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काठ के हिरन नृत्य के साथ मनाया गया बूढ़ी दीवाली का त्‍योहार

जनजातीय क्षेत्र के कई ग्रामीण इलाकों में आयोजित पांच दिवसीय बूढ़ी दीवाली का सोमवार को लोक-नृत्य की परम्परागत प्रस्तुति के साथ समापन हो गया।

By Edited By: Published: Mon, 10 Dec 2018 08:36 PM (IST)Updated: Tue, 11 Dec 2018 11:44 AM (IST)
काठ के हिरन नृत्य के साथ मनाया गया बूढ़ी दीवाली का त्‍योहार
काठ के हिरन नृत्य के साथ मनाया गया बूढ़ी दीवाली का त्‍योहार

देहरादून, जेएनएन। सोमवार को जौनसार के कोरुवा में काठ के हिरन नृत्य के साथ पांच दिवसीय बूढ़ी दीवाली का समापन हुआ। काठ के हिरन पर गांव के स्याणा ने परम्परागत नृत्य की शानदार प्रस्तुति से सबका मनमोहा। जंगल के राजा गेपडू का मुखौटा पहने ग्रामीणों ने तीर-कमान से निशाना साध हिरन को घायल कर दिया और राजा की दो रानियां लेकर चला गया। हिरन नृत्य के बाद महिलाओं ने ढोल-दमोऊ की थाप पर हारुल के साथ जौनसारी तांदी-नृत्य की प्रस्तुति से समा बांधा। जौनसार के बमटाड़ खत के कोरुवा गांव में बूढ़ी दीवाली की रंगत सबसे अलग है।

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जनजातीय क्षेत्र के कई ग्रामीण इलाकों में आयोजित पांच दिवसीय बूढ़ी दीवाली का सोमवार को लोक-नृत्य की परम्परागत प्रस्तुति के साथ समापन हो गया। जबकि क्षेत्र के कुछ अन्य गांवों में मंगलवार सुबह हाथी नाच के साथ बूढ़ी दीवाली का समापन होगा।

बूड़ी दीवाली के समापन पर साहिया क्षेत्र के कोरुवा गांव में काठ का हिरन बनाया गया। लोक मान्यतानुसार कोरुवा में गांव स्याणा चमन सिंह के पुत्र बलवीर सिंह तोमर ने काठ के हिरन को नचाया। बूढ़ी दीवाली के अंतिम दिन काठ के हिरन नृत्य को देखने के लिए आसपास क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग कोरुवा गांव पहुंचे।

ग्रामीणों ने सबसे पहले कोरुवा के महासू देवता मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद राजशाही पोशाक पहने गांव स्याणा ने पंचायत आंगन में काठ के हिरन पर बैठकर परम्परागत नृत्य की शानदार प्रस्तुति से सबका मनमोहा। हिरन नाच के दौरान जंगल के राजा बने गेपडू का मुखौटा पहनकर आए कुछ लोगों ने तीर-कमान से निशाना साध हिरन को घायल किया। हिरन को घायल कर जंगल का राजा गेपडू राजा की दो रानियां लेकर चला गया। हिरन नाच के बाद पंचायती आंगन देर शाम तक लोक नृत्य की प्रस्तुति से गुलजार रहे। 

बूढ़ी दीवाली के समापन अवसर पर बड़ी संख्या में जौनसारी परम्परागत पोशाक पहने ग्रामीण महिलाओं ने ढोल-दमोऊ व रणसिघें की थाप पर हारुल के साथ तांदी, जैंता व रासौ नृत्य की शानदार प्रस्तुति से नई पीढ़ी को जौनसारी समाज की विरासतन पौराणिक लोक संस्कृति से रुबरु कराया। हिरन नृत्य के साथ पर्वतीय क्षेत्र जौनसार की बूढ़ी दीवाली का समापन हो गया। इस मौके पर ग्रामप्रधान सुनीता तोमर, जवाहर सिंह, केशर सिंह, विरेंद्र  सिंह, भगत सिंह, संतन सिंह, हुकम सिंह, कुंवर सिंह, गजेंद्र सिंह, अर्जुन सिंह व सुरेंद्र तोमर आदि मौजूद रहे।

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