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हिमालयी भालू के पांच शिकारियों को पांच साल कैद की सजा

हिमालयी काले भालू का शिकार करने के दोषी पांच शिकारियों को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विवेक श्रीवास्तव की अदालत ने पांच-पांच साल सश्रम कैद की सजा सुनाई है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 05 May 2019 02:26 PM (IST)Updated: Sun, 05 May 2019 02:26 PM (IST)
हिमालयी भालू के पांच शिकारियों को पांच साल कैद की सजा
हिमालयी भालू के पांच शिकारियों को पांच साल कैद की सजा

देहरादून, जेएनएन। संरक्षित श्रेणी के हिमालयी काले भालू का शिकार करने के दोषी पांच शिकारियों को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) विवेक श्रीवास्तव की अदालत ने पांच-पांच साल सश्रम कैद की सजा सुनाई है। एक शिकारी की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई थी, जबकि एक को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया गया है। 

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सरकारी अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि 19 मई 2007 को वन रक्षक नीलकंठ शर्मा को सूचना मिली कि देहरादून के पास दूधली स्थित वकारना के जंगल में कुछ शिकारी देखे गए हैं। शर्मा ने यह जानकारी वन विभाग के अधिकारियों को दी। टीम ने आरक्षित वन क्षेत्र में छह लोगों को घूमते देखा गया। पूछताछ में शिकारियों की पहचान सुरेश पुत्र जयपाल सिंह और कबूलचंद पुत्र ध्यान सिंह निवासी ग्राम हल्दूवाला पोस्ट घंघोड़ा देहरादून, दीवान सिंह पुत्र मायाराम, जगत सिंह पुत्र इंदर सिंह व सोबत सिंह पुत्र इंद्र सिंह निवासीगण ग्राम टकराना पोस्ट द्वारागढ़ टिहरी गढ़वाल, सुंदर सिंह पुत्र भवान सिंह निवासी ग्राम चडोगी पोस्ट हारघाट टिहरी गढ़वाल के रूप में हुई। 

तलाशी के दौरान सुंदर सिंह की जेब से पॉलीथिन में पैक  भालू का पित्त और जगत सिंह की जेब से भी अन्य अंग बरामद हुए। पूछताछ में आरोपितों ने स्वीकार किया कि उन्होंने 15 मई 2007 को भालू को तीन गोलियां मारी थीं। कुछ अंगों को निकालने के बाद भालू के शव को जंगल में दफन कर दिया। शिकारियों की निशानदेही पर भालू का शव बरामद कर लिया गया। बाद में पुलिस ने तीनों के घर की तलाशी ली, लेकिन बंदूक बरामद नहीं हुई। सुनवाई के दौरान अभियुक्त सूरत सिंह की मृत्यु हो गई। वहीं, सोबत सिंह को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया। 

अदालत ने सजा का एलान करते हुए कहा कि सुरेश, कबूल चंद, दीवान सिंह, जगत सिंह और सुंदर सिंह ने संरक्षित प्रकृति के हिमालयी काले भालू का शिकार किया है। यह गंभीर अपराध है। ऐसी स्थिति अदालत पांच शिकारियों को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 9, जो अधिनियम की धारा 51 के तहत पांच-पांच वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। वहीं, सभी दोषियों पर दस-दस हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है, जिसे अदा न करने पर एक-एक माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। 

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