रिटायर्ड अफसर को पांच, तो फर्जी एजेंट को चार साल की सजा; जानिए पूरा मामला
रिटायर्ड अफसर और फर्जी एजेंट को विशेष न्यायाधीश सीबीआइ सुजाता सिंह की कोर्ट ने कैद की सजा सुनाई है।
देहरादून, जेएनएन। नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के रिटायर्ड डेवलपमेंट अफसर को विशेष न्यायाधीश सीबीआइ सुजाता सिंह की कोर्ट ने मंगलवार को पांच साल कैद व 2.70 लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। वहीं फर्जी एजेंट को चार वर्ष कैद और पंद्रह हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। डीओ और एजेंट को वर्ष 2003-04 के दौरान केंद्र सरकार की स्वर्ण जयंती स्वरोजगार योजना में 1.92 लाख रुपये का घोटाला करने का दोषी पाया गया है।
सीबीआइ के अधिवक्ता अभिषेक अरोड़ा ने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2002 में स्वर्ण जयंती स्वरोजगार योजना के लाभार्थियों के प्रीमियम जमा कराने के लिए नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से एमओयू साइन किया। इसके तहत लाभार्थी को 189 रुपये का प्रीमियम जमा करना था। प्रीमियम की यह धनराशि खंड विकास अधिकारी के माध्यम से जमा होनी थी। लेकिन एनआइसीएल के देहरादून आफिस में तैनात डीओ लक्ष्मण प्रसाद भट्ट निवासी ग्राम बम्मन पोस्ट जखोली जिला रुद्रप्रयाग ने खेल करना शुरू कर दिया। उसने अपने गांव के एक युवक दीपक भट्ट और अनिल डोभाल निवासी ग्राम नकोट पोस्ट मंदाकिनी टिहरी गढ़वाल को देहरादून बुला लिया।
लक्ष्मण ने दीपक और अनिल को फर्जी एजेंट बनाकर उनके जरिए लाभार्थियों से सीधे प्रीमियम जमा कराना शुरू कर दिया। यही नहीं इसके लिए उसने अपने नाम से एक खाता भी खुलवाया। वर्ष 2003-04 में यह घोटाला सामने आया। प्रारंभिक जांच के बाद सीबीआइ ने 12 मार्च 2009 को आइपीसी की धारा 120बी, 420 और 13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया।
सुनवाई के दौरान अनिल डोभाल सरकारी गवाह बन गया। अदालत सीबीआइ की ओर से पेश साक्ष्यों को मद्देनजर रखते हुए सजा का ऐलान कर दिया। सीबीआइ की ओर से 32, जबकि बचाव पक्ष की ओर से दो गवाह पेश किए गए। रिटायर्ड डीओ को अर्थदंड अदा न करने पर एक साल और फर्जी एजेंट को तीन माह की सजा भुगतनी होगी। सीबीआइ ने अदालत को बताया कि लक्ष्मण प्रसाद भट्ट वर्ष 2006 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुका है।
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