मिथाइल एल्कोहल पर नियंत्रण को आबकारी विभाग में मंथन
शराब में मिथाइल एल्कोहल के प्रयोग में इसकी मात्रा को लेकर आबकारी विभाग में फिर से मंथन किया जा रहा है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: शराब में मिथाइल एल्कोहल के प्रयोग में इसकी मात्रा को लेकर आबकारी विभाग में फिर से मंथन किया जा रहा है। मिथाइल एल्कोहल के निर्धारित मात्रा से अधिक उपयोग पर व्यक्ति की जान भी जा सकती है। रुड़की में जहरीली शराब की जांच के लिए गठित पूर्व सचिव एनएस नपल्च्याल की अध्यक्षता में गठित एकल जांच आयोग ने भी शराब में इसके प्रयोग को लेकर नियंत्रण की संस्तुति की है।
प्रदेश की सभी शराब की फैक्ट्रियों में बनने वाली शराब में मिथाइल एल्कोहल का प्रयोग होता है। हालांकि, सभी शराब की बोतलों में इसमें मिली हुई मात्रा का उल्लेख किया जाता है। कुछ समय पहले गृह विभाग ने एसिड अटैक की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए विषैले पदार्थो की एक सूची जारी की थी। इसमें मिथाइल एल्कोहल को भी शामिल किया गया था। इसमें इसकी बिक्री निगरानी में करने की बात कही गई थी। इसका प्रयोग औद्योगिक क्षेत्रों में किया जाता है लेकिन इस बात का कहीं उल्लेख नहीं है कि किस उत्पाद में इसकी मात्रा कितनी होगी। रुड़की में जहरीली शराब से हुई कई लोगों की मौत के मामले में जांच के दौरान कच्ची शराब बनाने वाली जगह से मिथाइल एल्कोहल के कई ड्रम भी मिले थे। गौरतलब है कि पांच मिलीलीटर से अधिक मिथाइल एल्कोहल का सेवन किसी भी प्राणी की जान ले सकता है। रुड़की शराब कांड की जांच में गठित एकल सदस्यीय आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में भी मिथाइल एल्कोहल के प्रयोग के नियंत्रण का जिक्र किया है।
अब आबकारी विभाग भी इसके नियंत्रित प्रयोग को लेकर मंथन कर रहा है। प्रमुख सचिव आबकारी आनंद वर्द्धन ने कहा कि आयोग की रिपोर्ट में मिथाइल एल्कोहल के साथ ही अन्य कई सुझाव दिए गए हैं। जिनका अभी अध्ययन किया जा रहा है। इस पर विचार-विमर्श के बाद उचित निर्णय लिया जाएगा।