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वनों की चुनौतियों से निपटें वनाधिकारी: डॉ. हर्ष वधर्न

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि वनों के सामने जलवायु परिवर्तन की चुनौती है और युवा वनाधिकारियों को इससे निपटने के लिए तैयार रहना होगा।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 23 Dec 2017 08:52 PM (IST)Updated: Sat, 23 Dec 2017 10:49 PM (IST)
वनों की चुनौतियों से निपटें वनाधिकारी: डॉ. हर्ष वधर्न
वनों की चुनौतियों से निपटें वनाधिकारी: डॉ. हर्ष वधर्न

देहरादून, [जेएनएन]: केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने भारतीय वन सेवा (आइएफएस) के परिवीक्षार्थियों के बैच 2017-19 का शुभारंभ करते हुए कहा कि वनों के सामने जलवायु परिवर्तन व ग्लोबल वार्मिंग की गंभीर चुनौती है और युवा वनाधिकारियों को इससे निपटने के लिए तैयार रहना होगा। इस बैच में आठ महिलाओं, दो विदेशी प्रशिक्षुओं समेत कुल 96 परिवीक्षार्थी शामिल हैं।

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शनिवार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी (आइजीएनएफए) में भारतीय वन सेवा के परिवीक्षार्थियों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने उम्मीद जताई कि अकादमी में जो प्रशिक्षण उन्हें मिलेगा, उसके बूते वह भविष्य में बेहतर वन प्रबंधन कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि देश की एक विशाल जनसंख्या आजीविका निर्वहन के लिए वनों पर निर्भर है। ऐसे में युवा अधिकारियों को सतत् विकास के पथ पर आगे बढ़ते हुए इन समुदाय के लिए भी काम करना होगा। 

वहीं, महानिदेशक वन सिद्धांत दास ने कहा कि आज वन प्रबंधन का मकसद लकड़ी से हटकर कार्बन स्टॉक पर है और युवा वनाधिकारियों को इसमें और इजाफा करने के प्रयास करना होगा। जबकि अकादमी के निदेशक डॉ. शशि कुमार ने प्रशिक्षण के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम के बाद में केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने परिवाक्षिर्थियों के लिए बनाए गए सरदार वल्लभभाई पटेल व्यायामशाला का उद्घाटन भी किया। इस अवसर पर डब्ल्यूआइआइ के निदेशक डॉ. वीबी माथुर, एफआरआइ की निदेशक डॉ. सविता, अपर प्राध्यापक डॉ. एस सेंथिल, डॉ. अजय कुमार, मीरा अय्यर आदि उपस्थित रहे। 

वनों की उत्पादकता घटना चिंताजनक

केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद व वन अनुसंधान संस्थान में चल रहे कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने वनों की घटती उत्पादकता पर चिंता जाहिर करते हुए वैज्ञानिक शोध के माध्यम से इसमें इजाफा करने पर बल दिया। साथ ही शोध कार्यों को आम जनता से जोडऩे की नसीहत दी।

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