हल्द्वानी,गढ़वाल,हरिद्वार:: पहली बार केदारनाथ प्रवास पर निकले बाशिक महासू
संवाद सूत्र, त्यूणी: जौनसार-बावर के कुल आराध्य महासू देवता के बड़े भाई बाशिक महासू की दे
संवाद सूत्र, त्यूणी: जौनसार-बावर के कुल आराध्य महासू देवता के बड़े भाई बाशिक महासू की देव पालकी रविवार को गाजे-बाजे के साथ केदारनाथ धाम के लिए रवाना हुई। डोली यात्रा में करीब 200 कारसेवक शामिल हैं। पहली बार शाही स्नान को निकले बाशिक महासू 12 दिन की पदयात्रा के बाद तीन मई को केदारनाथ धाम पहुंचेंगे। डोली के हनोल पहुंचने तक रास्ते में जगह-जगह श्रद्धालुओं देवदर्शन किए।
जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर के सिद्धपीठ श्री महासू मंदिर हनोल में चार भाई महासू देवता का प्राचीन मंदिर है। महासू देवता एक नहीं, बल्कि चार देवताओं का सामूहिक नाम है। स्थानीय भाषा में महाशिव को ही महासू कहा जाता है। क्षेत्रवासी उन्हें कुल देवता के रूप में पूजते हैं। पांडवकालीन महत्व के प्राचीन मंदिर हनोल में दूसरे नबंर के भाई बोठा महासू का मुख्य मंदिर भी है। चारों भाई महासू में बड़े भाई बाशिक महासू का मंदिर मैंद्रथ में है। तीसरे नंबर के भाई पवासी महासू का मंदिर उत्तरकाशी जिले के सीमावर्ती क्षेत्र बंगाण के ठडियार गांव में है। जबकि, चौथे नंबर के सबसे छोटे भाई चालदा महासू का चलता राज होने से वे इन दिनों हिमाचल प्रवास पर थरोच गांव के मंदिर में विराजमान हैं।
मान्यता है कि चालदा महासू बारहों महीने जौनसार-बावर, बंगाण, फतह-पर्वत व हिमाचल क्षेत्र के प्रवास पर रहते हैं। कारसेवकों के अनुसार कुछ दिन पहले बाशिक महासू ने अपने पश्वा के माध्यम से पहली बार बाबा केदार से मिलने की इच्छा जताई थी। देवता के आदेश पर क्षेत्रीय लोगों ने पंचायत बुलाकर केदारनाथ धाम जाने की तैयारी शुरू की। तय कार्यक्रम के अनुसार रविवार को बाशिक महासू की देव पालकी गाजे-बाजे के साथ मैंद्रथ मंदिर से केदारनाथ धाम के प्रवास पर निकाली। महासू की पदयात्रा का पहला पड़ाव महासू मंदिर हनोल में था। अन्य पड़ाव पुरोला, बड़कोट, देवीधार, धौंतरी, बूढ़ाकेदार, घनसाली, चिरबटिया, तिलवाड़ा, गुप्तकाशी, गौरीकुंड व केदारनाथ में है। बारह दिन की पैदल यात्रा के बाद तीन मई को बाशिक महासू शाही स्नान को केदारनाथ धाम पहुंचेंगे। रविवार शाम हनोल पहुंचने पर श्रद्धालुओं ने देवता से मन्नतें मांगीं। सोमवार सुबह बाशिक महासू पुरोला के लिए प्रस्थान करेंगे। इस मौके पर शांठीबिल के वजीर दीवान ¨सह राणा, पांशीबिल के बजीर जयपाल ¨सह पंवार, देवमाली भवान ¨सह, एनडी पंवार, मोहनलाल सेमवाल, हरीश राजगुरु, कूणा के प्रधान रघुवीर ¨सह पंवार, कोटी-बावर के प्रधान दिनेश चौहान, ब्रह्मानंद शर्मा, साबेह ¨सह राणा, कलगराम चौहान, नरेंद्र नौटियाल, पूरणनाथ राजगुरु, रोशनलाल, विनोद वर्मा, नत्थी प्रसाद, जयकिशन, रमेश ¨सह, मोहनलाल आदि मौजूद रहे।