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सूचना छिपाने पर आइआइटी रुड़की के प्रोफेसर पर 25 हजार जुर्माना लगाया

आइआइटी रुड़की के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में तैनात प्रो. प्रदीप गर्ग को सूचना छिपाने का दोषी पाया गया है। मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने प्रो. गर्ग पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 11 Feb 2019 06:29 PM (IST)Updated: Mon, 11 Feb 2019 06:29 PM (IST)
सूचना छिपाने पर आइआइटी रुड़की के प्रोफेसर पर 25 हजार जुर्माना लगाया
सूचना छिपाने पर आइआइटी रुड़की के प्रोफेसर पर 25 हजार जुर्माना लगाया

देहरादून, जेएनएन। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में तैनात प्रो. प्रदीप गर्ग को उत्तराखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी में कुलपति पद पर रहते हुए सूचना छिपाने का दोषी पाया गया है। इस पर मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने प्रो. गर्ग पर 25 हजार रुपये का अधिकतम जुर्माना लगाया।

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सूचना का अधिकार (आरटीआइ) अधिनियम का यह मामला नेहरू कॉलोनी निवासी अवधेश नौटियाल से संबंधित है। वह वर्ष 2007 से 2015 के बीच उत्तराखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी में तैनात रहे। पद से हटाए जाने से पहले वह उप परीक्षा नियंत्रक की जिम्मेदारी संभाल रहे थे और उनकी तैनाती नियत वेतन पर की गई थी। हालांकि इसी बीच उनकी जगह प्रतिनियुक्ति पर गोविंद सिंह बिष्ट को तैनात कर दिया गया।

अवधेश नौटियाल को त्रुटिवश यह कहकर हटाया गया कि वह प्रतिनियुक्ति पर काम कर रहे हैं और उन्हें कार्यमुक्त किया जाता है। जबकि उस दौरान उनकी सेवाओं के विनियमितीकरण की कार्यवाही चल रही थी। हालांकि बाद में विनियमितीकरण को लेकर राज्यपाल व मुख्य सचिव ने भी निर्देश जारी कर दिए। इसी क्रम में अवधेश नौटियाल ने आरटीआइ में जानकारी मांगी थी। तय समय पर उचित जानकारी न मिलने पर अवधेश ने सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया।

प्रकरण की सुनवाई करते हुए मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने तत्कालीन कुलपति प्रो. प्रदीप गर्ग को समतुल्य लोक सूचनाधिकारी बनाते हुए सूचना देने को कहा। यूनिवर्सिटी के लोक सूचनाधिकारी ने भी एक्ट के तहत सूचना के लिए उनका सहयोग मांगा। सुनवाई में स्पष्ट हुआ कि एक बिंदु से संबंधित जवाब की फाइल या तो कुलपति के पास थी या उन्हें उसके बारे में पता था, जबकि प्रो. गर्ग ने उस पर कोई जवाब नहीं दिया। वह जब आइआइटी रुड़की के लिए रिलीव हो गए, तब जाकर फाइल मिल पाई।

इसे गंभीरता से लेते हुए आयोग ने उन पर अधिकतम जुर्माना लगा दिया। आदेश दिए गए कि जुर्माने की राशि की वसूली उनके जून, जुलाई व अगस्त माह के वेतन से क्रमश: आठ, आठ व नौ हजार रुपये के हिसाब से काट ली जाए। वसूली की जिम्मेदारी आइआइटी रुड़की के निदेशक को दी गई है। 

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