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उत्तराखंड में कोरोना ने दिया नए जिलों के निर्माण की उम्‍मीदों को बड़ा झटका, जानेें- क्या कहते हैं सूबे के मुखिया

नए जिलों के इस सरकार के दौरान वजूद में आने की संभावना लगभग समाप्‍त हो गई है। कोविड 19 संक्रमण के कारण आर्थिकी को बडा झटका लगने से सरकार अब इस स्थिति में है नहीं है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 13 Sep 2020 10:30 AM (IST)Updated: Sun, 13 Sep 2020 10:55 AM (IST)
उत्तराखंड में कोरोना ने दिया नए जिलों के निर्माण की उम्‍मीदों को बड़ा झटका, जानेें- क्या कहते हैं सूबे के मुखिया
उत्तराखंड में कोरोना ने दिया नए जिलों के निर्माण की उम्‍मीदों को बड़ा झटका, जानेें- क्या कहते हैं सूबे के मुखिया

देहरादून, राज्‍य ब्‍यूरो। उत्‍तराखंड में नए जिलों के इस सरकार के दौरान वजूद में आने की संभावना लगभग समाप्‍त हो गई है। कोविड 19 संक्रमण के कारण आर्थिकी को बड़ा झटका लगने से सरकार अब इस स्थिति में है ही नहीं कि नए जिलों के गठन पर आने वाला खर्च वहन कर सके। मुख्‍यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुताबिक फिलहाल राज्‍य की माली हालत इस बात की इजाजत नहीं देती कि निकट भविष्‍य में नए जिलों का निर्माण किया जा सके।

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उत्तराखंड में नए जिलों के गठन की मांग लंबे समय से चली आ रही है। वर्ष 2011 में तत्‍कालीन भाजपा सरकार के मुखिया रमेश पोखरियाल निशंक ने स्वतंत्रता दिवस पर चार नए जिले बनाने की घोषणा की। इनमें से दो गढ़वाल मंडल में कोटद्वार व यमुनोत्री और दो कुमाऊं मंडल में रानीखेत और डीडीहाट शामिल थे। इस घोषणा के कुछ ही दिनों बाद निशंक को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी और भुवन चंद्र खंडूड़ी ने सत्ता संभाली। फिर वर्ष 2012 में विधानसभा चुनाव हुए तो सत्ता परिवर्तन के कारण नए जिलों के निर्माण की घोषणा ठंडे बस्ते में डाल दी गई। हां, तब इतना जरूर हुआ कि कांग्रेस के सत्‍ता में आने पर तत्‍कालीन सरकार ने अध्यक्ष राजस्व परिषद की अध्यक्षता में नई प्रशासनिक इकाइयों के गठन संबंधी आयोग बना मामला उसके हवाले कर दिया।

2016 में फिर नए जिलों के गठन को लेकर सियासत तेज हुई 

इसके बाद हरीश रावत को वर्ष 2014  में विजय बहुगुणा की जगह कांग्रेस आलाकमान ने मुख्‍यमंत्री की कुर्सी सौंपी। चुनावी साल से ठीक पहले, यानी 2016 में फिर नए जिलों के गठन को लेकर सियासत तेज हो गई। सरकार द्वारा नए जिलों के लिए गठित आयोग ने भाजपा सरकार द्वारा 2011 में घोषित चार नए जिलों के ही गठन की संस्तुति 29 फरवरी 2016 में सरकार को कर दी। इसके बाद दो मई 2016 को नए जिलों के गठन के संबंध में निर्णय लेने को मुख्यमंत्री को अधिकृत कर दिया गया। इसी बीच तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने चार नए जिलों से आगे बढ़ते हुए आठ नए जिलों के सृजन के संकेत दिए। 

नए जिलों के गठन संबंधी प्रस्ताव को कैबिनेट में लाने की थी तैयारी 

इन आठ नए बनने वाले जिलों में से चार जिले तो वही थे, जिनकी घोषणा अगस्‍त 2011  में भाजपा सरकार के समय की गई थी, जबकि चार नए जिले रामनगर, काशीपुर, रुड़की और ऋषिकेश इस सूची में जोड़े गए। नए जिलों के गठन संबंधी प्रस्ताव को कैबिनेट के समक्ष लाए जाने की तैयारी थी, लेकिन तब राजनैतिक उथल-पुथल के कारण यह टल गया। इसके बावजूद उम्मीद थी कि राज्य में नए जिले जल्द अस्तित्व में आ जाएंगे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। पिछली सरकार के अंतिम दिनों में, चार जनवरी 2017 को सरकार ने जरूर नए जिलों के गठन के लिए एक हजार करोड़ की धनराशि से कॉर्पस फंड बनाने का फैसला कर दिया।

