Move to Jagran APP

अब उत्तराखंड के पर्यटन को लगेंगे पंख, सड़कों पर दौड़ेंगे इको फ्रेंडली वाहन

उत्तराखंड की सड़कों पर अब इको फ्रेंडली वाहन दौड़ेंगे। केंद्र सरकार की भारत को इलेक्ट्रिक वाहन राष्ट्र बनाने की योजना से अब उत्तराखंड भी जुड़ गया है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 28 Sep 2018 05:20 PM (IST)Updated: Fri, 28 Sep 2018 05:20 PM (IST)
अब उत्तराखंड के पर्यटन को लगेंगे पंख, सड़कों पर दौड़ेंगे इको फ्रेंडली वाहन
अब उत्तराखंड के पर्यटन को लगेंगे पंख, सड़कों पर दौड़ेंगे इको फ्रेंडली वाहन

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: देवभूमि उत्तराखंड में इको फ्रेंडली इलेक्ट्रिक वाहन दौड़ेंगे। केंद्र सरकार की 2030 तक भारत को 'इलेक्ट्रिक वाहन राष्ट्र' बनाने की योजना से उत्तराखंड भी जुड़ गया है। इसके साथ ही निवेशकों को आकर्षित करने के लिए प्रदेश में जल्द ही नई पर्यटन नीति भी बनने जा रही है।  

loksabha election banner

दरअसल, मंत्रिमंडल ने राज्य को इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण की पसंदीदा जगह बनाने के लिए उत्तराखंड इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माणक, ईवी उपयोग, संव‌र्द्धन और संबंधित सेवा अवसंरचना नीति को स्वीकृति दे दी है। इसमें इलेक्ट्रिक वाहन उद्योगों के लिए रेड कार्पेट बिछाया गया है। 

सरकार के प्रवक्ता व काबीना मंत्री मदन कौशिक ने कैबिनेट फैसलों की ब्रीफिंग में बताया कि उत्तराखंड में इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण उद्योग लगाने वाले निवेशकों को उद्योगों को दी जाने वाली तमाम रियायतें पांच वर्ष तक दी जाएंगी। ऋण पर ब्याज में छूट के साथ इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में छूट और स्टांप शुल्क में भी राहत मिलेगी। सिडकुल में भूमि की लागत में छूट लार्ज, मेगा और अल्ट्रा मेगा उद्यमों को मेगा इंडस्ट्रियल नीति और 10 से 50 करोड़ के वृहद उद्यमों को बृहद औद्योगिक निवेश व रोजगार प्रोत्साहन नीति के प्रावधानों के मुताबिक दी जाएगी। स्टेट जीएसटी में 30 से 50 फीसद तक राहत रहेगी।

ईटीपी संयंत्र की स्थापना को पूंजीगत व्यय पर उद्योग नीति के मुताबिक छूट मिलेगी। इलेक्ट्रिक वाहनों से जुड़े 100 कुशल कारीगरों के ईपीएफ की प्रतिपूर्ति को 50 फीसद या अधिकतम दो करोड़ की राशि दस वर्ष के लिए सरकार देगी। साथ ही कौशल विकास प्रशिक्षण के लिए छह माह तक एक हजार प्रशिक्षणार्थियों के शुल्क का भुगतान भी सरकार करेगी। इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र लेने की आवश्यकता नहीं होगी। राज्य सरकार ने ईवी चार्जिग इन्फ्रास्ट्रक्चर नीति में चार प्रकार की चार्जिग सुविधाओं की कल्पना की है। इनमें घरेलू उपयोगकर्ता सुविधा (व्यक्तिगत), सार्वजनिक चार्जिग सुविधा (सरकारी सुविधाएं, बस डिपो, रेलवे स्टेशन आदि), सामान्य चार्जिग सुविधा (मॉल, आवासीय भवन, शैक्षणिक संस्थान आदि) व वाणिज्यिक चार्जिग सुविधा (सड़क किनारे, ईधन स्टेशन आदि)।

इस सेवा उद्यम में स्लो चार्जिग स्टेशन, बैटरी स्वैपिंग स्टेशन, टू व्हीलर, थ्री व्हीलर, कार, बसें और अन्य फोर व्हीलर इलेक्ट्रिक वाहन। उक्त नीति अधिसूचना जारी होने की तिथि से लागू होगी और पांच साल के लिए प्रभावी रहेगी। यह नीति राज्य की मेगा औद्योगिक और निवेश नीति, वृहद औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति और एमएसएमई नीति की पूरक है। 

बताया गया कि दहनशील वाहनों से इलेक्ट्रिक वाहन में परिवर्तन के लिए राज्य सरकार हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देगी। साथ में हेवी इलेक्ट्रिक व्हीकल की मांग को बढ़ावा दिया जाएगा। बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्र में शोध मंत्रिमंडल ने केंद्र सरकार की ओर से निर्धारित बायोटेक्नोलॉजी नीति को राज्य के लिए भी मंजूरी दी। इसके तहत बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्र में शोध कार्यो को प्रोत्साहित करने के लिए पांच करोड़ का फंड तैयार किया गया है। इस क्षेत्र में प्रोत्साहन देने की योजना की मुख्य सचिव नियमित समीक्षा करेंगे। शोध के लिए दो चरणों में अनुदान मिलेगा। 

