एनआइटी शिलान्यास पर उभरी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पीड़ा
सुमाड़ी और श्रीनगर में एनआइटी के शिलान्यास के सिलसिले में हुए समारोह को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पीड़ा और आक्रोश दोनों ही झलका।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। सुमाड़ी और श्रीनगर में एनआइटी के शिलान्यास के सिलसिले में हुए समारोह को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पीड़ा और आक्रोश दोनों ही झलका। सोशल मीडिया पर अपने उद्गार में उन्होंने उक्त पूर्ववर्ती सरकार में स्वीकृत कार्य और उसके शिलान्यास को दोबारा किए जाने को चिंताजनक और गलत प्रेक्टिस करार दिया। उन्होंने ये भी कहा कि विजय बहुगुणा जी ने उनकी सरकार को गिराने का काम किया, फिर भी उन्होंने उनके स्वीकृत कार्यों को अंजाम तक पहुंचाया।
फेसबुक पर डाली गई पोस्ट में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भाजपा सरकार को घेरते हुए कहा कि पूर्व सरकार के कार्यों व शिलान्यास को विवाद में डालकर और नए सिरे से वाहवाही लूटने का काम किया जा रहा है। एनआइटी श्रीनगर का वर्ष 2014 में केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में उन्होंने शिलान्यास किया था, भूमि दिलवाई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि सारे प्रकरण को जानबूझकर विवाद में डालकर एनआइटी को श्रीनगर से जयपुर स्थानांतरित कर दिया गया। बाद में पढ़ाई के लिए जन दबाव बढ़ा तो फिर से शिलान्यास किया जा रहा है।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को निशाने पर लेते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि निशंक जी से राज्य को बड़ीअपेक्षाएं हैं, वह होनहार नेता हैं। राज्य को नई एनआइटी या कोई बड़ा संस्थान या केंद्रीय विश्वविद्यालय स्वीकृत करवा दें। 2014 में किए गए एनआइटी के शिलान्यास को दोबारा शिलान्यास करने से कौन सा भू-परिवर्तन हो गया। कौन सा हालात में परिवर्तन हो गया। केवल इस बात के लिए हरीश रावत को बदला। त्रिवेंद्र रावत आए और ढाई साल से ज्यादा वक्त सुमाड़ी व श्रीनगर के लोगों को संघर्ष करते हुए बीत गया। अब उनके आंसू पोछने के लिए जिस गमछे का इस्तेमाल हो रहा है, उसमें मिर्च लगाई जा रही है।
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उन्होंने जनता से इस प्रेक्टिस पर गौर करने को कहा, ताकि आने वाले दिनों में उत्तराखंड आधे-अधेरे निर्माण कार्यों, स्वीकृतियों का संग्रहालय बनकर रह जाएगा। हरीश रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत आएंगे-जाएंगे, लेकिन एक सरकार या मुख्यमंत्री हटने के बाद दूसरा मुख्यमंत्री उलटबाजी करता है तो उसका परिणाम जनता को भुगतना पड़ेगा।
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उन्होंने यह भी कहा कि विजय बहुगुणा जी ने उनकी सरकार गिराने का काम किया था, लेकिन उनकी स्वीकृतियों को मैंने अंजाम तक पहुंचाया। जितना मैंने अपनी स्वीकृतियों के क्रियान्वयन में ध्यान दिया, उससे ज्यादा विजय बहुगुणा की घोषणाओं को पूरा करने में ध्यान दिया।
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