हैकिंग टेस्ट के बाद लॉन्च होगा ई-चालान सिस्टम
उत्तराखंड में ई-चालान सेवा शुरू करने से पहले पुलिस यह सुनिश्चित कर लेना चाहती है कि उसे किसी तरह से हैक तो नहीं किया जा सकता है।
जागरण संवाददाता, देहरादून:
उत्तराखंड में ई-चालान सेवा शुरू करने से पहले पुलिस यह सुनिश्चित कर लेना चाहती है कि उसे किसी तरह से हैक तो नहीं किया जा सकता है। इसके लिए ई-चालान की मशीनों को हैकिंग टेस्ट के लिए भेजा गया है। हैकिंग टेस्ट का जिम्मा एसटीएफ और देहरादून पुलिस के साइबर एक्सपर्ट को दिया गया है। हैकिंग टेस्ट पास होने के बाद मशीनों को फरवरी के मध्य तक लॉन्च कर दिया जाएगा।
उत्तराखंड में ई-चालान सेवा शुरू करने की तैयारी करीब तीन महीने से चल रही है। करीब 12 सौ हाईटेक ई-चालान मशीनों की आपूर्ति भी हो गई और इसे परिवहन, बैंक, पुलिस और एनआइसी से लिंक भी जा चुका है। ट्रायल सफल रहने के बाद पिछले सप्ताह इसे विधिवत लॉन्च करने के लिए पुलिस अधिकारियों की बैठक में यह मुद्दा उठा कि ई-चालान मशीनें क्या साइबर हैकरों की पहुंच से दूर हैं। क्या इन्हें हैक नहीं किया जा सकता है? सूत्रों की मानें तो इस पर पुलिस महानिदेशक अनिल के रतूड़ी ने निर्देश दिया कि पहले मशीनों का हैकिंग टेस्ट कराया जाए। मशीनें टेस्ट में पास हो जाएं, तभी इस सेवा को शुरू किया जाएगा। ई-चालान शुरू करने वाला होगा पहला राज्य
ई-चालान की सेवा वैसे तो देश के कई राज्यों के प्रमुख शहरों में लागू है। यातायात निदेशक केवल खुराना ने बताया कि अन्य राज्यों में यह सेवा चरणवार तरीके से शुरू की गई, लेकिन हमने अपने राज्य की जरूरत के अनुरूप मशीनें मंगा ली हैं और राज्य के सभी 13 जिलों में एक साथ लागू किया जाएगा। दूसरे चरण में बटेंगी 12 सौ मशीनें
ई-चालान सेवा के लांचिंग के समय मौजूद 12 सौ मशीनों का वितरण किया जाएगा। प्रयोग के पूरी तरफ सफल होने के तीन महीने बाद दूसरे चरण में फिर से 12 सौ मशीनों का वितरण किया जाएगा। निदेशालय का लक्ष्य है कि चालान का अधिकार रखने वाले सभी पुलिसकर्मियों को ई-चालान मशीनों से लैस कर दिया जाए। ई-चालान मशीनें पूरी तरह से सुरक्षित हैं, लेकिन साइबर क्राइम के खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इसे देखते हुए मशीनों का हैकिंग टेस्ट कराने का निर्णय लिया गया है।
केवल खुराना, निदेशक यातायात