जिला पुनर्गठन आयोग पर छोड़ दिया था नए जिलों का मसला 

मार्च 2017 में त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्‍व में भाजपा की नई सरकार ने उत्‍तराखंड में सत्‍ता संभाली। अध्यक्ष राजस्व परिषद की अध्यक्षता में आयोग का गठन और नए जिलों के निर्माण के लिए एक हजार करोड़ के कॉर्पस फंड की स्थापना पिछली सरकार द्वारा कर दी गई थी, लेकिन नई सरकार में इस दिशा में कोई कदम आगे नहीं बढ़ाया गया। सरकार ने नए जिलों के गठन का पूरा मसला जिला पुनर्गठन आयोग पर ही छोड़ दिया, लेकिन इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं की। मौजूदा विधानसभा में भी नए जिलों के गठन का मुद्दा उठा।

भाजपा विधायक हरभजन सिंह चीमा ने नए जिलों के गठन संबंधी सवाल पूछा। सरकार की तरफ से जो लिखित जवाब आया, वह नए जिलों के जल्द गठन की आस लगाए बैठे लोगों के लिए बेहतर नहीं रहा।सरकार का जवाब था कि राज्य में नई प्रशासनिक ईकाइयों के पुनर्गठन और सृजन के लिए अध्यक्ष राजस्व परिषद की अध्यक्षता में जिला पुनर्गठन आयोग गठित है। काशीपुर को जिला बनाने संबंधी प्रत्यावेदन आयोग के समक्ष परीक्षणाधीन होने की बात भी सरकार ने कही।

कोरोना ने खत्म की नए जिलों के गठन की उम्मीद 

माना जा रहा था कि मौजूदा सरकार वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले नए जिलों के गठन की दिशा में कदम बढाएगी, जैसा कि पिछली दो सरकारों ने किया था, लेकिन अब वैश्विक महामारी कोविड 19 ने इस संभावना को सिरे से खत्‍म कर दिया है। नए जिलों के गठन पर, खासकर आधारभूत ढांचे के निर्माण पर काफी बडी धनराशि खर्च होती है लेकिन वर्तमान में सरकार के पास वित्‍तीय संसाधन बेहद सीमित हैं। वर्ष 2016 में नए जिलों को लेकर बने आयोग ने एक नए जिले के निर्माण पर 150 से 200 करोड रुपये की धनराशि के व्‍यय का आकलन किया था। यानी, उस वक्‍त सरकार को चार नए जिले बनाने के लिए  600 से 800 करोड रुपये तक व्‍यय करने पड़ते। अब चार वर्ष बाद यह धनराशि और ज्‍यादा होना स्‍वाभाविक है। वर्तमान में सरकारी कर्मचारियों के वेतन भुगतान तक के लिए सरकार को बाजार से कर्ज उठाना पड़ रहा है। इस स्थिति से उबरने में लंबा वक्‍त लगना तय है। लिहाजा, नए जिलों के गठन का मसला भी लंबे वक्‍त के लिए टल गया है।

कोरोना पर नियमंत्रण प्राथमिकता 

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि सरकार की प्राथमिकता इस समय कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण कायम करना है। इसे ही शीर्ष प्राथमिकता में रखा गया है। जहां तक नए जिलों के गठन का सवाल है, फिलहाल यह संभव नहीं। कोविड के कारण अर्थव्‍यवस्‍था बहुत ज्‍यादा प्रभावित हुई है और उत्‍तराखंड भी इससे अछूता नहीं है। हालात सामान्‍य होने पर सरकार इस संबंध में विचार करेगी।

पूर्व सीएम हरीश रावत ने अपने एक बयान में कहा था कि राज्य में आठ नए जिलों का निर्माण किया जाना है। इसका पूरा खाका तैयार कर लिया गया है। नए जिलों के निर्माण के संबंध में कैबिनेट के लिए भी प्रस्ताव तैयार कर लिया गया था, लेकिन राज्य में राजनैतिक उथल-पुथल के कारण यह तब कैबिनेट में नहीं लाया जा सका। सरकार द्वारा जिन नए आठ जिलों के गठन की तैयारी की गई है, फिलहाल उनके नाम सार्वजनिक करना उचित नहीं।

