Dehradun News: एक दर्जन बुजुर्गों ने चंदे से ठीक कराए ओपन जिम के पुर्जे, नगर निगम को दिखाया आईना
Dehradun News बुजुर्गों ने गांधी पार्क स्थित ओपन जिम के पुर्जे चंदे से ठीक कराए। सैर करने वालों ने गांधी पार्क में ओपन एयर जिम को लेकर नगर निगम की उदासीनता को आईना दिखाया। सुरक्षा के अभाव में कईं मशीनों के पुर्जे चोरी हो गए।
अंकुर अग्रवाल, देहरादून। शारीरिक कसरत के लिए महंगे जिम का खर्च न उठा पाने वालों के लिए गांधी पार्क में मुफ्त कसरत को लेकर नवंबर 2019 में बनाए गए ओपन एयर जिम का रखरखाव भले नगर निगम भूल गया, लेकिन आमजन ने चंदा एकत्रित कर इसे दुरुस्त करा दिया। यह आमजन कोई और नहीं, बल्कि करीब एक दर्जन ऐसे बुजुर्ग हैं, जो रोजाना सैर के लिए सुबह-शाम गांधी पार्क आते हैं। नगर निगम से गुहार लगाकर थक चुके वृद्धजनों ने महज 10 हजार रुपये में जिम के काफी कलपुर्जे ठीक करा दिए। देखभाल व सुरक्षा के अभाव में यहां लगी साइकिलिंग मशीन के पैडल और शोल्डर मशीन की राड गायब हो गई थी, या टूट गई थी। कुछ मशीनों के नट-बोल्ट एवं अन्य सामान टूट गए थे, जो अब दुरुस्त हो गए।
अमृत योजना के तहत नगर निगम की ओर से गांधी पार्क में तीन करोड़ रुपये के बजट से वर्ष 2019 में सौंदर्यीकरण समेत अन्य कार्य कराए गए थे। किड्स जोन एवं जागिंग ट्रैक बनाया गया और फिर निगम ने यहां ओपन एयर जिम, म्यूजिकल फाउंटेन एवं अन्य सौंदर्यीकरण के कार्य भी कराए। ओपन एयर जिम को पीपीपी मोड में बनाया गया। इसे तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नाम पर 'टीएसआर ओपन गोल्ड जिमÓ नाम भी दिया गया। लोकार्पण करते वक्त तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दावा किया था कि गांधी पार्क में सैर के लिए आने वाले युवाओं, बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य के लिए ओपन जिम लाभकारी होगा। यहां व्यायाम के दौरान मदद के लिए तीन प्रशिक्षक तैनात करने के निर्देश भी दिए गए थे। मुख्यमंत्री ने दिव्यांगजनों को ध्यान में रख उपकरण लगाने का निर्देश भी दिया था, मगर यह सब दावे धरे रह गए।
हालात ये हैं कि जिम में लगी आधी से अधिक मशीनों के कलपुर्जे रखरखाव नहीं होने के कारण टूट गए या सुरक्षा के अभाव में चोरी हो गए। रोजाना सैंकड़ों लोग सुबह व शाम यहां पसीना बहाने आते हैं, लेकिन किसी ने इसकी सुध नहीं ली। पिछले दिनों पार्क में आने वाले वरिष्ठ नागरिकों के एक समूह ने इस पर चिंतन किया और निगम में पहुंचकर कलपुर्जे ठीक कराने की गुहार भी लगाई। चिंताजनक यह है कि उनकी गुहार किसी ने नहीं सुनी। कुछ दिन इंतजार करने के बाद तय हुआ कि अब खुद इसे दुरुस्त कराया जाएगा। वृद्धजनों ने चंदा एकत्र कर ज्यादातर मशीनों को दुरुस्त करा दिया।
इस तरह खराब पड़ी थी मशीनें
साइकिलिंग मशीन के पैडल और बोल्ट गायब कर दिए गए तो वाकिंग मशीन पर तार बांधने की नौबत भी आ गई थी। कुछ दिन तो तार बांधकर मशीन पर काम चलता रहा लेकिन बाद में यह जवाब दे गई। पार्क में वेट मशीन के वेट गायब हो गए, जबकि पैरों की कसरत के लिए लगी मशीनें में भी रख-रखाव न होने से खराब हो गईं। आधा दर्जन मशीनें खराब हो चुकी थी। पुरुषों व महिलाओं के लिए अलग ओपन जिम बने जरूर थे, मगर दोनों ही दुर्दशा की भेंट चढ़ गए।
वरिष्ठ नागरिकों ने भेजा पत्र
ओपन जिम के पुर्जे ठीक कराने के बाद वरिष्ठ नागरिकों की ओर से नगर आयुक्त को एक पत्र भेजा गया, जिसमें बताया गया कि वह काफी मशीनें व बच्चों के झूले को ठीक करा चुके हैं। कृपया आगे प्रयास करें कि पार्क की देखभाल हो सके। इनमें बैंक से सेवानिवृत्त एवं समाजसेवी जगमोहन मेंहदीरत्ता, अशोक अग्रवाल और अर्जुन सोनकर आदि शामिल हैं।
पार्क में शुल्क लगाने की मांग
गांधी पार्क में नियमित ओपन एयर जिम पर कसरत के लिए आने वाले दूनवासियों ने नगर निगम से निर्धारित शुल्क लगाने की मांग की है। अमन कुमार ने कहा कि यदि शुल्क लगेगा तो असामाजिक तत्व यहां पर नहीं आएंगे। शुल्क लगने से सुरक्षा कर्मियों की तैनाती का खर्च भी निकलेगा। यशपाल सिंह ने बताया कि वे कई वर्षों से पार्क की सैर पर आते हैं। उन्होंने नियमित आने वाले लोगों के लिए मासिक शुल्क पर पास जारी करने की मांग की। बता दें कि, गांधी पार्क में फिलहाल मुफ्त एंट्री है। किड्स पार्क की एंट्री पर ही फीस ली जाती है। दूनवासियों ने पार्क में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाने की मांग की।
पायलेट प्रोजेक्ट की दुर्दशा
नगर निगम के सभी 100 वार्डों में ऐसे ओपन जिम बनाने का दावा किया था ताकि मध्यम व निम्न वर्ग के लोग को भी सुविधा मिले। नगर निगम की ओर से इसके प्रयास भी किए गए, मगर पायलेट प्रोजेक्ट की इस दुर्दशा से निगम की कार्यशैली सवालों में है। गांधी पार्क में न तो सुरक्षा की व्यवस्था की गई थी, न प्रशिक्षक तैनात किए गए थे। मशीनों का रखरखाव भगवान भरोसे छोड़ दिया गया।
गांधी पार्क में ओपन जिम की सुरक्षा के लिए बंदोबस्त करने के निर्देश दिए गए थे। प्रशिक्षकों की तैनाती की जा रही है, जबकि मशीनों का रख-रखाव संबंधित कंपनी को करना था। कलपुर्जे गायब होने एवं मशीनों के खराब होने के मामले में निगम प्रशासन से रिपोर्ट मांगी गई है।
सुनील उनियाल गामा, महापौर
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