बाल आयोग ने नियमों की अनदेखी करने पर दून स्कूल के हेडमास्टर को किया तलब
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने द दून स्कूल के हेडमास्टर को तलब किया है। उन्हें 25 जून को आयोग में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखना होगा।
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने द दून स्कूल के हेडमास्टर को तलब किया है। उन्हें 25 जून को आयोग में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखना होगा। आयोग का कहना है कि स्कूल ने शिक्षा विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया है। यह नियमों के खिलाफ है। बिना एनओसी सीआइएससीई बोर्ड से मान्यता का आधार क्या है इस पर स्कूल से स्पष्टीकरण मांगा गया है।
बता दें, शिक्षा विभाग ने एक आरटीआइ के जवाब में बताया था कि द दून स्कूल को माध्यमिक शिक्षा अनुभाग से कोई एनओसी प्रदान नहीं की गई है। रेसकोर्स निवासी जगमीत सिंह की शिकायत पर बाल आयोग ने मुख्य शिक्षाधिकारी को मामले की जांच कर रिपोर्ट तलब की थी। द दून स्कूल से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाधी समेत कई वीआइपी पढ़ाई कर चुके हैं। कई प्रतिष्ठित घरानों के बच्चे अभी यहां अध्ययनरत भी हैं। आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि विद्यालय का चैरिटेबल एक्ट के तहत आयकर की धारा 1961 के अंतर्गत 12-ए में पंजीकरण कराया गया है। ऐसे में विद्यालय प्रबंधन आयकर विभाग द्वारा प्रदत्त 12-ए पंजीकरण प्रमाण पत्र व तीन वर्ष का लेखा-जोखा भी उपलब्ध कराए।
स्कूल के यह कहने पर कि वह केंद्र व राज्य सरकार से किसी भी प्रकार की सहायता नहीं ले रहा को आयोग ने गलत ठहराया है। आयोग का कहना हैकि स्कूल ने भवन कर, परिवहन विभाग से स्कूल बसों पर कर में छूट एवं बिजली-पानी आदि की भी छूट ली हुई है। इसके अलावा विद्यालय की स्थापना को भी विभिन्न माध्यम से धनराशि प्राप्त की है। स्कूल के यह कहने पर कि वह आरटीआइ के अंतर्गत नहीं आते पर भी आयोग ने सख्त रुख अपनाया है। कहा कि कोई भी सूचना इस अधिनियम के तहत नहीं मांगी गई है। आयोग में स्कूल के खिलाफ मामला है और वह इसमें पक्षकार है। वहीं सोसायटी एक्ट-1860 के नए प्रावधानों के अनुसार प्रत्येक संस्था को लोक सूचना अधिकारी नियुक्त करना भी अनिवार्य है।
प्रधानाचार्य पर छात्र के उत्पीड़न का आरोप
सेंट जॉर्ज स्कूल (मसूरी) के प्रधानाचार्य के खिलाफ अभिभावक की ओर से बाल आयोग में शिकायत दी गई है। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके बच्चे को दीपावली व होली पर अवकाश न देने पर जब आपत्ति जताई गई तो प्रधानाचार्य ने तरह-तरह से मानसिक उत्पीडऩ शुरू कर दिया। इसके बाद छात्र को बिना कारण के निष्कासित भी किया। आयोग ने शिकायत का संज्ञान लेते हुए प्रधानाचार्य को आयोग में तलब किया है।
बाल आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने बताया कि अभिभावक ने प्रधानाचार्य पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। इनमें बच्चे को डांटना, नवरात्र पर मांस का सेवन करने को बाध्य करना भी शामिल है।
यह भी आरोप है कि छात्र को सजा के रूप में कब्रिस्तान में बैठने को कहा जाता था। स्कूल प्रबंधन की ओर से दीपावली व होली का अवकाश नहीं दिया जाता था, इसका उन्होंने विरोध किया था। इसके बाद से ही स्कूल प्रबंधन का छात्र के प्रति रवैये में पूरी तरह बदलाव आता चला गया। बताया कि आयोग ने शिकायत को गंभीरता से लिया है। प्रधानाचार्य को इस संबंध में पक्ष रखने को आयोग में बुलाया गया है, ताकि आरोपों की जांच की जा सके।
सेंट जोजेफ्स से भी मांगा जवाब
आयोग की ओर से सेंट जोजेफ्स एकेडमी से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है। आयोग ने बताया कि सेंट जोजेफ्स एकेडमी का सोसायटी/ट्रस्ट के रूप में पंजीकरण है। इस पर स्कूल से सोसायटी/ट्रस्ट के उद्देश्यों एवं नियमों का पालन करने को लेकर जानकारी मांगी गई है।
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