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कोटद्वार नगर निगम: सियासी विरासत पर कब्जे की जंग

कोटद्वार में नगर निगम का पहला महापौर बनने के लिए चल रही सियासी जंग में दोनों राष्ट्रीय पार्टियों ने प्रत्याशी के रूप में आम कार्यकर्ता की बजाए सियासी विरासत को तवज्जो दी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 01:03 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 01:03 PM (IST)
कोटद्वार नगर निगम: सियासी विरासत पर कब्जे की जंग
कोटद्वार नगर निगम: सियासी विरासत पर कब्जे की जंग

देहरादून, [विकास धूलिया]: निकाय चुनाव में यूं तो सूबे के सात नगर निगमों में भाजपा और कांग्रेस की प्रतिष्ठा सीधे तौर पर दांव पर लगी है, लेकिन इनमें से कोटद्वार नगर निगम का चुनाव सबसे दिलचस्प नजर आ रहा है। गढ़वाल के प्रवेशद्वार के रूप में पहचाने जाने वाले कोटद्वार में नगर निगम का पहला महापौर बनने के लिए चल रही सियासी जंग में दोनों राष्ट्रीय पार्टियों ने प्रत्याशी के रूप में आम कार्यकर्ता की बजाए सियासी विरासत को तवज्जो दी। सत्तारूढ़ भाजपा ने अपने लैंसडौन क्षेत्र के विधायक दिलीप रावत की पत्नी नीतू रावत को प्रत्याशी बनाया तो भला कांग्रेस कैसे पीछे रहती।

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कांग्रेस ने पूर्व मंत्री व पूर्व स्थानीय विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी की पत्नी हेमलता नेगी को मैदान में उतार दिया। दिलचस्प बात यह कि पारिवारिक विरासत को भाजपा की बागी विभा चौहान ने भी आगे बढ़ाते हुए मैदान में ताल ठोक दी। विभा चौहान के पति धीरेंद्र चौहान भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष हैं। यह बात दीगर है कि 'छोटी सरकार' के चुनाव में भी सियासी विरासत पर कब्जे की इस जंग से झंडा-डंडा उठाने वाला आम कार्यकर्ता स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहा है।

पहली दफा निगम के चुनाव

कोटद्वार नगर निगम अभी हाल ही में वजूद में आया है। यह पहला अवसर है, जब मतदाता महापौर व नगर निगम पार्षद चुनने के लिए वोट करेंगे। नगर पालिका को उच्चीकृत कर निगम बनाने के क्रम में कुल 73 गांवों को नगर निगम क्षेत्र में शामिल किया गया है। पहले कोटद्वार नगर पालिका में मतदाता संख्या लगभग 27 हजार थी, लेकिन अब1.05 लाख से ज्यादा लोग निगम चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। निकाय क्षेत्र के विस्तार के लिहाज से कोटद्वार नगर निगम क्षेत्र का विस्तार राज्य में सबसे ज्यादा हुआ और इसी लिहाज से मतदाता संख्या में इजाफा भी हुआ है। अब कोटद्वार निगम क्षेत्र लगभग कोटद्वार विधानसभा के बराबर ही है, महज कालागढ़ का क्षेत्र ही निगम में शामिल नहीं है।

मैदान में कुल नौ प्रत्याशी

महिला आरक्षित कोटद्वार नगर निगम महापौर पद के लिए कुल नौ प्रत्याशी मैदान में हैं। भाजपा, कांग्रेस, उत्तराखंड क्रांति दल, बसपा, लोक जनशक्ति पार्टी के अलावा चार निर्दलीय प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। भाजपा से नीतू रावत, कांग्रेस से हेमलता नेगी, उक्रांद से ऊषा सजवाण, बसपा से शोभा बहुगुणा भंडारी और लोजपा से रजनी थपलियाल तो निर्दलीय के रूप में विभा चौहान, सुधा सती, शशि नैनवाल और कलावती देवी ताल ठोक रहीं हैं। महत्वपूर्ण बात यह कि तीन निर्दलीय प्रत्याशी भाजपा से बगावत कर चुनाव लड़ रही हैं। भाजपा ने हाल ही में इन्हें पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित किया है।

