शिक्षा को कृषि से जोड़कर थमेगा पहाड़ों से पलायन Dehradun News
बैक टू विलेज के सह संस्थापक मनीष कुमार ने कहा कि डेफेक्स इंडिया शिक्षा को कृषि से जोड़ने की जो पहल कर रहा है वह सराहनीय है। इससे पलायन को रोकने में मदद मिलेगी।
देहरादून, जेएनएन। परेड ग्राउंड में चल रहे डेफेक्स इंडिया एक्सपो के दूसरे दिन आइआइटी खड़कपुर से स्नातक व बैक टू विलेज के सह संस्थापक मनीष कुमार ने कहा कि डेफेक्स इंडिया शिक्षा को कृषि से जोड़ने की जो पहल कर रहा है वह सराहनीय है। इससे पलायन को रोकने में मदद मिलेगी। युवाओं को गांवों में ही स्वरोजगार के अधिक से अधिक अवसर जुटाने होंगे।
एक्सपो में विद्यार्थियों को उनके भावी जीवन में समय से अपने लिए उत्तम कॉलेज तलाशने के साथ-साथ कृषि शिक्षा में बेहतर भविष्य बनाने का हुनर सिखाया जा रहा है। उन्होंने यह बात शनिवार को एक्सपो में आयोजित कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर कही। इस दौरान बतौर विशिष्ट अतिथि हेस्को के संस्थापक पद्मश्री डॉ. अनिल प्रकाश जोशी, रायपुर के विधायक उमेश शर्मा 'काऊ', हिमालयन ड्रग्स के अध्यक्ष डॉ. एस फारूख ने छात्रों का उत्साहवर्धन किया। कहा कि ऐसे प्लेटफार्म से विद्यार्थियों को अच्छा कॅरियर चुनने का मौका मिलेगा, साथ ही गांवों में कृषि स्वरोजगार के प्रति उनकी जिज्ञासा बढ़ेगी। इस अवसर पर डेफेक्स टीम के सदस्य धीरज देवराड़ी, अखिलेश शर्मा, मनीष नवानी, राकेश डोभाल, दीपिका नेगी, अभिषेक डोभाल, आरती साही, उमेश नौडियाल, जगदीश भंडारी आदि मौजूद रहे।
छात्रों ने चित्रकला में उकेरी कलाकृति
पिंडर घाटी सांस्कृतिक व विकास समिति की ओर से विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। जिसमें भाषण, निबंध, पोस्टर, रंगोली, लोकनृत्य, लोक गीत स्कूली छात्र-छात्राओं ने प्रस्तुत किए। साथ ही चित्रकला में ग्रामीण परिवेश, कृषि, वानिकी विषयों पर छात्रों ने कलाकृतियां बनाई। विजेताओं को अंतिम दिन सम्मानित किया जाएगा। प्रतियोगिताओं में दून वैली पब्लिक स्कूल, डीएसकेएसएससी पब्लिक स्कूल, सनराइज अकादमी, सरस्वती विद्या मंदिर नथुवावाला, सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल, एमकेपी इंटर कॉलेज, माया कॉलेज, तुलास कॉलेज के छात्रों ने प्रतिभाग किया।
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रोजगार के लिए पलायन जरूरी नहीं
कृषि सेमीनार में प्रगतिशील किसान उमेश भट्ट व मधुकांत सिलोड़ी ने पशुपालन क्षेत्र में नवयुवकों से आगे आने का आग्रह किया। कहा कि रोजगार की तलाश में पलायन करने की जरूरत नहीं है। गांवों में पशुपालन बेहतर स्वरोजगार विकल्प के रूप में अपनाया जा सकता है।
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