कोटद्वार-लालढांग मार्ग की वन भूमि संबंधी बाधा दूर
गढ़वाल और कुमाऊं मंडलों को राज्य के भीतर ही सीधे आपस में जोड़ने वाली कंडी रोड (रामनगर-कालागढ़-कोटद्वार- लालढांग) के चिल्लरखाल (कोटद्वार)-लालढांग हिस्से की एक बड़ी बाधा दूर हो गई है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून
गढ़वाल और कुमाऊं मंडलों को राज्य के भीतर ही सीधे आपस में जोड़ने वाली कंडी रोड (रामनगर-कालागढ़-कोटद्वार- लालढांग) के चिल्लरखाल (कोटद्वार)-लालढांग हिस्से की एक बड़ी बाधा दूर हो गई है। सरकार ने लैंसडौन वन प्रभाग के अंतर्गत आने वाली इस सड़क के डामरीकरण को 0.9 हेक्टेयर वन भूमि को गैर वानिकी कार्याें के लिए लोनिवि को देने के आदेश दिए हैं। इससे करीब तीन किमी सड़क का डामरीकरण होगा और लोनिवि ने यह कार्य प्रारंभ भी कर दिया है। इस सड़क के बन जाने पर देहरादून से कोटद्वार के लिए करीब 22 किमी की दूरी कम हो जाएगी।
कंडी रोड दो हिस्सों में विभक्त है। इसका कोटद्वार-लालढांग का हिस्सा लैंसडौन वन प्रभाग के अंतर्गत है, जबकि कोटद्वार से रामनगर का भाग कार्बेट टाइगर रिजर्व से होकर गुजरता है। कोटद्वार- रामनगर को लेकर एनजीटी में मामला चल रहा है, लेकिन चिल्लरखाल (कोटद्वार)-लालढांग के मामले में केवल वन भूमि का पेच फंस रहा था।
सरकार ने इसका भी रास्ता निकाल लिया है। असल में यह सड़क पूर्व में डामरीकृत थी और विभागीय अभिलेखों में भी इसका जिक्र है। नियमानुसार, वन अधिनियम लागू होने से पहले वन क्षेत्र से गुजरने वाली जो सड़क डामरीकृत थी, उसके दोबारा डामरीकरण में वन अधिनियम बाधक नहीं बनेगा। इस क्रम में सरकार ने कदम बढ़ाए हैं।
वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत के अनुसार पूर्व में निर्मित चिल्लरखाल (कोटद्वार)-लालढांग मार्ग के डामरीकरण के लिए 0.9 हेक्टेयर वन भूमि को गैर वानिकी कार्याें के लिए लोनिवि को देने की स्वीकृति जारी कर दी गई है। इसके तहत करीब तीन किमी सड़क आएगी और लोनिवि ने सड़क के डामरीकरण का कार्य भी शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि कंडी रोड को लेकर सरकार गंभीर है।