पर्वतीय जिलों में पांच कर्मचारियों में ईएसआइसी पंजीयन अनिवार्य
ईएसआइसी की क्षेत्रीय बैठक में पर्वतीय जिलों में न्यूनतम पांच कर्मियों वाले संस्थान को कर्मचारी राज्य बीमा निगम में अनिवार्य पंजीयन करने समेत कई अहम प्रस्तावों पर मुहर लगी है।
देहरादून, जेएनएन। कर्मचारी राज्य बीमा निगम की क्षेत्रीय बैठक में पर्वतीय जिलों में न्यूनतम पांच कर्मियों वाले संस्थान को कर्मचारी राज्य बीमा निगम में अनिवार्य पंजीयन करने समेत कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर मुहर लगी है।
शुक्रवार को हरिद्वार बाईपास स्थित एक होटल में श्रम मंत्री हरक सिंह रावत की अध्यक्षता में कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआइसी) की सातवीं क्षेत्रीय बैठक हुई। बैठक में रावत ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में 50 बेड के अस्पताल मिलना मुश्किल है। इस वजह से ईएसआइसी में पंजीकृत श्रमिकों को मेडिकल सुविधा मुहैया नहीं हो पाती है। उन्होंने 50 बेड की अनिवार्यता को समाप्त करते हुए 10, 20 बेड वाले अस्पतालों से संबद्धता करने को कहा। रावत ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में बेहद छोटे-छोटे उद्यम होते हैं।
इनमें 10 से कम कर्मी काम करते हैं। ईएसआइसी में पंजीयन नहीं होने से इन्हें समुचित लाभ नहीं मिल पाते हैं, इसलिए पर्वतीय क्षेत्रों में पंजीयन के लिए 10 से घटाकर पांच कर्मी किए जाते हैं। न्यूनतम पांच कर्मी होने पर ईएसआइसी में पंजीयन कराना अनिवार्य होगा। वहीं एक-दो कर्मी होने पर इच्छानुसार भी पंजीयन कराया जा सकता है। इससे पर्वतीय जिलों में काम करने वाले हजारों श्रमिकों को फायदा मिलेगा। ईएसआइसी डिस्पेंसरी की भूमि की खोज के लिए सभी जिला अधिकारियों को पत्र लिखने की बात कही। साथ ही निर्देश दिए कि डिस्पेंसरी के फार्मेसिस्ट को जिम्मेदारी दी जाए कि इस पत्र की जिलाधिकारी से लेखपाल स्तर तक पैरवी करे और जमीन के हस्तांतरण तक काम करे।
रावत ने पर्वतीय जिलों में डिस्पेंसरी चलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों के अनुपयोगी भवन में संचालित करने का भी प्रस्ताव पास किया। इससे आम मरीज और ईएसआइसी श्रमिक दोनों को चिकित्सकीय सुविधा मिल सकेगी। उन्होंने इस बाबत स्वास्थ्य महानिदेशक को भी पत्र लिखने को कहा। रावत ने 24 डिस्पेंसरी के कंप्यूटराइज्ड होने लेकिन ऑनलाइन नहीं होने पर असंतोष जताया। उन्होंने सभी डिस्पेंसरी में सीसीटीवी कैमरा लगाकर इसकी फुटेज अधिकारियों के मोबाइल पर दर्शाने के निर्देश दिए। इस मौके पर कोटद्वार में 300 बेड का सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बनाने एवं ऊधम सिंह नगर या हल्द्वानी में क्षेत्रीय उप कार्यालय खोलने पर भी सहमति बनी।
रावत ने कहा कि आपात स्थिति में यदि कोई श्रमिक संबद्ध अस्पताल में उपचार कराता है तो उसको ईएसआईसी दफ्तर में सूचना देने की सीमा 24 घंटे से बढ़ा कर 72 घंटे करने के लिए भी मंजूरी दी। ईएसआइसी की वेबसाइट पर संबद्ध अस्पतालों की सूची नहीं होने पर आक्रोश जताया और तत्काल पोर्टल पर अपडेट करने को कहा। साथ ही हर छमाही बैठक होने पर भी सहमति जताई। इस दौरान क्षेत्रीय निदेशक मुहम्मद इरफान, अपर सचिव श्रम उमेश पांडे, एपी श्रीवास्तव, डॉ. आकाशदीप, डॉ. अमित सक्सेना, डॉ. दीपशिखा शर्मा, पंकज गुप्ता, राकेश मिश्रा, राम प्रकाश गुप्ता, जीवन कबडवाल, अनिल राठी, सुरेंद्र सिंह, प्रशांत आदि मौजूद थे।
दून में खुलेगी पैथोलॉजी लैब
देहरादून : नेहरू कॉलोनी स्थित ईएसआइसी डिस्पेंसरी के रिक्त पड़े निचले तल में पैथोलॉजी लैब खोली जाएगी। इसी तरह भविष्य में भी डिस्पेंसरी के लिए लैब के लिए अतिरिक्त कमरा भी लिया जाएगा।
रुद्रपुर में 100 बेड का अस्पताल शुरू नहीं होने पर जताई नाराजगी
श्रम मंत्री रावत ने रुद्रपुर में 100 बेड का अस्पताल उद्घाटन के आठ माह बाद भी शुरू नहीं होने पर नाराजगी जताई। उन्होंने कार्यदायी संस्था के ईई को सभी तकनीकी अनुमति लेने और निगम को डॉक्टर की तैनाती करने के निर्देश दिए। अगले तीन महीने में 50 बेड का अस्पताल शुरू करने को कहा। चेतावनी दी कि जल्द नहीं हुआ तो कार्रवाई होगी।
बनेगा ढांचा, सृजित होंगे पद
ईएसआइसी क्षेत्रीय निदेशक मुहम्मद इरफान ने बताया कि पूर्व में 30 हजार कर्मी पंजीकृत थे, तब से इसी आधार पर काम हो रहा है। अब ढांचा विस्तार की जरूरत है। इस पर वन मंत्री ने मंजूरी दी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में 30 लाख कर्मी पंजीकृत है, ऐसे में ढांचा बढ़ाने और नए पद सृजित किए जाएंगे।
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हरिद्वार में कम नहीं होगी भूमि
हरिद्वार में अस्पताल कम भूमि में बनाने पर रावत ने साफ इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित अस्पताल जितनी भूमि पर स्वीकृत है इतनी पर ही बनेगा। सिडकुल से भूमि वापस लेने के लिए उच्च स्तर पर वार्ता की जाएगी।
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