सुनिए सरकार उत्तराखंड की पुकार : खुशहाली की गंगा को चाहिए पहाड़ पर तेज विकास
Suniye Sarkar Uttarakhand Ki Pukar दैनिक जागरण की नई सरकार के लिए पांच वर्षीय एजेंडा तैयार करने की मुहिम से जुड़े इन विशिष्ट जनों ने ये सुझाव सामने रखे। वेबिनार राउंड टेबल कांफ्रेंस चौपाल समेत इंटरनेट के विभिन्न माध्यम के साथ ही व्यक्तिगत रूप से भी उनसे संपर्क साधा गया।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: Suniye Sarkar Uttarakhand Ki Pukar देवभूमि उत्तराखंड में खुशहाली की गंगा बहे, इसके लिए आवश्यक है कि पूरे प्रदेश विशेषकर 80 प्रतिशत से ज्यादा पर्वतीय क्षेत्र में ढांचागत विकास तेजी से हो। सड़कें, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य व संचार समेत अवस्थापना सुविधाओं के इस ढांचे की नींव जितनी मजबूत होगी, प्रदेश उतनी ही शक्ति से अपने पैरों पर खड़ा हो सकेगा। प्रबुद्ध जनों, विकास परियोजनाओं के शिल्पी टेक्नोक्रेट, अभियंताओं समेत प्रदेश के जनमानस का यही मानना है।
उन्होंने गांव-गांव सड़कों का व्यापक नेटवर्क खड़ा करने पर जोर दिया ही, साथ में निर्माण कार्यों की घटिया गुणवत्ता के प्रति आगाह भी किया। 'दैनिक जागरणÓ की नई सरकार के लिए पांच वर्षीय एजेंडा तैयार करने की मुहिम से जुड़े इन विशिष्ट जनों ने ये सुझाव सामने रखे। वेबिनार, राउंड टेबल कांफ्रेंस, चौपाल समेत इंटरनेट के विभिन्न माध्यम के साथ ही व्यक्तिगत रूप से भी उनसे संपर्क साधा गया।
ढांचागत परियोजनाओं की गुणवत्ता पर रहे विशेष जोर
ढांचागत विकास की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी लाइफलाइन समझी जाने वाली सड़कें हैं। प्रदेश में कुल 15745 गांवों में अभी 13256 गांव सड़क नेटवर्क से जुड़े हैं। 2489 गांवों में अभी सड़कें पहुंचना शेष है। गांवों में सड़कों के पहुंचने की रफ्तार से ही ग्रामीणों को मिलने वाली स्वास्थ्य, शिक्षा, समेत आवश्यक जन सेवाओं की गुणवत्ता तय होगी। सड़कों के त्वरित निर्माण की पैरवी लोक निर्माण विभाग के सेवानिवृत्त प्रमुख अभियंता हरिओम शर्मा ने भी की। ढांचागत परियोजनाओं के निर्माण में खराब गुणवत्ता पर चिंता सामने आई है। उद्यमी धीरेंद्र सिंह रावत, राजकीय इंटर कालेज नौगांव, उत्तरकाशी के शिक्षक प्रमोद रावत निर्माण कार्यों की खराब गुणवत्ता और भ्रष्टाचार पर अंकुश रखने के लिए नियमित अनुश्रवण की अपेक्षा नई सरकार से रखते हैं।
अब चाहिए रेल लाइन नेटवर्क का दोनों मंडलों में विस्तार
कभी उत्तराखंड में ढांचागत विकास से अलग-थलग समझे जाने वाले रेलवे के विषय पर भी प्रतिभागियों ने महत्वपूर्ण सुझाव रखे हैं। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन, चार धाम रेल परियोजना और टनकपुर-बागेश्वर रेललाइन जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं ने राज्यवासियों में नई उम्मीदें जगा दी हैं। संवाद के दौरान विभिन्न प्रतिभागियों ने रेल नेटवर्क के विस्तार पर जोर दिया तो गढ़वाल व कुमाऊं को जोड़ते हुए रेल नेटवर्क के विस्तार की पैरवी की।
सभी शहरी क्षेत्रों में बिछें नई पाइपलाइन
