को पत्रकारों से वार्ता करते हुए डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने बताया, कोतवाल ऋषिकेश रितेश शाह को सूचना मिली थी कि सहारनपुर से कुछ लोग ऋषिकेश के एक सर्राफ के यहां डकैती को अंजाम देने आए हैं। इसपर दून में भी पुलिस को अलर्ट कर दिया गया। एसपी सिटी श्वेता चौबे और एसपी ग्रामीण परमिंदर डोबाल के नेतृत्व में एक टीम गठित कर दी गई। जिसमें क्षेत्राधिकारी डालनवाला और नेहरू कालोनी थाना के प्रभारी शामिल भी थे। इस टीम ने कार और मोटरसाइकिल सवार बदमाशों को गुरुवार रात रेसकोर्स क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया।
पकड़े गए बदमाशों की पहचान फरमान निवासी पथरी हरिद्वार, संजय कुमार निवासी सहारनपुर, रवि कुमार निवासी सहारनपुर और अनुज उर्फ शिवम निवासी मुजफ्फरनगर के रूप में हुई। वहीं, पूरन आहूजा (टिहरी विस्थापित) हाल निवासी हरिद्वार, देवेंद्र निवासी देहरादून और पंडित फरार हैं। संजय इस गिरोह का सरगना है। बदमाशों के पास एक पिस्तौल, एक तमंचा, दो मैगजीन, 11 कारतूस, दो खुखरी, 27 सौ रुपये, एक मोबाइल और फर्जी प्लेट लगी मोटरसाइकिल व कार (यूके-08-एमएम-4574) बरामद हुई।
ऐसे वारदात को अंजाम देता था गिरोह
गिरोह के सरगना संजय कुमार ने बताया कि सबसे पहले वो ऐसे लोगों को चिह्नित करते थे, जिनके पास काफी नकदी हो। इसके बाद गिरोह का एक सदस्य उस व्यक्ति के पास किसी कंपनी का प्रतिनिधि बनकर जाता था। जो उन्हें बताता था कि कंपनी का एक डेड अकाउंट है, जिसमें करोड़ों की धनराशि जमा है। इस धनराशि को वह खुद नहीं निकाल सकते, लेकिन किसी के अकाउंट में ट्रांसफर कर सकते हैं। पीड़ितों को लालच दिया जाता था कि वह जितनी धनराशि नकद में देंगे, उसकी दोगुनी धनराशि उसके खाते में ट्रांसफर की जाएगी। जो व्यक्ति इसके लिए तैयार हो जाता था, उसे एक निश्चित तिथि को नकद रुपयों का इंतजाम करने को कहा जाता था। डील वाले दिन गिरोह उस शख्स को लूट लेता था।
ऐसे चढ़े पुलिस के हत्थे
डीआइजी ने बताया कि 31 दिसंबर को यह गिरोह पूरन की कार से सहारनपुर से ऋषिकेश पहुंचा। वहां पंडित ने उनकी मुलाकात झंडा चौक पर श्री भरत मंदिर के पास स्थित गढ़वाल ज्वेलर्स के मालिक से कराई। सर्राफ से मिलने के लिए संजय और देवेंद्र ही पहुंचे। बाकी सदस्य चाय की एक दुकान पर रुककर उनके फोन का इंतजार करने लगे। सर्राफ से उन्होंने तीन करोड़ रुपये खाते में ट्रांसफर करने की बात कहकर डेढ़ करोड़ रुपये मौके पर देने को कहा। जैसे ही सर्राफ ने डेढ़ करोड़ रुपये दिखाए, संजय ने अपने साथियों को फोन करके बुला लिया। लेकिन, उस समय क्षेत्र में पुलिस गश्त कर रही थी। इस कारण वह वारदात को अंजाम नहीं दे सके। इसके बाद सभी बदमाश सर्राफ के यहां से चले गए। एक जनवरी को यह गिरोह देहरादून आ गया। यहां पंडित ने भटनागर नाम के व्यक्ति के माध्यम से एक शराब कारोबारी को फंसाया। उससे ढाई करोड़ रुपये लूटे जाने की योजना थी। डील तय हो चुकी थी। लेकिन, घटना को अंजाम देने से पहले ही पुलिस ने आरोपितों को दबोच लिया। रातों-रात अमीर होना चाहता था संजय
डीआइजी अरुण मोहन जोशी के अनुसार पूछताछ के दौरान संजय ने बताया कि उसने 2016 में दो बोलेरो और एक जायलो खरीदी थी। तीनों गाड़ियां उसने एक कंपनी में लगा दीं। काम सही न चलने के कारण वह गाड़ियों की किश्तें नहीं भर पा रहा था। उसपर करीब 40 लाख रुपये का कर्ज भी हो गया था। रातों-रात लाखों रुपये कमाने की चाहत में उसने लूट की योजना बनाई। सबसे पहले उसने अपने चचेरे भाई रवि, दोस्त अनुज और फरमान को योजना के बारे में बताया। रवि पहले देहरादून में जोमेटो में डिलीवरी ब्वॉय का काम करता था। फरमान से उसकी पहचान राजीव पुंडीर नाम के प्रॉपर्टी डीलर के माध्यम से हुई। इसके बाद उसने पूरन, देवेंद्र व पंडित को भी योजना में शामिल कर लिया। नौवीं पास है गिरोह का सरगना संजय
रातों-रात मालामाल होने का ख्वाब देखने वाला संजय सिर्फ नौवीं पास है। नए साल में बड़ा हाथ मारने की योजना ने उसे सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। शातिर दिमाग संजय ने अपने मोबाइल में साथी अनुज का नाम मैनेजर के नाम से सेव किया था। ताकि जब वह अपने साथियों को फोन करके बुलाए तो सामने वाला यही समझे कि कंपनी के मैनेजर को फोन किया जा रहा है। उसने अपने साथियों को लूट की रकम में से दो-दो प्रतिशत धनराशि देने का वादा किया था। 15-20 दिन पहले सहारनपुर में भी लूट की बनाई थी योजना
15-20 दिन पहले इस गिरोह ने सहारनपुर में एक दूध कारोबारी को भी लूटने की योजना बनाई थी। लेकिन, वह बताई गई जगह पर पहुंचा ही नहीं। इस कारण बच गया। यूपी में जब कोई मछली जाल में नहीं फंसी तो आरोपितों ने उत्तराखंड में लूट की योजना बनाई। सर्राफ से भी की जाएगी पूछताछ
डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि गिरोह से तीन करोड़ रुपये लेने के लिए तैयार हुए गढ़वाल ज्वेलर्स के मालिक से भी पूछताछ की जाएगी। आखिर वह इतनी बड़ी रकम घर में क्यों रखे था। उन्होंने बताया कि हर पहलू को ध्यान में रखकर मामले की छानबीन की जाएगी।