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उत्तराखंड में निगरानी के अभाव में फल-फूल रहे दवा के धंधेबाज, जानिए कब-कब पकड़े मामले

उत्तराखंड में नकली और घटिया दवाओं के धंधेबाज अपने पैर जमाते जा रहे हैं। रुड़की और आसपास के क्षेत्र इस काले कारोबार के गढ़ बन चुके हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 24 Aug 2020 05:10 PM (IST)Updated: Mon, 24 Aug 2020 05:10 PM (IST)
उत्तराखंड में निगरानी के अभाव में फल-फूल रहे दवा के धंधेबाज, जानिए कब-कब पकड़े मामले
उत्तराखंड में निगरानी के अभाव में फल-फूल रहे दवा के धंधेबाज, जानिए कब-कब पकड़े मामले

देहरादून, जेएनएन। नकली और घटिया दवाओं के धंधेबाज उत्तराखंड में अपने पैर जमाते जा रहे हैं। रुड़की और आसपास के क्षेत्र इस काले कारोबार के गढ़ बन चुके हैं। यहां लगातार इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं। जिन पर औषधि नियंत्रण विभाग लगाम नहीं लगा पा रहा है। गत वर्ष उत्तर प्रदेश के खाद्य और औषधि प्रसाधन विभाग ने एक डाटा जारी किया था। जिसमें कहा गया था कि उप्र में दो साल में पकड़े गए नकली और घटिया दवा के कुल 492 मामलों में सर्वाधिक 162 मामले उत्तराखंड की कंपनियों के थे, लेकिन अधिकारी यह कहकर कन्नी काट गए कि ज्यादातर मामले मिस ब्रांडिंग के हैं। इसके बाद भी जिस तरह से नकली दवाओं का कारोबार बढ़ा है, उसने पूरे सिस्टम पर प्रश्न चिह्न लगा दिया है।

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यह कहना गलत नहीं होगा कि निगरानी के अभाव में उत्तराखंड में नकली दवा के 'धंधेबाज' फल-फूल रहे हैं। रुड़की और भगवानपुर में चार साल के भीतर नकली दवा मामले में सात बड़ी कार्रवाई हुई हैं। जिसमें लगभग सात करोड़ की नकली दवाएं पकड़ी जा चुकी हैं। इनमें ज्यादातर कार्रवाई उप्र, राजस्थान व अन्य राज्यों की टीमों ने कीं। साथ ही केंद्रीय औषधि नियंत्रण विभाग भी नकली दवा बनाने के मामले पकड़ चुका है।

स्टाफ की कमी से जूझ रहा विभाग

नकली दवा के कारोबार पर सरकारी तंत्र लगाम नहीं लगा पा रहा है। इसका एक कारण संसाधनों की कमी भी है। स्थिति ये है कि पर्याप्त ड्रग इंस्पेक्टर न होने के कारण विभाग नियमित कामकाज को भी ठीक ढंग से अंजाम नहीं दे पा रहा है। 200 मेडिकल स्टोर और 50 फार्मा कंपनियों पर एक ड्रग इंस्पेक्टर का मानक है। जबकि, सूबे में इनकी संख्या महज नौ है। जिनके पास लाइसेंस, फार्मा कंपनियों में निरीक्षण, सैंपलिंग समेत न्यायालय संबंधी काम भी हैं। ड्रग इंस्पेक्टर के 33 पदों  पर भर्ती होनी है, पर देखना यह है कि इस पर अमल कब तक होता है।

औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी का कहना है कि यह कहना गलत होगा कि नकली दवा के कारोबारियों पर कार्रवाई नहीं हुई है। लगातार मामले पकड़े गए हैं, जिन पर कोर्ट में सुनवाई चल रही है। जहां तक स्टाफ की कमी की बात है, यह समस्या भी जल्द दूर हो जाएगी।

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कब-कब पकड़े मामले

- 22 अगस्त को माधोपुर में वीआर फार्मा कंपनी से औषधि नियंत्रण विभाग की टीम ने छापा मारकर करीब 2 करोड़ रुपये कीमत की नकली दवाएं बरामद कीं।

- 27 जून को औषधि नियंत्रण विभाग की टीम छापा मारकर पांच लाख की नकली दवाएं बरामद की थीं।

- 2 मार्च को चुड़ियाला स्थित फैक्ट्री में छापा मारकर 25 लाख कीमत की नकली दवाएं बरामद की गईं।

- 11 जुलाई, 2019 को सुनहटी आलापुर स्थित एक दवा कंपनी में बड़े स्तर पर अनियमितताएं पाई गईं।

- 20 सितंबर, 2018 को मोहनपुरा में औषधि नियंत्रण विभाग की टीम ने छापा मारकर तीन को गिरफ्तार किया और 13 पेटी नकली दवाएं बरामद कीं।

- 8 सितंबर, 2018 को अमरोहा (उत्तर प्रदेश) की औषधि नियंत्रण विभाग की टीम ने सलेमपुर में छापा मारकर दवा की दो फैक्ट्री और दो गोदाम पकड़े थे। यहां से करीब तीन करोड़ की नकली दवाएं और मशीनें बरामद की गई थीं।

- 21 अगस्त, 2017 को भगवानपुर के मक्खनपुर स्थित एक कंपनी से नकली दवाओं की 50 पेटी बरामद की गई थीं। राजस्थान औषधि नियंत्रण विभाग की ओर से यह कार्रवाई की गई थी। 

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