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उत्तराखंड में फिक्स्ड चार्ज किया गया माफ, तो हर माह 60 करोड़ की लगेगी चपत

बिजली के फिक्स्ड चार्ज खत्म करने की उद्योगों की मांग को माना गया तो इससे हर महीने तकरीबन 60 करोड़ और सालाना करीब 792 करोड़ का भार ऊर्जा निगम या सरकार पर पड़ेगा।

By Edited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 03:01 AM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 10:11 PM (IST)
उत्तराखंड में फिक्स्ड चार्ज किया गया माफ, तो हर माह 60 करोड़ की लगेगी चपत
उत्तराखंड में फिक्स्ड चार्ज किया गया माफ, तो हर माह 60 करोड़ की लगेगी चपत

देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। उत्तराखंड में बिजली के फिक्स्ड चार्ज खत्म करने की उद्योगों की मांग को माना गया तो इससे हर महीने तकरीबन 60 करोड़ और सालाना करीब 792 करोड़ का भार ऊर्जा निगम या सरकार पर पड़ेगा। फिलहाल निगम और राज्य सरकार दोनों ही इस मांग से सहमे हैं। मामले में निगाहें केंद्र सरकार पर टिकी हैं। 

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केंद्र को भी राहत देने के लिए टैरिफ के मौजूदा नियमों में बदलाव करना होगा। कोरोना संकट के चलते करीब तीन माह से बंद उद्योगों की प्रमुख मांग बिजली के फिक्स्ड चार्ज को माफ करने की है। हालांकि, उद्योग उपभोग में लाई गई बिजली के बिल के भुगतान को राजी हैं। राज्य सरकार उद्योगों को फिक्स्ड चार्ज का भुगतान जून के बाद करने की राहत दे चुकी है। उद्योगों की फिक्स्ड चार्ज माफी की माग से सरकार और ऊर्जा निगम के हाथ-पाव फूले हैं। वजह ये है कि ऊर्जा निगम को बिजली उत्पादन कंपनियों से बिजली लगातार खरीद रहे हैं। 

इसका भुगतान बैंक से कर्ज लेकर किया जा रहा है। फिक्स्ड चार्ज में राहत देने का एक रास्ता रिटर्न ऑन इक्विटी (आरओई) है। यह बिजली की कीमत पर लगने वाला करीब 15 फीसद ब्याज है। यह आरओई भी बिजली के टैरिफ का हिस्सा है। लॉकडाउन अवधि में आरओई शून्य या कम करने पर उद्योगों को फिक्स्ड चार्ज में राहत मिल सकती है। ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक बीसीके मिश्रा का कहना है कि फिक्स्ड चार्ज माफ होने करने के लिए केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग और राज्य विद्युत नियामक आयोग के संबंधित अधिनियमों में संशोधन की दरकार है। टैरिफ में बदलाव किए बगैर यह फैसला आसान नहीं होगा। वहीं, ऊर्जा सचिव राधिका झा का कहना है कि इस मामले में केंद्र सरकार कोई फैसला लेती है तो उसे राज्य में लागू किया जाएगा। 

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ऊर्जा खपत में गिरावट प्रतिदिन सिर्फ 33 एमयू 

राज्य में जून के माह में बिजली की खपत बढ़कर प्रतिदिन 44 या 45 मिलियन यूनिट प्रतिदिन पहुंच जाती है। इसमें सिर्फ उद्योग व कारोबार जगत की हिस्सेदारी करीब 28 मिलियन यूनिट प्रतिदिन होती है। लॉकडाउन में राज्य में बिजली की माग सिर्फ करीब 28 मिलियन यूनिट तक सिमट गई थी। उद्योगों के पूरी क्षमता से काम करने पर ऊर्जा खपत में भी इजाफा होगा। अभी उद्योगों के शुरू होने से यह माग करीब 33 या 34 मिलियन यूनिट प्रतिदिन पर पहुंच गई है।

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