बागी माफी मांगें तो पार्टी में वापसी संभव: हरीश रावत
2022 में विधानसभा चुनाव की ओर बढ़ रहे उत्तराखंड में कांग्रेस की सियासत में भी बदलाव के आसार बन रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, देहरादून
2022 में विधानसभा चुनाव की ओर बढ़ रहे उत्तराखंड में कांग्रेस की सियासत में भी बदलाव के आसार बन रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने बागी नेताओं पर रुख नरम करने के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस से बगावत करने वाले पार्टी और जनता से माफी मांगते हैं तो उनकी वापसी पर उन्हें आपत्ति नहीं होगी।
मिशन 2022 कांग्रेस के लिए प्रदेश की सियासत में 'करो या मरो' बनने जा रहा है। वर्ष 2017 में विधानसभा में भाजपा के हाथों बुरी तरह पराजित हुई पार्टी उसके बाद से अभी तक उबर नहीं पाई है। विधानसभा चुनाव के बाद सहकारिता, नगर निकाय, लोकसभा चुनाव और पंचायत चुनाव समेत अब तक हुए तमाम चुनाव में कांग्रेस को पराजय ही नसीब हुई है। प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई भाजपा को शिकस्त देने के लिए कांग्रेस अब हर मुमकिन कोशिश में जुट गई है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और कार्यसमिति के सदस्य हरीश रावत ने पार्टी की नई रणनीति के संकेत दिए। कांग्रेस की पिछली हरीश रावत सरकार को पहले गिराने और फिर हराने में अहम भूमिका निभाने वाले दस विधायकों और कद्दावर नेताओं को लेकर रावत के रुख में पहली बार बदलाव दिख रहा है। बागी नेताओं पर हर वक्त तल्ख रहने वाले हरीश रावत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बागी क्षमा मांगते हैं तो पार्टी में उनकी वापसी का रास्ता खुल सकता है। इस टिप्पणी के बावजूद उनके सुरों में तल्खी भी साफ दिखी।
उन्होंने कहा कि बागी नेता लोकतंत्र के अपराधी हैं। उन्होंने सरकार गिराकर राज्य में अस्थिरता लाने का महापाप किया है। गौरतलब है कि वर्ष 2016 में विधायकों विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य, अमृता रावत, सुबोध उनियाल, कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन, डॉ शैलेंद्र सिंघल, रेखा आर्य, शैलारानी रावत ने भाजपा का दामन थाम लिया था। पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल महाराज भी कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा के साथ हो लिए थे।