(26 मई 2016 को तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री हरीश रावत का नए जिलों के गठन को लेकर दिया गया बयान)

15 अगस्‍त 2011 में तत्‍कालीन सीएम निशंक ने घोषित किए थे चार नए जिले

  • कोटद्वार
  • यमुनोत्री
  • रानीखेत
  • डीडीहाट 

2016 में तत्‍कालीन सीएम हरीश रावत के नेतृत्‍व में कांग्रेस सरकार के समय प्रस्तावित आठ नए जिले

  • डीडीहाट
  • रानीखेत
  • रामनगर
  • काशीपुर
  • कोटद्वार
  • यमुनोत्री
  • रुड़की
  • ऋषिकेश

पिछली कांग्रेस सरकार के समय की गई थी इन चार नए जिलों की संस्‍तुति

पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान नए जिलों के गठन के लिए बने आयोग ने प्रारंभिक रूप से चार नए जिलों के गठन की ही संस्तुति की थी। इनमें कोटद्वार, यमुनोत्री, रानीखेत और डीडीहाट के नाम शामिल थे। आयोग ने नए जिले बनाने के लिए वर्ष 1992 में निर्धारित आबादी और क्षेत्रफल समेत तमाम मानकों को काफी शिथिल कर दिया था। एक सूचना अधिकार कार्यकर्ता द्वारा आरटीआइ के तहत मांगी गई जानकारी में अगस्‍त 2016 में इसका पता चला। पहले वर्ष 1991 की जनगणना के आधार पर नए जिले के लिए न्यूनतम 15 लाख की आबादी का मानक था, जिसे आयोग ने डेढ़ से दो लाख करने की संस्‍तुति की।

इसी तरह न्यूनतम पांच हजार वर्ग किमी क्षेत्रफल के मानक को एक लाख हेक्टेयर, विकासखंडों की न्यूनतम संख्या को 10 से तीन, थानों की संख्या न्यूनतम 12 से तीन और लेखपालों की न्यूनतम संख्या 300 से घटाकर 50 किया गया।इन मानकों के आधार पर पौड़ी गढ़वाल जिले में कोटद्वार, उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री, अल्मोड़ा जिले में रानीखेत और पिथौरागढ़ जिले में डीडीहाट को नया जिला बनाने की संस्तुति की गई। हालांकि नए जिलों के गठन की ही तरह आयोग की संस्‍तुतियां भी ठंडे बस्‍ते में चली गईं।

आयोग की संस्‍तुति के मुताबिक प्रस्तावित नए जिलों का स्वरूप

1-कोटद्वार

क्षेत्रफल------142578.151 हेक्टेयर

जनसंख्या----365850

तहसील-------लैंसडौन, सतपुली, कोटद्वार, धुमाकोट, यमकेश्वर।

ब्लॉक----------06

थानों की संख्या---06

पटवारी/ लेखपाल क्षेत्रों की संख्या---109

नगर पालिका/ नगर पंचायतों की संख्या---03

2-यमुनोत्री

क्षेत्रफल---------------283898.725 हेक्टेयर।

जनसंख्या------------138559

तहसील-----------बड़कोट, पुरोला, मोरी।

ब्लॉक-----------------03

थानों की संख्या-----03

पटवारी/ लेखपाल क्षेत्रों की संख्या-----45

नगर पालिका/ नगर पंचायतों की संख्या---03

3-रानीखेत

क्षेत्रफल----------------139686.734 हेक्टेयर।

जनसंख्या--------------322408

तहसील---------------रानीखेत, सल्ट, भिकियासैंण, द्वाराहाट, चौखुटिया, स्याल्दे।

ब्लॉक--------------------08

थानों की संख्या----------05

पटवारी/ लेखपाल क्षेत्रों की संख्या---120

नगर पालिका/नगर पंचायतों की संख्या----03

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4-डीडीहाट

क्षेत्रफल-------------81304.014 हेक्टेयर।

जनसंख्या----------163196

तहसील-------------डीडीहाट, धारचूला, मुनस्यारी, थल, बंगापानी

थानों की संख्या----10

पटवारी/ लेखपाल क्षेत्रों की संख्या---54

नगर पालिका/नगर पंचायतों की संख्या---02

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