यहां मॉर्निग वॉक पर है गजराज का पहरा, जानिए कैसे
देहरादून के रायवाला में राजाजी टाइगर रिजर्व से सटे आबादी क्षेत्रों में इन दिनों सड़क पर गजराज का पहरा है। जिनसे लोगों को खतरा बना हुआ है।
देहरादून, जेएनएन। मॉर्निंग वॉक सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है, लेकिन इन दिनों मॉर्निंग वॉक के दौरान सतर्कता भी जरूरी है। दरअसल, इन दिनों सड़क पर गजराज का पहरा है। जिनसे लोगों को खतरा बना हुआ है। राजाजी टाइगर रिजर्व से सटे गांव की सड़कों पर शाम और सुबह के वक्त हाथी आ रहे हैं। जिनके भय से कई लोगों ने मॉर्निंग वॉक पर जाना छोड़ दिया है। शीत ऋतु शुरू होते ही हाथी जंगलों से निकलकर सड़क और आबादी का रुख करने लगे हैं।
राजाजी टाइगर रिजर्व से सटे आबादी क्षेत्रों में इनकी चहलकदमी देखी जा सकती है। हाथी न केवल फसल, बल्कि घरों की चहारदीवारी, गेट आदि संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। शाम ढलने से हाथियों की चहलकदमी शुरू हो जाती है और सुबह तड़के तक बनी रहती है। रिहाइशी क्षेत्रों में हाथियों की आवाजाही के चलते लोग दहशतजदा हैं। खतरे को देखते हुए रोजाना मॉर्निंग वॉक पर जाने वाले ज्यादातर लोग इन दिनों घर में रहने में भी भलाई समझ रहे हैं। कई ने तो रूटीन चेंज कर लिया है या सूर्योदय के बाद ही मॉर्निंग वॉक के लिए निकल रहे हैं।
मंगलवार को हरिपुरकलां में हाथी ने जमकर उत्पात मचाया। बीती बुधवार देर शाम को रायवाला गांव में एक हाथी आ धमका तो लालतप्पड़ के पास हाथियों का झुंड हाईवे पार करते देखा गया। सामाजिक कार्यकर्ता व गढ़वाल महासभा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजे नेगी, तुषार कपिल, छात्र अमन नेगी आदि ने बताया कि हाथी के भय से मार्निंग वॉक तो बन्द ही हो गई है। अल सुबह व शाम को रोजाना के काम से आने-जाने वाले लोगों व ट्यूशन जाने वाले बच्चों के लिए भी हाथी खतरा बना हुआ है। वन विभाग को सुरक्षा के पुख्ता उपाय करने चाहिए।
सर्द मौसम की शुरुआत में होता है मस्तकाल
सर्द मौसम की शुरुआत के साथ हाथियों का भी मस्तकाल भी शुरू हो जाता है। राजाजी टाइगर रिजर्व आबादी क्षेत्र से सटा हुआ है। वैसे तो इस क्षेत्र में हमेशा ही हाथियों का खतरा रहता है, लेकिन मस्तकाल में हाथी खासतौर पर आक्रामक होने के कारण खतरनाक साबित होते हैं। ऐसे में सावधानी रखे जाने की जरूरत है।
वन विभाग की ओर से की जाती है नियमित गश्त
सनातन सोनकर (निदेशक राजाजी टाइगर रिजर्व) का कहना है कि मस्तकाल होने के कारण इन दिनों हाथियों का व्यवहार बदल जाता है। नागरिकों को चाहिए कि वह सुरक्षित स्थानों पर ही प्रात: भ्रमण के लिए जाएं व अधिक सावधानी बरतें। वन विभाग की और से नियमित गश्त की जाती है।
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