उत्तराखंड के 900 बस्तियों में गहरा सकता है पेयजल संकट
पारे की उछाल के साथ ही उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों विशेषकर पर्वतीय इलाकों में पेयजल किल्लत की समस्या सिर उठाने लगी है। इस दृष्टिकोण से उत्तराखंड जल संस्थान ने प्रदेश के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में करीब नौ सौ बस्तियां (आबादी वाले क्षेत्र) चिह्नित की हैं।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: पारे की उछाल के साथ ही उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों, विशेषकर पर्वतीय इलाकों में पेयजल किल्लत की समस्या सिर उठाने लगी है। इस दृष्टिकोण से उत्तराखंड जल संस्थान ने प्रदेश के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में करीब नौ सौ बस्तियां (आबादी वाले क्षेत्र) चिह्नित की हैं, जहां पानी का संकट गहरा सकता है। हालांकि, सरकार ने स्थिति से निबटने के लिए पेयजल महकमे के साथ ही सभी जिलों के जिलाधिकारियों को तत्पर रहने के निर्देश दिए हैं। पेयजल की वैकल्पिक उपलब्धता के लिए कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। इसके तहत प्रदेशभर में 200 टैंकरों की व्यवस्था की गई है। सड़क सुविधा से अछूते दूरस्थ क्षेत्रों के अभावग्रस्त गांवों में खच्चरों के माध्यम से भी पानी भिजवाने के निर्देश दिए गए हैं।
इस मर्तबा सर्दियों में बारिश व बर्फबारी कम होने और वर्तमान में भी इंद्रदेव के रूठे रहने का असर राज्य में पेयजल संकट के रूप में सामने आने लगा है। जल स्रोतों के सूखने अथवा इनमें पानी का स्तर बेहद कम होने के कारण पर्वतीय जिलों में दिक्कत ज्यादा होने लगी है। ऐसे में चिंता भी अधिक बढ़ गई है। हालांकि, हालात से निबटने के लिए सरकार के निर्देश पर जल संस्थान ने कार्ययोजना तैयार कर ली है। पेयजल संकट की दृष्टि से बेहद संवेदनशील 900 बस्तियों में पानी का संकट न गहराए, इसके लिए संस्थान के पास उपलब्ध सभी टैंकरों के अलावा 200 अतिरिक्त टैंकरों की व्यवस्था अब तक कर ली गई है। जरूरत पडऩे पर इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी।
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड के जंगलों में बेकाबू हुई आग, गृहमंत्री ने दो हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराने के दिए निर्देश
यही नहीं, राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में ऐसे तमाम गांव अथवा बस्तियां हैं, जो सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाए हैं। वहां पहुंचने के लिए आज भी कई-कई किमी की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। ऐसे क्षेत्रों के लिए भी रणनीति बनाई गई है और वहां जिला प्रशासन के सहयोग से खच्चरों के माध्यम से कनस्तरों से जलापूर्ति की जाएगी। इसके साथ ही जलस्रोतों के संरक्षण पर भी खास ध्यान केंद्रित करने की योजना बनाई गई है।
यह भी पढ़ें- नए बजट से पहले पीएलए में जमा धन होगा खर्च, पढ़िए पूरी खबर
पेयजल मंत्री बिशन सिंह चुफाल का कहना है कि इस बार बारिश, बर्फबारी न होने का असर जलस्रोतों पर भी पड़ा है। ऐसे में आसन्न पेयजल संकट से निबटने के मद्देनजर सरकार ने सभी तैयारियां कर ली हैं। प्रभावित क्षेत्रों व बस्तियों को जलापूर्ति के लिए वैकल्पिक इंतजाम किए गए हैं। टैंकरों व खच्चरों से भी जलापूर्ति कराने की रणनीति तैयार की गई है।
यह भी पढ़ें-घातक हो सकते हैं आपके खर्राटे, जानिए क्या कहते हैं डॉक्टर
Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें