युद्ध के किस्से सुना सेना में भर्ती की राह दिखाते हैं पूर्व सैनिक
टिहरी जिले के गांव मज्यूड़ के पूर्व सैनिक गांव के युवाओं से युद्ध के अनुभव साझा करते हैं और उन्हें सेना का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित भी करते हैं।
चंबा, टिहरी [रघुभाई जड़धारी]: 15 अगस्त 1947 का दिन आजाद भारत की नई सुबह लेकर आया था। आज भी यह दिन देश के नौजवानों में सेना का हिस्सा बनने के लिए जोश एवं प्रेरणा भरता है और इसका माध्यम बन रहे हैं पूर्व सैनिक। विक्टोरिया क्रॉस विजेता प्रथम विश्वयुद्ध के नायक शहीद गबर सिंह नेगी के गांव मज्यूड़ में आजादी का पर्व कुछ खास अंदाज में मनाया जाता है।
इस दिन पूर्व सैनिक गांव के युवाओं से युद्ध के अनुभव साझा करते हैं और उन्हें सेना का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित भी करते हैं। इसके अलावा सेना भर्ती की प्रक्रिया और कार्यों की जानकारी भी उन्हें दी जाती है। वर्तमान में गांव के 40 युवा सेना में हैं।
टिहरी जिले के चंबा प्रखंड का मज्यूड़ गांव वैसे तो प्रथम विश्वयुद्ध के नायक शहीद वीसी गबर सिंह नेगी के नाम से जाना जाता है। लेकिन, इस गांव की पहचान सैनिकों के गांव के रूप में भी है। यहां के नौजवानों के लिए सेना में भर्ती होना प्राथमिकता है। यही वजह है कि मज्यूड़ गांव के हर तीसरे परिवार से एक युवा फौजी बनकर देशसेवा कर रहा है। मज्यूड़ गांव में करीब 90 परिवार रहते हैं। प्रथम विश्वयुद्ध में शहीद गबर सिंह के साथ गांव के 11 अन्य लोगों ने भी हिस्सा लिया था। आज भी गांव के लोग वीसी गबर सिंह को देवता मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं। यहां के नवयुवक जब सेना में भर्ती होने जाते हैं तो शहीद गबर सिंह के स्मारक पर सिर झुकाना नहीं भूलते।
स्वतंत्रता दिवस पर होता है गांव में विशेष आयोजन
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर गांव के लोग पूर्व सैनिकों के नेतृत्व में हाथों में झंडियां लेकर सबसे पहले चंबा चौराहे पर बने वीसी गबर सिंह स्मारक पर आते हैं। यहां शहीद को श्रद्धांजलि देने के बाद लोग गांव के पंचायत घर, स्कूल आदि में एकत्र होते हैं और झंडारोहण करते हैं। इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
वीसी गबर सिंह नेगी की शहादत से मज्यूड़ गांव को नई पहचान मिली
इंद्र सिंह नेगी (अध्यक्ष पूर्व सैनिक संगठन, मज्यूड़) का कहना है कि प्रथम विश्वयुद्ध में शहादत देकर वीसी गबर सिंह नेगी ने पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया। उनकी शहादत से मज्यूड़ गांव को नई पहचान मिली। इसलिए गांव के लोगों में सेना के प्रति जोश और जज्बा है। स्वतंत्रता दिवस पर गांव के नवयुवकों को सेना के बारे में जानकारी दी जाती है।
सेना का महत्व हमारे गांव के लोग अधिक समझते है
आनंद सिंह नेगी (सेवानिवृत्त कैप्टन, मज्यूड़) का कहना है कि सेना का महत्व हमारे गांव के लोग अधिक समझते हैं। शहीद वीसी गबर सिंह नेगी के जीवन से प्रेरणा लेकर गांव के नौजवान सेना में भर्ती होते हैं। गांव के जितने भी पूर्व सैनिक हैं, वह नई पीढ़ी का मार्गदर्शन करते हैं। उन्हें सेना व उसमें भर्ती होने की बारीकियां बताते हैं।
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