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उत्तराखंड में बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि ने फेरा किसानों की मेहनत पर पानी

बेमौसमी बारिश किसानों की मेहनत पर पानी फेरने पर तुली है। मौसम के बिगड़े मिजाज का आलम यह है कि अन्नदाता आसमान से थमने की प्रार्थना कर रहा है। बारिश से किसानों की फसल बर्बाद हो गई।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Published: Sat, 14 Mar 2020 09:36 AM (IST)Updated: Sat, 14 Mar 2020 09:36 AM (IST)
उत्तराखंड में बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि ने फेरा किसानों की मेहनत पर पानी
उत्तराखंड में बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि ने फेरा किसानों की मेहनत पर पानी

देहरादून, विजय जोशी। बेमौसमी बारिश किसानों की मेहनत पर पानी फेरने पर तुली है। मौसम के बिगड़े मिजाज का आलम यह है कि अन्नदाता आसमान से थमने की प्रार्थना कर रहा है। मार्च के प्रथम पखवाड़े में हुई रिकॉर्ड बारिश ने रबी की फसल को खासा नुकसान पहुंचाया है। यही नहीं ओलावृष्टि और तेज हवाएं भी फसलों के लिए काल बन रही हैं। जिससे किसान मायूस हैं।

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पिछले कुछ दिनों से लगातार अंतराल पर हो रही बारिश किसानों के लिए मुसीबत बनी हुई है। बारिश की वजह से खड़ी फसलें बर्बाद हो रही हैं। छह और सात मार्च को हुई भारी बारिश के बाद कुछ दिन मौसम ने राहत दी, लेकिन 11 मार्च से फिर बारिश का सिलसिला जारी है। ऐसे में  गेहूं, जौ, मटर, दलहन की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। 

मौसम की वजह से हुए नुकसान पर फरवरी में किए गए निरीक्षण में भी 30 फीसद फसलों को नुकसान का आकलन किया गया था, लेकिन मार्च में हुई भारी बारिश और ओलावृष्टि के बाद नुकसान का आंकड़ा 60 फीसद तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है। 

गेहूं की फसल पकने वाली है, ऐसे में बारिश रबी की फसल के लिए नुकसानदायक है। दून के आसपास डोईवाला, रायवाला और पछवादून समेत आसपास के इलाकों में कई जगह 80 फीसद तक फसलें बर्बाद होने की आशंका जताई जा रही है। कृषि विज्ञानियों का कहना है कि जिस तरह से बारिश का सिलसिला जारी है, इससे फसलों के पकने में अधिक वक्त लग सकता है। साथ ही फसलों में कीड़े लगने की संभावना भी बढ़ जाती है। चिंताजनक तो यह कि मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार मार्च में अभी मौसम का मिजाज किसानों को और तकलीफ दे सकता है।

फलों पर भी कहर बनकर गिरे ओले

बारिश और ओलावृष्टि से रबी व दलहन की फसलों को ही नहीं बल्कि फल-सब्जियों को भी नुकसान पहुंच रहा है। जौनसार-बावर क्षेत्र में सेब, आडू, लीची, खुबानी जैसे फलों को भारी बारिश और ओलों ने नुकसान पहुंचाया है। जबकि, आम की नई बौर खिलने से पहले ही ओलों ने कई कोपलों को बर्बाद कर दिया है। उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी आदि जिलों में सेब के उत्पादन पर भी मौसम की मार रहेगी।

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अधिक बारिश से खराब हो जाती है गेहूं की बाली 

कृषि निदेशक गौरी शंकर के मुताबिक, मार्च में बारिश और ओलावृष्टि से फसल को नुकसान पहुंचता है। रबी की फसल अंतिम स्टेज पर होती है, ऐसे में अधिक बारिश से खड़ी फसल टूट जाती है। वहीं फसलों पर कीड़े पडऩे की संभावना रहती है। अधिक बारिश से गेहूं की बालियां भी काली पड़ जाती हैं।

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