एशिया के वाटर टैंक उत्तराखंड में पेयजल आपूर्ति को लेकर हालत चिराग तले अंधेरा सरीखी है। 70 प्रतिशत से अधिक आबादी गुणवत्तापूर्ण जलापूर्ति से वंचित है। इनमें भी पूरी तरह पेयजल आच्छादित आबादी की हिस्सेदारी सिर्फ 42.26 लाख है। ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरों में पेयजल वितरण की स्थिति बेहतर है, लेकिन इनमें कई स्थानों पर पाइपलाइन बेहद पुरानी हो चुकी हैं। इनसे पानी दूषित होने का अंदेशा बढ़ गया है।
विद्युत वितरण में सुधार जरूरी
ऊर्जा प्रदेश बनने की क्षमता रखने के बावजूद उत्तराखंड का ये सपना हवा हो चुका है। परिणाम ये है कि अब खपत पूरी करने के लिए राज्य को केंद्रीय पूल से महंगी बिजली खरीदनी पड़ रही है। राज्य के शत-प्रतिशत गांवों में बिजली पहुंचने का दावा किया जा रहा है। दरअसल दुर्गम क्षेत्र के जिन गांवों में ओवरहेड लाइन से बिजली पहुंचाना संभव नहीं हुआ, वहां सौर ऊर्जा या वैकल्पिक ऊर्जा माध्यमों से बिजली पहुंचाई गई है। 900 से अधिक गांवों और मजरे-तोक को ग्रिड से बिजली आपूर्ति नहीं की जा रही है। विद्युत पारेषण निगम के पूर्व प्रबंध निदेशक अतुल अग्रवाल कहते हैं कि प्रदेश में बिजली की पर्याप्त उपलब्धता है, लेकिन वितरण व्यवस्था को सुधारना होगा।
स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास जरूरी: पंकज
स्वास्थ्य सेवाओं का मजबूत ढांचा आम जन को सेहतमंद तो रखता ही है, साथ में दूरदराज व दुर्गम क्षेत्रों में पूंजी निवेश, रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए भी आवश्यक है। उत्तराखंड में अभी यह ढांचा कमजोर है। श्रीमहंत इंदिरेश अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डा पंकज अरोड़ा नई सरकार से उम्मीद करते हैं कि उत्तराखंड की बुनियादी जरूरतों में से एक स्वास्थ्य से संबंधित मूलभूत सुविधाओं का विकास करेगी।
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छात्रसंख्या के आधार पर हों सुविधाएं: पुष्पा मानस
शिक्षा की गुणवत्तापरक सुविधा किसी भी क्षेत्र की सामाजिक हैसियत बताती हैं। संख्या के मामले में प्राथमिक विद्यालय से लेकर डिग्री कालेज के स्तर तक अच्छा मुकाम रखने वाला प्रदेश शिक्षा की गुणवत्ता के मोर्चे पर जन अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरता। प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों की संख्या 22676 है। पूर्व शिक्षा निदेशक पुष्पा मानस के अनुसार प्रदेश में स्कूल, कालेज और विश्वविद्यालयों में आधाभूत सुविधाएं छात्र संख्या के आधार पर हों।
कनेक्टिविटी की समस्या का समाधान संभव: गजेंद्र दत्त
बड़े पर्वतीय भू-भाग वाले इस प्रदेश में संचार सुविधाएं खासतौर पर मोबाइल फोन और इंटरनेट कनेक्टिविटी की हालत खराब है। भारत संचार निगम लिमिटेड के सेवानिवृत्त अभियंता गजेंद्र दत्त उनियाल का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में पर्वतीय क्षेत्रों में संचार नेटवर्क का विस्तार हुआ है। अब चार धाम क्षेत्र में कनेक्टिविटी बेहतर हुई है। इंटरनेट कनेक्टिविटी के मामले में राज्य सरकार के स्तर पर भी विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है।
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