Move to Jagran APP

बेहद सुस्त रफ्तार से आगे बढ़ रही ई-प्रिजन योजना

केंद्र सरकार के निर्देश के बावजूद उत्तराखंड में ई-प्रिजन योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है। अभी तक जेलों में कैदियों के रिकॉर्ड कंप्यूटर में फीड नहीं हो पाए हैं जबकि पहले इन्हें मई तक केंद्रीय सर्वर से जोड़कर ऑनलाइन किया जाने का दावा था।

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Jul 2019 03:00 AM (IST)Updated: Fri, 19 Jul 2019 06:34 AM (IST)
बेहद सुस्त रफ्तार से आगे बढ़ रही ई-प्रिजन योजना
बेहद सुस्त रफ्तार से आगे बढ़ रही ई-प्रिजन योजना

राज्य ब्यूरो, देहरादून: केंद्र सरकार के निर्देश के बावजूद उत्तराखंड में ई-प्रिजन योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है। अभी तक जेलों में कैदियों के रिकॉर्ड कंप्यूटर में फीड नहीं हो पाए हैं, जबकि पहले इन्हें मई तक केंद्रीय सर्वर से जोड़कर ऑनलाइन किया जाने का दावा था। कारागार प्रशासन का कहना है कि सभी जेलों में कंप्यूटर खरीद के साथ ही डाटा फीडिंग का काम शुरू हो गया है और अगले एक माह में इसे ऑनलाइन कर दिया जाएगा।

loksabha election banner

केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 में सभी प्रदेशों में ई-प्रिजन योजना लागू करने का निर्णय लिया था। इस योजना का मकसद सभी कैदियों का रिकॉर्ड डिजिटाइज्ड करने के साथ ही इसे ऑनलाइन भी करना था। दरअसल, प्रदेश में इस समय कैदियों का रिकार्ड फाइलों में रखा जाता है। कैदी के दूसरे जेल में ट्रांसफर किए जाने के दौरान ये फाइलें कभी साथ भेजी जाती हैं तो कभी बंद हो जाती हैं। इससे कैदियों के पूरे रिकार्ड सहेजने में खासी परेशानी आती है। इससे कई बार अपराधियों की जेलों में बिताई गई अवधि के दस्तावेज पूरे नहीं मिल पाते। इस समस्या को देखते हुए कुछ समय पूर्व केंद्र सरकार ने ई-प्रिजन व्यवस्था लागू करने के निर्देश दिए थे। इसके तहत सभी अपराधियों के डाटा का कंप्यूटरीकरण कर ऑनलाइन किया जाना है। इसमें अपराधी की जेल में बिताई हुई अवधि, उस पर दर्ज मुकदमें, धाराएं आदि की सूचनाएं शामिल हैं। मकसद यह कि किसी भी अपराधी का नाम कंप्यूटर पर फीड करते ही एक क्लिक पर उसकी पूरी जानकारी स्क्रीन पर देखी जा सके। इसके साथ ही कैदियों की ऑनलाइन पेशी को भी इसमें शामिल किया गया है।

इस योजना का 90 प्रतिशत अंश केंद्र सरकार व 10 प्रतिशत प्रदेश सरकार ने देना है। सरकार की मंशा प्रदेश के सभी सात जिला कारागार, एक सेंट्रल जेल, एक खुली जेल व दो उप जेल में इस योजना को शुरू करने की थी। इसके लिए वर्ष 2018-19 और 2019-20 के बजट में बाकायदा प्रावधान किया गया। बावजूद इसके यह योजना बेहद ही धीमी गति से आगे बढ़ रही है। केवल देहरादून जेल में ही रिकॉर्ड काफी हद तक डिजिटाइज्ड हो पाए हैं और यहां से कुछ मामलों में ऑनलाइन पेशी भी की गई है।

इस संबंध में महानिरीक्षक जेल डॉ. पीवीके प्रसाद का कहना है कि सभी जेलों के लिए कंप्यूटर खरीद की प्रक्रिया कर ली गई है। इनमें डाटा फीडिंग का काम भी शुरू कर दिया गया है। अगले एक माह में इसे नेशनल सर्वर से जोड़ कर ऑनलाइन कर दिया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.