National Epilepsy Day: सही उपचार से मिलेगी मिर्गी से मुक्ति, जानिए क्या हैं इसके कारण
मिर्गी की समस्या से हम तभी निजात पा सकते हैं जब उसका सही उपचार किया जाए। दो से तीन सालों में इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।
By Edited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 08:19 PM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 04:01 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। सही समय पर उपचार शुरू करने से मिर्गी की समस्या से हमेशा के लिए निजात पाई जा सकती है। नियमित उपचार की और दो से तीन सालों में इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। सीएमआइ अस्पताल के न्यूरोसर्जन महेश कुड़ियाल ने मिर्गी से संबंधित भ्रांतियों को दूर कर कई उपयोगी जानकारी दी।
रविवार को राष्ट्रीय मिर्गी दिवस के उपलक्ष्य में उत्तरांचल प्रेस क्लब में आयोजित गोष्ठी में डॉ. महेश कुड़ियाल ने मिर्गी रोग और उसके प्रकार पर प्रकाश डाला, साथ ही इसके उपचार और इस दौरान बरती जाने वाली सावधानियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमारे देश में एक करोड़ से अधिक लोग मिर्गी से ग्रस्त हैं। जो कि चिंता का विषय है। उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि दुर्भाग्य से इस ओर सरकार और मेडिकल कंपनियों ने भी कभी गंभीरता नहीं दिखाई। उन्होंने लोगों से अपील की कि मिर्गी से घबराने की आवश्कता नहीं है, बल्कि समझदारी से इसका उपचार कराया जाए तो हमेशा के लिए इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।
सही समय पर सही दवा ली जाए तो करीब 70 फीसद मामलों में मिर्गी जड़ से समाप्त हो जाती है। उन्होंने बताया कि देश में करीब 27 लाख महिलाएं मिर्गी से ग्रस्त हैं, जिनमें करीब 52 फीसद महिलाएं 15 से 49 वर्ष आयु वर्ग की हैं। डॉ. कुड़ियाल ने बताया कि अधिकांश मामलों में नियमित दवा लेने से ही रोगी ठीक हो जाता है, जबकि 10 से 15 फीसद मामलों में सर्जरी की जा सकती है। गोष्ठी में प्रेस क्लब के अध्यक्ष विकास धूलिया और महामंत्री संजय घिल्डियाल भी मौजूद थे।
मिर्गी के संभावित कारक
-तनाव
-अनिद्रा या थकावट
-पर्याप्त भोजन न करना
-शराब का अधिक सेवन या अन्य नशे
-समय से पहले जन्म होना या जन्म के समय वजन कम होना या ऑक्सीजन मस्तिष्क तक न पहुंचना
-जन्म के समय मस्तिष्क की असामान्य बनावट
-मस्तिष्क को गंभीर चोट आना
-परिवार में किसी को मिर्गी रही हो
-अल्जाइमर की बीमारी के बाद
-लंबे बुखार के बाद
-धमनियों में अवरोध के कारण स्ट्रोक
-मस्तिष्क की रसौली आदि।
सतर्कता और समझदारी दिखाएं
-शुरुआती दौरे के बाद ही उपचार शुरू कर दें
-नियमित रूप से दवा लें
-विशेषज्ञ डॉक्टर या नर्स से ही सलाह लें
-दौरों के कारणों को पहचानें
-पर्याप्त नींद लें
-तनाव में कमी लाएं।
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