किसान के बेटे ने लिखी कामयाबी की कहानी, मिला प्रतिष्ठित स्वॉर्ड ऑफ ऑनर
भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड के दौरान जय जवान और जय किसान का नारा भी चरितार्थ हुआ। किसान के बेटे ने कामयाबी की जो कहानी लिखी वह मिसाल बन गई।
देहरादून, जेएनएन। भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड के दौरान जय जवान और जय किसान का नारा भी चरितार्थ हुआ। किसान के बेटे ने कामयाबी की जो कहानी लिखी वह मिसाल बन गई। पंजाब के तरनतारन के रहने वाले आकाशदीप सिंह ढिल्लो श्रेष्ठ में सर्वश्रेष्ठ रहे। स्वॉर्ड ऑफ ऑनर विजेता आकाशदीप कहते हैं कि 'पिता को खेतों में पसीना बहाते देखकर ही आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली।'
लेफ्टिनेंट आकाशदीप के पिता गुरप्रीत सिंह किसान और मां वीर इंद्रजीत सिंह गृहणी हैं। आकाशदीप कहते हैं बचपन से ही सेना में जाने का सपना देखा था। खेतों में पिता को कड़ी मेहनत करते देखा तो तय किया कि मेहनत से कभी जी नहीं चुराना है। सैन्य अफसर बनने का सपना था तो पढ़ाई पर फोकस किया। सैनिक स्कूल कपूरथला में दाखिला मिला तो सेना में अफसर बनने की सीढ़ी मिल गई। वह कहते हैं कि दिल से जो आवाज निकलती है मेहनत व लग्न के बूते उसको साकार किया जा सकता है। सेना में अफसर बनने का जो सपना कई साल पहले देखा था वह आज पूरा हो गया है। सेना ही एक ऐसी संस्था है जो कि पूरे देश को एक सूत्र में पिरोकर रखती है। कॅरियर संवारने का इससे बेहतर विकल्प और कुछ नहीं है।
पिता को खोया पर नहीं खोया हौसला
रजत पदक विजेता सक्षम राणा उत्तराखंड के घोड़ाखाल के रहने वाले है। उनकी माता चंद्रा राणा शिक्षिका हैं। पिता कुंदन सिंह राणा भी शिक्षक थे। जब सक्षम 11वीं में पढ़ते थे इस दौरान उनके पिता की हृदय गति रुकने से मौत हो गई। इसके बाद उनकी मां ने उनकी परवरिश की। इनकी दो बड़ी बहने हैं। दोनों की शादी हो चुकी है। सक्षम ने बताया कि स्कूलिंग करने के बाद 2016 में एनडीए ज्वाइन किया। एनडीए से 2019 में पासआउट हुए और इसके बाद आइएमए आए। उन्होंने कहा कि युवाओं को चाहिए कि वह मेहनत करें। समय कभी एक जैसा नहीं रहता। कभी अच्छा समय आता है तो कभी बुरा। ऐसे में घबराना नहीं चाहिए।
एयरमैन से अफसर से बने धर्मबीर
चमोली जिले के तलवाड़ी निवासी धर्मबीर सिंह बिष्ट ने अपनी कड़ी मेहनत के बूते सामान्य परिवार से निकल कर सैन्य अफसर बनने तक का सफर तय किया। धर्मबीर सिंह बताते हैं कि 12वीं तक की पढ़ाई गांव के सरकारी इंटर कॉलेज से 2009 में पूरी करने करने के बाद वह साल 2010 में एयर फोर्स में बतौर एयर मैन भर्ती हो गए। बताया कि उस समय परिवार को सपोर्ट देने के लिए किसी तरीके से भर्ती परीक्षा पास कर ली। यहीं सेवा के दौरान उन्हें सेना में अधिकारी बनने की प्रक्रिया के बारे में पता चला। लगातार कड़ी मेहनत के बाद साल 2016 में उन्होंने एसीसी की परीक्षा पास कर ली। धर्मवीर के पिता बलवीर सिंह बिष्ट डाक सेवक हैं और मां पार्वती देवी ग्रहणी। धर्मवीर ने अपनी इस सफलता के लिए अपने परिवार, बड़े भाइयों और पत्नी शालनी बिष्ट को भी धन्यवाद दिया।
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दो सगे भाई एकसाथ बने अफसर: एक ही परिवार के दो बेटे और दोनों एक साथ सेना में अफसर बने। पिथौरागढ़ निवासी रोहित व विकास सिंह वल्दिया पर आज परिवार को गर्व है। पीओपी के बाद दोनों के चेहरे पर सेना में शामिल होने की खुशी दिखाई दे रही थी। पिता रंजीत सिंह वल्दिया भी सेना से ऑनरेरी सूबेदार मेजर सेवानिवृत्त हुए हैं।
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