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हरियाणा के बिचौलिये काट रहे दून के किसानों की 'फसल'

देहरादून के किसान अपनी खून-पसीने की कमाई को समर्थन मूल्य से भी कम में बेचने को मजबूर हैं। दरअसल, आसपास कोई क्रय केंद्र न होने से किसान बिचौलियों को अपनी उपज बेच रहे हैं।

By Edited By: Published: Sat, 03 Nov 2018 03:00 AM (IST)Updated: Sat, 03 Nov 2018 02:50 PM (IST)
हरियाणा के बिचौलिये काट रहे दून के किसानों की 'फसल'
हरियाणा के बिचौलिये काट रहे दून के किसानों की 'फसल'
देहरादून, [जेएनएन]: इन दिनों प्रदेश में धान की खरीद चल रही है और सरकार ने धान का समर्थन मूल्य भी संतोषजनक रखा है। मगर इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि दून के किसान अपनी खून-पसीने की कमाई को समर्थन मूल्य से भी कम में बेचने को मजबूर हैं। ऐसे में हरियाणा के बिचौलिये जरूर अपनी चांदी काट रहे हैं। आसपास कोई क्रय केंद्र न होने से देहरादून के दर्जनों गांवों के किसान बिचौलियों को उपज बेच रहे हैं। 
दरअसल, हरियाणा के बिचौलिये किसानों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए ए ग्रेड धान 1600 रुपये में खरीद रहे हैं। इसमें किसान को प्रति क्विंटल 170 रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा। किसान भी मीलों दूर स्थित क्रय केंद्र तक जाने से बचने के लिए यह नुकसान उठाने को तैयार हैं। ऐसे में घर से अनाज खरीदकर हरियाणा के बिचौलिये यमुनानगर में ऊंचे दामों पर बेच रहे हैं। दून के नया गांव, सिंघनीवाला, भुड्डी गांव, शेरपुर, मेहूंवाला समेत दर्जनों गांवों में धान की इस बार अच्छी पैदावार हुई है। इसमें करीब 40 फीसद ए ग्रेड की फसल है। 
खाद्य विभाग व सहकारिता विभाग ने धान की खरीद को जिले में आठ केंद्र खोले हैं, मगर कृषि वाले इस क्षेत्र में एक भी केंद्र नहीं खोला गया। किसानों का कहना है कि उन्हें सहसपुर स्थित केंद्र तक फसल ले जाने के लिए भाड़ा अधिक देना पड़ता है। ऐसे में सरकार के समर्थन मूल्य का उन्हें कोई लाभ नहीं होता। मजबूरी में किसान बिचौलियों से संपर्क कर घर से ही अनाज का उठान करा लेते हैं। संभागीय खाद्यान्न नियंत्रक चंद्र सिंह धर्मशक्तू ने कहा कि जिले में क्रय केंद्रों के स्थान का चयन सोच-समझकर किया गया है। अगर इन क्षेत्रों में किसानों को लाभ नहीं मिल रहा है, तो इस पर विचार किया जाएगा। देहरादून जिले में केंद्र ऋषिकेश, विकासनगर, सहसपुर, हरबर्टपुर, डोईवाला-2। 
विभागों की उदासीनता की खुली पोल 
विभाग की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि खाद्य व सहकारिता विभाग की ओर से क्रय केंद्र खोलने से पहले सर्वे नहीं कराया जाता। इसका खामियाजा किसानों को उठाना पड़ता है। यही वजह है कि दर्जनों केंद्रों में खरीद नाम मात्र की ही होती है। जबकि कृषि बहुल क्षेत्रों में केंद्र ही नहीं होता।

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