नालों पर अतिक्रमण बना इस शहर के लिए नासूर, जानिए Dehradun News
नगर निगम क्षेत्र के नए और पुराने 100 वार्डों में 50 छोटे-बड़े नाले शहर के लिए खतरा बने हुए हैं। लगातार बढ़ रहे अतिक्रमण से ये नाले बड़े खतरे को न्योता देते दिख रहे हैं।
By Edited By: Published: Wed, 19 Jun 2019 03:01 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jun 2019 03:07 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। नगर निगम क्षेत्र के नए और पुराने 100 वार्डों में 50 छोटे-बड़े नाले शहर के लिए नासूर बने हुए हैं। नालों पर जिस तरह से अतिक्रमण कर उनके प्रवाह क्षेत्र को मोड़ा गया है, उससे यह बारिश में आबादी के लिए खतरा बन जाते हैं। इस दिशा में नगर निगम, जिला प्रशासन, एमडीडीए और सिंचाई विभाग पूरी तरह से आंखें मूंदे हुए हैं। समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो भविष्य में नाले शहर में बड़ी तबाही का कारण बन सकते हैं। जिसमें नालों में जमा कई टन कचरा बारिश में बारूद बन सकता है।
सरकार ने नगर निगम क्षेत्र का दायरा बढ़ाते हुए 100 वार्ड कर दिए हैं। मगर, संसाधन और समस्याएं जस की तस हैं। खासकर सड़क, नाली, फुटपाथ से हटकर नालों की समस्या पर न तो जिला प्रशासन और न ही नगर निगम ध्यान दे रहा है। यही कारण है कि शहर के बीच आबादी क्षेत्र में बहने वाले नाले बरसात में जलभराव और भू-कटाव के कारण खतरा बन गए हैं। इन नालों पर अतिक्रमण कर जिस तरह से लोगों ने घरों को आधे नाले के ऊपर तक पहुंचा दिया है, इससे खतरा दोगुना हो गया है। ऐसे लोग स्वयं के साथ शहर के सुरक्षित इलाकों के लिए भी खतरा बढ़ा रहे हैं।
रिस्पना-बिंदाल नदी को छोड़ कर शहर के पुराने वार्ड में पांच बड़े और 17 छोटे नाले थे, जो 40 नए वार्ड जुड़ने के बाद 50 के पार पहुंच गए हैं। जबकि कई जगह अभी नालों के किनारे प्लाटिंग हो रही है। इससे यह नाले अभी सुरक्षित हैं। लेकिन जहां कॉलोनी बस गई हैं, वहां लोगों ने नालों पर कब्जा कर दिया है। कब्जा करने के साथ ही लोग घरों का कचरा सीधे नालों में डाल रहे हैं। जिससे कई जगह नाले डंप यार्ड के रूप में उपयोग हो रहे हैं।
यही कारण है कि बरसात में नालों में जमा कचरा संकरे हिस्से या मुहाने पर एकत्र हो रहा है। जिससे नालों के आसपास बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं। 100 नाला गैंग, सफाई फिर भी नहीं नगर निगम ने पुराने और नए वार्ड के लिए 100 नाला गैंग बनाए गए हैं। इनका काम नाला खोलने से लेकर नालों की सफाई करना है। लेकिन, बारिश में नालों में बह रहा कचरा नाला गैंग को आइना दिखा रहा है। इसी तरह बरसात से ठीक पहले नालों की सफाई की निविदाएं आमंत्रित की जाती हैं। हर बार यह व्यवस्था सिर्फ खानापूर्ति के लिए होती है। जबकि नालों में हर माह कूड़ा डाला जाता है। ऐसे में नालों की नित्य सफाई होनी जरूरी है। बारिश से पहले तीन बड़े नालों की सफाई हो चुकी है।
नगर आयुक्त विनयशंकर पांडेय का कहना है कि 17 नालों की सफाई के टेंडर हो गए हैं। इनकी सफाई का कार्य चल रहा है। नालों को लोग कब्जा करने के साथ ही कूड़ा फेंकने के लिए उपयोग कर रहे हैं। इसके लिए जागरूकता की जरूरत है। सभी विभागों के समन्वय से इसमें सुधार लाया जा सकता है।
शहर के प्रमुख नाले
-डीएम आवास से नेशविला रोड।
-सालावाला से बिंदाल नदी तक।
-तेल भवन से बिंदाल तक।
-चंद्रनगर से रेसकोर्स तक।
-मन्नूगंज से डांडीपुर तक।
-आराघर से रेसकोर्स।
-इंदिरा कॉलोनी-चुक्खूवाला।
-नीलकंठ विहार।
-शास्त्रीनगर-सीमाद्वार।
-इंद्रेशनगर-भूसा स्टोर के पास।
-गऊघाट से भंडारीबाग
-नेहरू कॉलोनी-नदी रिस्पना।
-संजय कॉलोनी-पटेलनगर।
-सुभाषनगर-ओघल भट्टा।
-किशननगर चौक-बिंदाल नदी।
-अपर राजीवनगर नाला।
-गोविंदगढ़ चौक से बिंदाल पुल।
-राजेंद्रनगर से शांति विहार।
-कैंट की पुलिया से नीलकंठ विहार।
-ओघल भट्ट-क्लेमनटाउन।
-चंदरनगर से रेलवे पटरी तक।
-जाखन पुराने स्टेट बैंक के पास।
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