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राजनीति की भागदौड़ के बीच सुकून पाने तीर्थनगरी आते थे अटल

भारत रत्न भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का तीर्थनगरी ऋषिकेश से गहरा नाता रहा है। राजनीति की भागदौड़ के बीच अटल सुकून के लिए अक्सर ऋषिकेश आते थे।

By Edited By: Published: Fri, 17 Aug 2018 03:02 AM (IST)Updated: Fri, 17 Aug 2018 03:02 AM (IST)
राजनीति की भागदौड़ के बीच सुकून पाने तीर्थनगरी आते थे अटल
राजनीति की भागदौड़ के बीच सुकून पाने तीर्थनगरी आते थे अटल
हरीश तिवारी, ऋषिकेश:  भारत रत्न भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का तीर्थनगरी ऋषिकेश से गहरा नाता रहा है। राजनीति की भागदौड़ के बीच अटल सुकून के लिए अक्सर ऋषिकेश आते थे। यहां कैलाश आश्रम पीठाधीश्वर स्वामी विद्यानंद गिरी महाराज और शिवानंद के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती के पास वह आते थे। यहां सार्वजनिक कार्यक्रम हो या कार्यकर्ताओं के साथ बैठक सभी मौकों पर अटल जी की बेबाक टिप्पणी प्रभावित करने वाली थी। उत्तरप्रदेश भाजपा के कार्यालय प्रमुख और वरिष्ठ संघ नेता गजेन्द्र दत्त नैथानी ने वर्ष 1986 में ऋषिकेश के आशुतोष नगर में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रघुनंदन प्रसाद बहुगुणा की स्मृति में आयुर्वेद चिकित्सालय का निर्माण कराया था। उस समय वह प्रतिपक्ष थे और चिकित्सालय का उद्घाटन करने आए थे। उनके साथ ऋषिकेश के वरिष्ठ संघ कार्यकर्ता यशपाल अग्रवाल मौजूद थे। उन्होंने बताया कि शिलापट पर अटल बिहारी वाजपेयी के नाम के आगे तपस्वी नेता लिखा था। जब संबोधन की बात आई तो उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा था कि शिलापट पर तपस्वी और नेता लिखना अटपटा लगता है। क्योंकि तपस्वी नेता नहीं हो सकता और नेता तपस्वी नहीं हो सकता। वर्ष 1991 में मुनिकीरेती के कैलाश गेट में ओंकारानंद डिस्पेंशरी का उद्घाटन करने वाजपेयी आए थे। इस दौरान उन्होंने हरिद्वार रोड स्थित संघ कार्यकर्ता यशपाल अग्रवाल के यहां भोजन किया। उसके बाद अग्रवाल धर्मशाला में कार्यकर्ताओं की बैठक को भी संबोधित किया था। राजेन्द्र शाह को भाजपा ज्वाइन कराने आए थे अटल उत्तर प्रदेश के समय मसूरी विधानसभा से विधायक चुने गए राजेन्द्र शाह को भाजपा की सदस्यता दिलाने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी रानीपोखरी के भोगपुर गांव में आए थे। उस वक्त उत्तर प्रदेश भाजपा के कार्यालय प्रमुख रहे गजेन्द्र दत्त नैथानी का आवास भोगपुर में था। उनके भतीजे संदीप नैथानी और कार्यकर्ता राजेन्द्र रक्खा ने बताया कि राजेन्द्र शाह को यहीं पर अटल बिहारी वाजपेयी ने भाजपा की सदस्यता दिलाई थी। उस वक्त पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कलराज मिश्र और बाद में मुख्यमंत्री बने कल्याण ¨सह भी मौजूद थे। 1962 में पालिका बोर्ड के शपथ ग्रहण में आये थे अटल ऋषिकेश नगर पालिका में सितंबर 1962 में जब नगर पालिका बोर्ड का गठन हुआ तो भारतीय जनसंघ के पुरोहित आनंदी प्रसाद चेयरमैन चुने गए और बोर्ड के कई जनसंघ के सदस्य चुने गए। इस मौके पर तत्कालीन राज्यसभा सदस्य के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी यहां आए थे। शपथ ग्रहण के पश्चात उनका तिलक रोड स्थित एक संघ कार्यकर्ता के घर पर स्वागत भी हुआ था। उनके साथ निर्वाचित बोर्ड के सदस्यों सहित कार्यकर्ताओं ने फोटो भी ¨खचवाई थी। चोटीवाला का भोजन पसंद था प्रसिद्ध चोटीवाला भोजनालय का भोजन अटल बिहारी वाजपेयी को काफी पसंद था। वह जब भी यहां भोजन करने आते तो भोजनालय की पुस्तक में अपने अनुभव जरूर सांझा करते थे। 17 अक्टूबर 1982 को जब अटल जी ने यहां खाना खाया। तो उन्होंने लिखा कि यहां आकर उन्हें स्वादिष्ट भोजन, स्नेहपूर्ण वातावरण देखने को मिला। यह भोजनालय निरंतर आगे बढ़े यहीं प्रभु से प्रार्थना है। सात मई 1985 को भी यहां भोजन करने के पश्चात उन्होंने लिखा चोटीवाला चोटी की सेवा, चोटी का स्वादिष्ट भोजन और चोटी की देखभाल का दूसरा नाम है। स्नेह की डोरी से ¨खचकर आने की बात सभी जानते है, यहां तो चोटी से बंधकर आने की नई कहावत गढ़ी जा रही है। आपातकाल से पहले और बाद में यहां बैठक ली थी अटल जी ने आपातकाल से पूर्व और उसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने ऋषिकेश में कार्यकर्ताओं की बैठक ली थी। पंजाब ¨सध क्षेत्र इंटर कॉलेज में इस तरह की बैठकें होती थी। संघ कार्यकर्ता व पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. सुरेश चंद शर्मा बताते है कि वर्ष 1975 में अटल जी ने विद्यालय के एक कक्ष में कार्यकर्ताओं की बैठक ली। इस बैठक में रमाकांत अग्रवाल, वरिष्ठ पत्रकार मंगल ¨सह, बल्लभ भाई पांडेय, त्रिनेत्र शर्मा आदि इस बैठक में मौजूद रहे। संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता देवेन्द्र दत्त सकलानी के मुताबिक वर्ष 1974 में जब देवेन्द्र शास्त्री विधानसभा का चुनाव लड़ रहे थे। तो अटल जी ने दून तिराहे पर सभा को संबोधित किया था। वर्ष 1986 में रघुनंदन प्रसाद बहुगुणा चिकित्सालय के उद्घाटन के पश्चात उन्होंने नगर पालिका में सभा की। ऋषिकेश में एम्स अटल जी की देन ऋषिकेश में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की स्थापना तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ही देन है। संपूर्ण देश में छह एम्स खुले जाने का निर्णय उन्होंने लिया और उत्तराखंड में एम्स की स्थापना के लिए उन्होंने ऋषिकेश को चुना। इससे उनका ऋषिकेश के प्रति मोह स्पष्ट झलकता है। फरवरी 2004 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सुषमा स्वराज ने मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी की उपस्थिति में एम्स का शिलान्यास किया था। एनडी तिवारी ने भी राजनैतिक प्रतिद्वंदता को किनारे रख विकास की सोच को उजागर करते हुये मंच से अटल बिहारी वाजपेयी की मुक्तकंठ से प्रशंसा की थी।

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