एफएसआई ने अपग्रेड किया यह सिस्टम, आसान हुआ जंगल में आग पर काबू पाना
भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) देहरादून ने फॉरेस्ट फायर अलर्ट सिस्टम को अपग्रेड किया है। इस ऑटोमैटिक सिस्टम के जरिये जंगलों में आग से संबंधित अलर्ट वन महकमों तक तुरंत पहुंच रहा है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: देशभर में जंगलों में लगने वाली आग से परेशान वन महकमों के लिए राहतभरी खबर है। भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) देहरादून ने फॉरेस्ट फायर अलर्ट सिस्टम को अपग्रेड किया है। अब इसका वर्जन 2.0 जारी किया गया है। पूरी तरह से ऑटोमैटिक इस सिस्टम के जरिये जंगलों में आग से संबंधित अलर्ट राज्यों के वन महकमों के कार्मिकों तक भी तुरंत पहुंच रहा है। एफएसआइ के महानिदेशक डॉ. शैवाल दासगुप्ता के अनुसार सिस्टम इस प्रकार विकसित किया गया है, जिससे रात में भी फायर अलर्ट जारी हो रहा है।
अग्निकाल यानी 15 फरवरी से 15 जून तक का वक्फा वनों की आग से सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना जाता है। इस दरम्यान हर साल ही बड़े पैमाने पर वन संपदा आग की भेंट चढ़ जाती है। पिछले साल ही देशभर में जंगलों में आग की 33664 घटनाएं हुई थी। इसे देखते हुए एक सशक्त फायर अलर्ट सिस्टम पर जोर दिया जा रहा था।
हालांकि, जंगल की आग पर काबू पाने के मद्देनजर अलर्ट जारी करने की अहम भूमिका को देखते हुए एफएसआइ ने वर्ष 2016 से प्री वार्निंग अलर्ट भेजने का काम भी शुरू कर दिया था। अब फायर अलर्ट सिस्टम को पूरी तरह नए कलेवर में पेश किया गया है।
डॉ. दासगुप्ता के अनुसार फॉरेस्ट फायर अलर्ट सिस्टम वर्जन 2.0 के माध्यम से लगातार और पहले से कहीं अधिक जल्दी अलर्ट जारी किए जा रहे हैं। इससे देश के विभिन्न राज्यों में वन विभाग को आग पर काबू पाने में मदद मिल रही है। यह सिस्टम पूरी तरह ऑटोमैटिक है।
उन्होंने बताया कि इससे जहां पहले कम से कम एक वर्ग किलोमीटर हिस्से पर ही आग की घटना पकड़ में आ पाती थी, अब महज 275 वर्गमीटर क्षेत्रफल में लगी आग को भी रिकॉर्ड किया जा रहा है। साथ ही रात के समय भी आग की घटनाओं की सटीक जानकारी देने में नई तकनीक अधिक कारगर हो रही है।
एफएसआइ की कोशिश है कि अधिक से अधिक लोग इस सिस्टम से जुड़ें, ताकि अलर्ट का मैसेज उनके मोबाइल पर आते ही वनों को आग से बचाने में मदद मिल सके।
हर दो हफ्ते में प्री वार्निंग अलर्ट
डॉ. दासगुप्ता बताते हैं कि जंगल की आग को लेकर प्री वार्निंग अलर्ट भी हर दो हफ्ते में जारी किए जा रहे हैं। यह अलर्ट 2004 से 2017 के मध्य आग की घटनाओं के साथ ही मौसम पूर्वानुमान के मद्देनजर दैनिक आद्र्रता, अधिकतम तापमान, वर्षा, पूर्व व वर्तमान की स्थिति पर केंद्रित है।
इसके तहत ऐसे वन क्षेत्रों को चिह्नित किया जा रहा है, जहां आग लगने की संभावना हो सकती है। उन्होंने कहा कि इस पहल से संबंधित वन क्षेत्रों की स्थिति का आकलन कर प्रबंधन संबंधी कार्यों में तेजी आएगी। जिस प्रकार से इस बार मौसम विभाग ने गर्मी बढऩे की संभावना जताई है उससे वन क्षेत्रों में आग लगने की आशंका भी बढ़ गई है। इन परिस्थितियों में यह नया अलर्ट सिस्टम काफी कारगर साबित हो सकता है।
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