पहले छह माह के लिए पांच लाख रुपये और दूसरे चरण में एक साल तक अधिकतम 25 लाख रुपये उपलब्ध कराए जाएंगे। शोध कार्य के लिए संस्थान को भी पांच लाख की मदद का प्रावधान है। एरोमा सेक्टर पर बरसाई रियायतें इसीतरह एरोमा सेक्टर में धूप, अगरबत्ती, सुगंधित तेल से संबंधी औद्योगिक इकाई को भी कई रियायतें दी गई हैं। काशीपुर और पंतनगर में एरोमा पार्क की स्थापना को इकाइयों को भूमि खरीद पर स्टांप शुल्क में शत-प्रतिशत छूट, ऋण ब्याज में छूट छह फीसद या अधिकतम चार लाख रुपये, स्टेट जीएसटी में पांच साल तक छूट दी जाएगी। 

30 एकड़ तक 500 करोड़ तक निवेश से 5000 रोजगार सृजित होंगे। स्वायत्तशासी संस्थाएं हुई शामिल मंत्रिमंडल ने उत्तराखंड सेवानिवृत्तिक लाभ संशोधन नियमावली को मंजूरी दी। इसमें एक अक्टूबर, 2005 से पहले कार्यरत केंद्र सरकार व राज्य सरकार के स्वायत्तशासी संस्थाओं में कार्यरत रहे कार्मिकों को राज्य सरकार के अन्य महकमों व स्वायत्तशासी संस्थाओं में नियुक्त होने की स्थिति में पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा। संशोधित नियमावली में सरकारी स्वायत्तशासी संस्थाओं को शामिल किया गया है।

निवेशकों को आकर्षित करेगी नई पर्यटन नीति

पर्यटन को उद्योग का दर्जा मिलने के बाद पर्यटन विभाग की नई पर्यटन नीति अस्तित्व में आने जा रही है। निवेशकों को केंद्र में रख कर बनाई गई इस नीति में 28 प्रकार की गतिविधियों को पर्यटन का हिस्सा बनाया गया है। इस नीति में पर्यटन परियोजनाओं को निवेश के हिसाब से तीन वर्गो में बांटते हुए इनमें अलग-अलग सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है। साथ ही, इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि पांच वर्षो तक पर्यटन इकाई का संचालन नहीं होता तो फिर सब्सिडी को मय ब्याज विभाग को लौटाना होगा। प्रदेश में अगले माह प्रस्तावित निवेश सम्मेलन से पहले सरकार ने पर्यटन की नई नीति को मंजूरी प्रदान की है।

इस नीति की वैधता जारी होने की तिथि से पांच वर्ष के लिए रखी गई है। हर दो वर्ष में इस नीति में बदलाव किया जाएगा। इस नीति में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग नीति की तरह ही प्रावधान किए गए हैं। निवेश के हिसाब से उद्योगों को तीन वर्गों में बांटा गया है। 10 करोड़ से 75 करोड़ के निवेश से बननी वाली योजना को विशाल योजना, 75 करोड़ से 200 करोड़ तक के निवेश को मेगा योजना और 200 करोड़ से अधिक की योजना को अल्ट्रा मेगा योजना की श्रेणी में रखा गया है। योजनाओं के आधार पर ही मैदानी व पर्वतीय क्षेत्र के लिए सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। 

28 क्षेत्रों को किया गया है शामिल 

इस नीति के अंतर्गत होटल, रिजॉर्ट, योगा, आरोग्य, स्पा आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा रिजॉर्ट, ईको लाउंज, रेस्टोरेंट, पार्किंग स्थल, मनोरंजन पार्क, कन्वेंशन सेंटर, साहसिक गतिविधियों, रोप-वे, एयर टैक्सी, हस्तशिल्प, सफारी व सर्विस अपार्टमेंट आदि का चयन किया गया है। 

एचपीइसी करेगी योजनाओं का अनुमोदन 

इन योजनाओं के अनुमोदन व स्वीकृति के लिए एक हाई पॉवर एक्जिक्यूटिव कमेटी का गठन किया गया है, जिसमें मुख्य सचिव को अध्यक्ष व सचिव पर्यटन को इसका सदस्य संयोजक बनाया गया है। इसके अलावा उद्योग, वित्त, राजस्व, शहरी विकास, वन, के सचिव स्तर व इससे उच्च अधिकारियों, यूटीडीबी के सीईओ व वित्त नियंत्रक को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है।

यह भी पढ़ें:  यहां 11 हजार फीट की ऊंचाई पर बनेगा कांच का पुल, हवा में तैरेंगे आप

यह भी पढ़ें: चीन सीमा पर इस घाटी का पर्यटक कर सकेंगे दीदार, हटेगा 56 साल पुराना प्रतिबंध

यह भी पढ़ें: उत्‍तराखंड का यह कस्‍बा इनर लाइन से मुक्‍त, अब आ सकेंगे विदेशी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.