Father's Day: पिता के फर्ज के साथ बच्चों को दे रहे मां का प्यार, अकेले निभा रहे तीन बच्चों की जिम्मेदारी
Fathers Day अक्सर बच्चों की परवरिश का ज्यादा समय मां के साथ गुजर जाता है। ऐसे में यह धारणा बन गई है कि पिता अकेले बच्चों को नहीं संभाल पाते हैं लेकिन कई पिता इन सब मिथक को तोड़कर नई इबारत लिख रहे हैं।
आयुष शर्मा, देहरादून। Father's Day अक्सर बच्चों की परवरिश का ज्यादा समय मां के साथ गुजर जाता है। ऐसे में यह धारणा बन गई है कि पिता अकेले बच्चों को नहीं संभाल पाते हैं, लेकिन कई पिता इन सब मिथक को तोड़कर नई इबारत लिख रहे हैं। ऐसे पिता अपनी पत्नी के आकस्मिक निधन के बाद दूसरी शादी से इन्कार कर माता-पिता दोनों का प्यार बच्चों को दे रहे हैं। इसकी बानगी देहरादून में पंडितवाड़ी निवासी डा. पीयूष गोयल हैं, जो पिता का फर्ज निभाने के साथ बच्चों को मां का दुलार भी दे रहे हैं।
डा. पीयूूष गोयल बताते हैं कि करीब साढ़े चार साल पहले बेटी के जन्म के दो दिन बाद उनकी पत्नी का निधन हो गया। उस वक्त सबसे बड़ी बेटी भी सात साल की थी और दूसरी बेटी छह साल की। बच्चों के सिर से मां का साया उठने पर परवरिश की जिम्मेदारी उन पर आ गई। तीन छोटे बच्चों को संभालना आसान नहीं था, लेकिन उसी वक्त सोच लिया कि जब पत्नी ने हमारे परिवार की खुशी के लिए अपनी जान दे दी, तो अब अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटूंगा। खुद ही तीनों बच्चों की देखभाल करना तय किया। पत्नी की आकस्मिक मृत्यु के समय डा. पीयूष आइएमए ब्लड बैंक में नौकरी करते थे, लेकिन यहां ड्यूटी का समय ज्यादा होने के चलते बच्चों पर ध्यान देना संभव नहीं हो पा रहा था। बच्चों को ज्यादा समय दे सकें, इसलिए उन्होंने यहां नौकरी छोड़ दून अस्पताल और उसके बाद प्रेमनगर स्वास्थ्य केंद्र में सेवाएं देना शुरू किया।
दोस्त-रिश्तेदारों ने कहा दूसरी शादी कर लो
डा. पीयूष गोयल को कई दफा उनके दोस्त व रिश्तेदारों ने दूसरी शादी करने पर जोर दिया। उनका मत था कि शादी करने से बच्चों को मां का साया मिल जाएगा। पत्नी के साथ बिताए पलों की याद आई तो विचार आया कि अगर नई मां ने बच्चों को उतना प्यार नहीं दिया तो, पत्नी के प्यार की महत्ता कम हो जाएगी। संकल्प लिया कि दूसरी शादी नहीं करूंगा और बेटियों को मां- बाप दोनों का प्यार दूंगा। तब दूसरी शादी की सलाह देने वाले दोस्त ही हौसला बढ़ाते हैं।
बच्चों को डाक्टर बनते देखना है ख्वाब
डा. गोयल वर्तमान समय में प्रेमनगर स्वास्थ्य केंद्र चिकित्सा अधिकारी के पद पर सेवाएं दे रहे हैं। उनकी पत्नि भी डेंटिस्ट थीं। वह अपनी बेटियों को डाक्टर बनते देखना चाहते हैं। अभी उनकी बड़ी बेटी 11, दूसरी 10 और सबसे छोटी साढ़े चाल साल की हो चुकी हैं। हालांकि, वह यह भी मानते हैं कि पूरी समझ विकसित होने के बाद बच्चे जो भी करियर चुनेंगे, उसे हासिल करने में उनका साथ देंगे।
यह भी पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर दैनिक जागरण के साथ जुड़कर करें योग, डा. हिमांशु सारस्वत सिखाएंगे योग
Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें