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गद्दे के गोदाम में भीषण आग, पिता को खाना देने पहुंचा किशोर जिंदा जला; मौत

गद्दे के गोदाम में लगी आग से एक किशोर की मौत हो गई। आग पर काबू पाने में दमकलकर्मियों को करीब एक घंटे कड़ी मशक्कत करनी पड़ी

By Edited By: Published: Tue, 28 May 2019 09:09 PM (IST)Updated: Wed, 29 May 2019 08:34 AM (IST)
गद्दे के गोदाम में भीषण आग, पिता को खाना देने पहुंचा किशोर जिंदा जला; मौत
गद्दे के गोदाम में भीषण आग, पिता को खाना देने पहुंचा किशोर जिंदा जला; मौत

देहरादून, जेएनएन। चंद्रबनी में गद्दे के गोदाम में लगी आग के दौरान एक किशोर जिंदा जल गया। आग ने इतना विकराल रूप ले लिया था, कि उस पर काबू पाने के लिए दमकल कर्मियों को चार गाड़ियों की मदद से करीब एक घंटे तक कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। डॉक्टर प्रथमदृष्टया किशोर की मौत का कारण दम घुटना बता रहे हैं। हालांकि, गोदाम से बाहर निकलने की जद्दोजहद में उसका शरीर काफी झुलस गया था।

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पुलिस के अनुसार, पटेलनगर कोतवाली क्षेत्र के चंद्रबनी में यूनियन बैंक वाली गली में रमेश चतुर्वेदी मूल निवासी सब्जी मंडी दर्शनपुरवा, कानपुर, उप्र का दो मंजिला मकान है। मकान के निचले हिस्से में फॉम के गद्दे का गोदाम है और ऊपर की मंजिल पर रमेश का परिवार रहता है। रमेश इन दिनों किसी काम से देहरादून से बाहर गए हुए हैं। उन्होंने कुछ समय पहले राजमिस्त्री पप्पू हाल निवासी पित्थूवाला मूल निवासी ग्राम बड़ा बरसोला कला विकासखंड निघासन, जिला लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश से मकान में निर्माण कार्य कराया था। तब से वह उनके संपर्क में था। 

पप्पू मंगलवार को रमेश के मकान से चंद कदम की दूरी पर काम कर रहा था। उसके बेटे ने यह जगह नहीं देखी थी, लिहाजा जब वह खाना लेकर पहुंचा तो पप्पू भी वहीं आ गया। खाना खाने के बाद पप्पू तो काम पर लौट गया, लेकिन उसका बेटा राहुल (17 वर्ष) धूप अधिक होने के कारण गोदाम में ही आराम करने लगा। इस बीच गद्दे के गोदाम में अचानक आग लग गई। आग बढ़ते देख गोदाम में काम करने वाले रोहताश, बॉबी और गुड्डू भाग कर बाहर आ गए, लेकिन पीछे के कमरे में आराम कर रहे राहुल की आंख लग गई थी जिससे उसे बाहर हो रहा शोर-शराबा सुनाई नहीं दिया। 

इस बीच लोग शोर मचाकर राहुल को लगातार बुलाते रहे। थोड़ी देर बाद उसकी नींद खुली, लेकिन तब तक आग पूरे गोदाम में फैल चुकी थी और उसकी लपटें ऊपरी मंजिल तक पहुंचने लगी थीं। इधर, सूचना मिलने पर आइएसबीटी चौकी इंचार्ज कमलेश शर्मा पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और खुद ही बाल्टी आदि से पानी भरकर आग बुझाने की कोशिश करने लगे। करीब बीस मिनट बाद दमकल की एक-एक कर चार गाडिय़ां पहुंची और करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। तब पुलिस कर्मियों ने राहुल को बाहर निकाला, मगर तब तक वह झुलस और बेहोश हो चुका था। 

एंबुलेंस से उसे तत्काल कोरोनेशन अस्पताल पहुंचाया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मुख्य अग्निशमन अधिकारी राय सिंह राणा ने बताया कि प्रथमदृष्टया आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट होना प्रतीत हो रहा है। जांच के बाद असल कारणों के बारे में पता चल सकेगा। घटना की जानकारी मिलने पर सीओ लोकजीत सिंह, एसएसआइ पटेलनगर सचिन पुंडीर भी मौके पर पहुंच गए थे।

