Earthquake in Uttarakhand: रुद्रप्रयाग में भूकंप के झटके महसूस, पवालीकांठा के पास रहा केंद्र
Earthquake in Uttarakhand रुद्रप्रयाग जिले में मामूली रूप से भूकंप के झटके महसूस हुए हैं जिसकी रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 3.3 मापी गई है। भूकंप से किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं है। टिहरी और रुद्रप्रयाग जिले से सटे क्षेत्र में भूकंप का केंद्र रहा।
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग। Earthquake in Uttarakhand रुदप्रयाग में एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र रुद्रप्रयाग और टिहरी जिले की सीमा पर पंवालीकांठा नामक स्थान पर बताया जा रहा है और रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 3.3 मापी गई। जिला आपदा प्रबंधन केंद्र के अनुसार जिले में किसी प्रकार के नुकसान की सूचना नहीं है।
उत्तराखंड में रुक-रुक कर भूकंप का सिलसिला बना हुआ है। प्रदेश में जनवरी से अब तक 10 बार धरती डोल चुकी है। एक सप्ताह में यह दूसरा मौका है, जब भूकंप के झटके महसूस किए गए। इससे पहले 11 सितंबर को भी भूकंप दर्ज किया गया था। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 4.4 थी। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एनएस रजवाल ने बताया कि जिले में दोपहर बाद 12.21 बजे झटके महसूस किए गए। हालांकि ये बेहद हल्के थे।
उत्तराखंड राज्य भूकंप के लिहाज से बहुत ही संवेदनशील राज्य है। यहां बीते कुछ महीनों में कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। रविवार दोपहर में भी रुद्रप्रयाग जिले में भूकंप के झटके महसूस हुए हैं। अगर इसी माह की बात करें तो 11 सितंबर को चमोली जिले में भी भूकंप आया था, जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.7 मापी गई और इसका केंद्र चमोली जिले में जोशीमठ के पास पांच किलोमीटर की गहराई में था। इससे किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ। आपको बता दें कि इस साल जनवरी से अब तक उत्तराखंड में नौ बार धरती डोल चुकी है।
उत्तराखंड में जनवरी से अब तक सबसे ज्यादा छह बार भकूंप का केंद्र गढ़वाल मंडल में रहा है। वहीं, बात कुमाऊं गढ़वाल की करें तो यह आंकड़ा करीब दो बार ही रहा। इसके अलावा एक बार भूकंप का केंद्र नेपाल और एक बार तजाकस्तान में दर्ज किया गया था।
आखिर क्या है बार-बार भूकंप आने की वजह, आप भी जानिए
आपको बताते हैं कि आखिर बार-बार भूकंप आने की क्या वजह है। दरअसल, पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स होती हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। इस दौरान जब बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं और नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं। इससे डिस्टर्बेंस होना शुरू होता है।
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