प्रदेश की नहरों से किसानों को नहीं मिल रहा पानी
प्रदेश से निकलने वाली कई नहरों का पानी प्रदेश के किसानों के सिंचाई के काम नहीं आ पा रहा है। नहरों का स्वामित्व उत्तर प्रदेश के पास होने के कारण इनकी मरम्मत का कार्य भी नहीं हो पा रहा है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश से निकलने वाली कई नहरों का पानी प्रदेश के किसानों के सिंचाई के काम नहीं आ पा रहा है। नहरों का स्वामित्व उत्तर प्रदेश के पास होने के कारण इनकी मरम्मत का कार्य भी नहीं हो पा रहा है। इससे किसानों को परेशानी हो रही है। प्रदेश सरकार ने इस मसले को उत्तर प्रदेश सरकार के समक्ष रखा है और उम्मीद जताई है कि जल्द ही यह मसला सुलझा लिया जाएगा। वहीं, प्रदेश में अभी तकरीबन 396 नहरें बंद चल रही हैं। सरकार का कहना है कि वित्तीय संसाधन मिलने पर बरसात के बाद ही इन्हें चालू कराया जा सकेगा।
मंगलवार को सदन में कांग्रेसी विधायक काजी निजामुद्दीन ने उत्तराखंड से शुरू होने वाली नहरों के संबंध में जानकारी मांगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश से शुरू होने वाली कई नहरों का पानी किसानों को नहीं मिल पा रहा है। जिनका मिल भी रहा है उनका रखरखाव व मरम्मत नहीं हो पा रही है। इससे किसानों को खासा नुकसान हो रहा है। इस पर सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि हरिद्वार की 11 और ऊधमसिंह नगर की 18 नहरें ऐसी हैं तो उत्तराखंड से शुरू होकर उत्तर प्रदेश में समाप्त होती है। जहां तक नहरों की बात है तो हाल ही में उत्तर प्रदेश ने उत्तराखंड को 37 नहरें और उत्तराखंड ने उत्तर प्रदेश को आठ नहरें सौंपी है। रखरखाव की जो समस्या आ रही है, उस दिशा में प्रयास किया जा रहा है। दोनों प्रदेशों में भाजपा की सरकार है, ऐसे में इसका जल्द हल निकाल लिया जाएगा।
विधायक काजी निजामुद्दीन के आतारांकित प्रश्न के लिखित जवाब में सिंचाई मंत्री ने बताया कि प्रदेश में कुल 2805 नहरें हैं। इनमें 396 नहरें बंद हैं। बरसात में बाढ़ अथवा क्षतिग्रस्त होने के कारण ये नहरें बंद हैं। वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता के पश्चात बंद नहरों को संचालित किया जाएगा।