तमाशबीन बने रहे स्थानीय लोग

समय रहते यदि स्थानीय लोग हिम्मत दिखाते तो संभव था कि राहुल की जान बच जाती। मगर आग लगने के बाद मकान से धुंआ और ऊंची लपटें उठने लगीं तो लोग तमाशबीन बन गए। कुछेक लोगों ने आग पर काबू पाने की कोशिश की भी तो उन्हें भीड़ का कोई सहयोग नहीं मिला, लिहाजा उन्हें भी पीछे हटकर पुलिस और दमकलकर्मियों के आने का इंतजार करना पड़ा। अफसोस यह कि इस दौरान तमाम लोग मोबाइल से आग का वीडियो बनाने लगे।

नहीं थे अग्निसुरक्षा के उपाय

मकान में व्यवसायिक गतिविधि चल रही थी और वहां लोग काम भी करते थे। फॉम अन्य वस्तुओं की अपेक्षा जल्दी आग पकड़ता है। ऐसे में यहां अग्नि सुरक्षा के उपाय अनिवार्य रूप से होने चाहिए। मगर यहां तो ऊपर की मंजिल से नीचे आने का रास्ता भी एक ही था। गनीमत थी कि ऊपर की मंजिल पर कोई नहीं था। एफएसओ राय सिंह राणा ने बताया कि इस पर जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

नौ संस्थानों को थमाया नोटिस

अग्निशमन विभाग की ओर से सूरत की घटना को लेकर जांच अभियान मंगलवार को भी जारी रहा। मंगलवार को अग्नि सुरक्षा उपायों को पूरा न करने पर देहरादून शहर के दून डिफेंस एकेडमी करनपुर, प्रदीप सचदेवा कॉम्पलेक्स करनपुर और करियर प्वाइंट करनपुर को नोटिस दिया गया। वहीं, सेलाकुई में ऐरो क्लब की चार यूनिट, वास मुस कंपनी व दून पीजी इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड मेडिकल को नोटिस दी गई।

तंग गली-बाजारों के लिए चेतावनी चंद्रबनी अग्निकांड

शहर की तंग गलियों, मोहल्लों व कॉलोनियों के लिए चंद्रबनी अग्निकांड चेतावनी तो है ही, अग्नि सुरक्षा के उपायों को हल्के में लेने का सबक भी। चंद्रबनी में यूनियन बैंक की जिस गली में आग लगने की घटना हुई, वहां दमकल की बड़ी गाड़ियां भले ही आसानी से पहुंच गई, लेकिन शहर के कई ऐसे इलाके हैं, जहां बड़ी गाड़ियां तो दूर अग्निशमन की जीप भी नहीं पहुंच सकती। 

ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि संकरे मार्ग वाले इलाकों में आग लगी तो परिणाम गंभीर हो सकते हैं। देहरादून में विकास का पहिया जितनी तेजी से चला, उतनी ही तेजी से कॉलोनियां व बस्तियां भी वजूद में आई। यहां मकान, दुकान के साथ व्यवसायिक काम्पलेक्स तक खड़े तो हो गए, लेकिन आग से सुरक्षा के इंतजामों की सिरे से अनदेखी कर दी गई। 

गाहे-बगाहे इसके दुष्परिणाम सामने भी आते रहे, मगर सिस्टम के जिम्मेदारों की तंद्रा अब तक नहीं टूटी। हालांकि सूरत की वारदात के बाद अग्निशमन विभाग ने अग्नि सुरक्षा उपायों की अनदेखी करने वालों के खिलाफ सख्ती दिखने का दावा तो किया, लेकिन तंग गलियों, बस्तियों को अभी तक उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। मोती बाजार, मच्छी बाजार, डिस्पेंसरी रोड, पलटन बाजार समेत शहर के रायपुर, राजपुर, पटेलनगर आदि इलाकों में ऐसी दर्जनों बस्ती और कालोनियां हैं, जहां बाइक भी बड़ी मुश्किल से प्रवेश कर पाती है। ऐसे में चंद्रबनी अग्निकांड से तंत्र ने सबक नहीं लिया तो अभी पूरा फायर सीजन पड़ा है और कभी भी बड़ी वारदात फिर सामने आ सकती है। 

