उत्तराखंड में आने वाली सरकार पर टिकी है कर्मचारी संगठनों की नजर, मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई के आसार
विधानसभा चुनाव के लिए उत्तराखंड में कर्मचारियों की नजरें आने वाली सरकार पर टिकी हुई हैं। उन्हें उम्मीद है कि उनकी मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई की जाएगी। ये कर्मचारी संगठन बीते वर्ष अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे थे।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में अगली सरकार पर अब कर्मचारी संगठनों की नजर भी टिकी हुई है। इसका मुख्य कारण कर्मचारी संगठनों का बीते एक साल से विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलनरत रहना है। कर्मचारी उम्मीद कर रहे हैं कि नई सरकार उनके हितों के संबंध में अवश्य कदम उठाएगी।
उत्तराखंड में बीते एक साल से कर्मचारी संगठन लगातार अपनी मांगों को लेकर आवाज उठाते रहे हैं। सचिवालय से लेकर नगर निकायों तक अमूमन यही स्थिति रही। एसीपी, पुरानी पेंशन बहाली व स्वास्थ्य गोल्डन कार्ड ऐसे प्रमुख विषय रहे, जिन पर सभी कर्मचारी संगठन आंदोलन को उतरे। इसके अलावा शिथिलीकरण नियमावली, पुलिस कर्मचारियों का ग्रेड पे, संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण, पदोन्नति प्रक्रिया, समान पद समान वेतन, विभागीय नियमावली की विसंगतियां आदि कई अन्य ऐसे विषय थे, जिन्हें लेकर कर्मचारी संगठन अपनी आवाज बुलंद किए हुए थे। इनमें सचिवालय, पेयजल, विद्युत, शिक्षा विभाग के साथ ही उपनल व पीआरडी कर्मी भी शामिल रहे। सरकार ने इन संगठनों को आश्वासन तो दिया लेकिन आचार संहिता लगने के कारण इनकी मांगे पूरी नहीं हो पाई। ऐसे में कर्मचारी संगठनों की नजरें नई सरकार पर टिकी हुई हैं। वे उम्मीद जता रहे हैं कि नई सरकार कर्मचारियों के हितों का पूरा ध्यान रखते हुए उनकी मांगों पर कार्रवाई सुनिश्चित करेगी।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष अरुण पांडेय ने कहा, प्रदेश में आने वाली सरकार से कर्मचारियों को काफी उम्मीदें हैं। आशा है कि सरकार कर्मचारी वर्ग को प्रदेश के विकास में सहभागी बनाएगी। कर्मचारियों के विचार जानने के साथ ही उनके लंबित प्रकरणों पर भी उचित कार्रवाई की जाएगी। इस समय ऐसे कई प्रकरण हैं, जिन पर कर्मचारी जल्द निर्णय की उम्मीद कर रहे हैं।
उत्तराखंड अधिकारी कार्मिक शिक्षक महासंघ के अध्यक्ष दीपक जोशी का कहना है कि प्रदेश में चाहे कांग्रेस की सरकार बने या भाजपा की, दोनों ही कर्मचारियों के मुद्दों से भली भांति परिचित हैं। उम्मीद है कि नई सरकार जितनी जनता के प्रति प्रतिबद्ध होगी, उतना ही कर्मचारियों के प्रति भी। कर्मचारियों के ऐसे कई अहम मुद्दे हैं, जिन पर जल्द से जल्द निर्णय लेने की जरूरत है।
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