यहां कुनबापरस्ती जिंदाबाद

भाजपा प्रत्याशी नीतू रावत के पति दिलीप रावत नजदीकी लैंसडौन विधानसभा क्षेत्र की दूसरी बार नुमाइंदगी कर रहे हैं। दिलीप रावत स्वयं पूर्व विधायक स्व. भारत सिंह रावत की सियासी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। भारत सिंह रावत अविभाजित उत्तर प्रदेश पांच बार विधायक रहे। उत्तराखंड की पहली अंतरिम विधानसभा के भी वह सदस्य थे। कांग्रेस प्रत्याशी हेमलता नेगी के पति सुरेंद्र सिंह नेगी अविभाजित उत्तर प्रदेश में दो बार विधायक बने। उत्तराखंड के अस्तित्व में आने के बाद वह वर्ष 2002 व 2012 में विधायक चुने गए और प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। भारत सिंह रावत और सुरेंद्र सिंह नेगी इस क्षेत्र में पारंपरिक राजनैतिक प्रतिद्वंद्वी रहे हैं। अब मौका नगर निगम के पहले चुनाव का आया, तो भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही पार्टियों ने कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करते हुए इन्हीं परिवारों को मैदान में उतार दिया। यही नहीं, चुनाव में दावेदारी कर रहीं निर्दलीय विभा चौहान भाजपा द्वारा नीतू रावत को प्रत्याशी बनाए जाने से खफा होकर मैदान में उतरीं, लेकिन वह स्वयं भी सियासी विरासत की ही संवाहक हैं। विभा चौहान अपने पति पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष धीरेंद्र चौहान की राजनीतिक जमीन पर भरोसा कर चुनाव लड़ रही हैं।

सियासी तजुर्बा नहीं पैमाना

महापौर पद की इन तीनों प्रत्याशियों की एकमात्र योग्यता इनकी पारिवारिक विरासत ही है। स्वयं के राजनैतिक अनुभव के मामले में इन्हें अभी नौसिखिया ही कहा जा सकता है। हालांकि भाजपा प्रत्याशी नीतू रावत पूर्व में जहरीखाल विकासखंड में सिलवाड़ क्षेत्र पंचायत से सदस्य रही हैं। बसपा प्रत्याशी शोभा बहुगुणा भंडारी यूं तो राजनीति में स्थानीय स्तर पर सक्रिय रही हैं लेकिन कोई अहम जिम्मेदारी इनके पास नहीं रही। उक्रांद प्रत्याशी ऊषा सजवाण एसएसबी की सेवानिवृत्त अधिकारी जरूर हैं लेकिन राजनीति में नई हैं। दो निर्दलीय प्रत्याशी इस लिहाज से अनुभवी कही जा सकती हैं। शशि नैनवाल कोटद्वार नगर पालिका की अध्यक्ष रह चुकी हैं। इसी तरह सुधा सती भी पौड़ी जिला पंचायत सदस्य रही हैं।

अपने दावे, अपनी बात

  • हेमलता नेगी का कहना है कि सीधे तौर पर राजनीति में नहीं रही। हालांकि, हमेशा सुरेंद्र सिंह नेगी जी के साथ खड़ी रहती थी। उनके चुनाव प्रचार में बढ़-चढ़कर भागीदारी करने के दौरान जनता का बेहद स्नेह मिला। जनता का यही स्नेह कोटद्वार की नई तस्वीर बनाने में कारगर साबित होगा।
  • नीतू रावत का कहना है कि क्षेत्र पंचायत सदस्य रहने के कारण विकास कार्य किस तरह करवाए जाते हैं, इसका तजुर्बा है। कोटद्वार नगर निगम में स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के विकास को योजनाएं बनाकर उनके क्रियान्वयन का प्रयास किया जाएगा।
  • ऊषा सजवाण  का कहना है कि मैं एसएसबी से सेवानिवृत्त हुई हूं। राजनैतिक दलों के हाथों की कठपुतली बन कार्य करने के बजाए मैं क्षेत्र के विकास को कार्य करूंगी। अन्य प्रत्याशियों ने अपना घोषणा पत्र आज तक जारी नहीं किया, लेकिन मैंने अपना 15 सूत्रीय घोषणापत्र अक्टूबर में ही घोषित कर दिया था।
  • विभा चौहान का कहना है कि राजनीति से मेरा कभी कोई वास्ता नहीं रहा, इस कारण मेरी सोच आमजन की तरह है। क्षेत्र का विकास किस तरह हो, आमजन से बेहतर यह कोई नहीं बता सकता। मेरी प्राथमिकता जनता को कोटद्वार की तमाम समस्याओं से निजात दिलाने की होगी।

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