अतिक्रमण में दब गए 68 फायर हाइड्रेंट 

अतिक्रमण से न सिर्फ आम नागरिकों को परेशान कर रखा है, बल्कि दूनवासियों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़ा कर दिया है। अफसर चिंतित तो हैं, लेकिन उनकी चिंता सिर्फ फाइलों तक ही सिमटी दिख रही है। जानकर हैरानी होगी कि शहर के 68 स्थानों पर लगे फायर हाइड्रेंट लापता हो गए हैं। फायर सीजन शुरू होने के साथ शुरू हुई आग लगने की छिटपुट घटनाओं से अग्निशमन विभाग सकते में है। 

जल संस्थान की ओर से शहर में बिछाई गई पाइप लाइनों से अग्निशमन विभाग की गाड़ियों को पानी मिलता है, जिससे उन्हें आग बुझाने के लिए पानी के लिए भटकना नहीं पड़ता। इसके लिए शहर के प्रमुख स्थानों, मोहल्लों व कालोनियों के प्रवेश मार्गो पर हाइड्रेंट का निर्माण किया जाता है। मगर बीते दिनों फायर सीजन की तैयारियों के दौरान जब अग्निशमन विभाग ने शहर का भ्रमण कर हाइड्रेंट की स्थिति जांची तो वह मिले ही नहीं। 

पता चला कि ज्यादातर हाइड्रेंट सड़क मरम्मत के दौरान या तो नीचे दब गए या फिर स्थानीय दुकानदारों ने मिट्टी आदि पाट कर निर्माण कर लिया। यह स्थिति देख अग्निशमन विभाग के कर्मियों के माथे पर फायर सीजन शुरू होने के पहले ही पसीने की बूंदें छलकने लगी थी। इसकी वजह यह है कि हाइड्रेंट लापता होने की स्थिति आग बुझाने गए दमकल में पानी खत्म होने की स्थिति में विभाग को मौके पर दूसरी गाड़ी भेजनी पड़ेगी। 

स्थिति तब और चुनौतीपूर्ण हो जाएगी जब एक साथ दो-तीन जगह आग लगने की घटनाएं होंगी। ऐसे में विभाग ने समस्या का हल तलाशने के लिए जल संस्थान से संपर्क किया है। ऐसे में शहर क्षेत्र में स्थित 90 के करीब ओवरहेड टैंकों का ही भरोसा रह गया है। मगर इनसे पानी लेने के लिए अग्निशमन विभाग को जल संस्थान से अनुमति लेनी होगी। 

साल दर साल बढ़ रहे अग्निकांड 

लगातार बढ़ रहे तापमान का असर अग्निकांडों पर भी पड़ा है। वर्ष 2015 में जिले में कुल 436 आग लगने की घटनाएं हुई थीं, जिसमें 2.75 करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ था। वहीं, वर्ष 2016 में कुल 609 अग्निकांडों की सूचना अग्निशमन विभाग को मिली थी। इसमें 5.26 करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ था। वर्ष 2017 में 462 अग्निकांड हुए, जिसमें 1.65 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ। वहीं, वर्ष 2018 में 471 अग्निकांड में 1.39 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ। 

चार हाइड्रेंट हैं सही सलामत 

- बन्नू स्कूल ग्राउंड 

- सर्वे चौक 

- दिलाराम बाजार 

- इंदिरानगर, वसंत विहार 

तंग गलियों में बाइस सेट की व्यवस्था 

अग्निशमन अधिकारी, देहरादून राय सिंह राणा के अनुसार, यह सही है कि शहर के सभी हाइड्रेंट अतिक्रमण में सड़क के नीचे दब गए हैं। इसकी जानकारी संबंधित विभाग को दे दी गई है। साथ ही जल संस्थान से ओवरहेड टैंकों से पानी लेने का इंतजाम करने को कहा गया है। वहीं, तंग गलियों व बाजारों में आग बुझाने के लिए बाइक सेट भी मौजूद हैं।   

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