Move to Jagran APP

हंसी को पसंद आया हरिद्वार महापौर से मिला आवास का प्रस्ताव, भरी हामी; ऐसे आईं सुर्खियों में

हंसी प्रहरी ने महापौर अनीता शर्मा के आवास के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। महापौर ने हंसी के सामने पांडेवाला में इकोनॉमिक वीकर सेक्शन के लिए बनाए गए आवासों में से एक आवास रहने के लिए देने का प्रस्ताव रखा था।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 02:13 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 10:31 PM (IST)
हंसी को पसंद आया हरिद्वार महापौर से मिला आवास का प्रस्ताव, भरी हामी; ऐसे आईं सुर्खियों में
हंसी को पसंद आया हरिद्वार महापौर से मिला आवास का प्रस्ताव, भरी हामी।

हरिद्वार, जेएनएन। हंसी प्रहरी ने महापौर अनीता शर्मा के आवास के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। महापौर ने हंसी के सामने पांडेवाला में इकोनॉमिक वीकर सेक्शन के लिए बनाए गए आवासों में से एक आवास रहने के लिए देने का प्रस्ताव रखा था। रोडवेज बस अड्डे पर दैनिक जागरण से बातचीत में हंसी ने बताया कि उनके पास कई स्वयंसेवी संगठनों के अलावा सरकार से भी आवास के लिए कई प्रस्ताव आए, लेकिन उसमें सबसे अच्छा प्रस्ताव महापौर का लगा। 

loksabha election banner

डबल एमए कर चुकी हंसी प्रहरी ने आखिरकार हरिद्वार महापौर अनीता शर्मा से मिले आवास के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। हंसी का ये भी कहना है कि अगर उन्हें महापौर के स्तर से स्थाई तौर पर आवास आवंटित हो जाता है तो वह उसे सहर्ष स्वीकार करें लेंगी। इस संबंध में संवाददाता के फोन के माध्यम से हंसी की महापौर अनीता शर्मा से बात हुई, जिस पर महापौर ने उन्हें लेने के लिए अपने निजी सहायक को गाड़ी के साथ बस अड्डे पर भेजा। 

जानिए कौन है हंसी प्रहरी 

हंसी छात्र जीवन में कुशल वक्ता और छात्र राजनीति में सक्रिय रहते हुए कुमाऊं विश्वविद्यालय के अल्मोड़ा परिसर में छात्रसंघ उपाध्यक्ष भी चुनी गई। पर इसे नियति का खेल ही कहेंगे कि अंग्रेजी और राजनीति शास्त्र में एमए डिग्रीधारी ये महिला आज हरिद्वार की सड़कों पर भीख मांग अपना और बच्चे का गुजारा करने को मजबूर हैं। पर हौसले अब भी मजबूत हैं। वो अपने बच्चे को पढ़ा भी रही हैं और अफसर बनाने के सपने बुन रही हैं। 

ऐसे आईं चर्चाओं में 

हरिद्वार में हंसी की ओर मीडिया का ध्यान बीते रविवार को तब गया, जब वह सड़क किनारे अपने छह साल के बेटे को पढ़ा रही थी। उसकी फर्राटेदार अंग्रेजी हर राहगुजर को हतप्रभ कर देने वाली थी। हंसी बताती है कि ससुराल की कलह से परेशान होकर वर्ष 2008 में वह लखनऊ से हरिद्वार चली आई। यहां शारीरिक रूप से कमजोर होने के कारण वह नौकरी नहीं कर पाई और रेलवे स्टेशन, बस अड्डा आदि स्थानों पर भीख मांगने लगी। इस हाल में भी हंसी की हिम्मत डिगी नहीं है, वह बेटे को पढ़ा रही है और चाहती है कि वह प्रशासनिक अधिकारी बने। 

यह भी पढ़ें: भीख मांग गुजारा करने को मजबूर हंसी के आगे नहीं चली भाई की जिद, उनके साथ जाने से किया इनकार

अल्मोड़ा के हवालाबाग ब्लॉक की हैं रहने वाली 

हंसी अल्मोड़ा जिले के हवालबाग ब्लॉक स्थित ग्राम रणखिला गांव की रहने वाली हैं। वो पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं और उनकी इंटर तक की शिक्षा गांव में ही हुई। इसके बाद उन्होंने कुमाऊं विश्वविद्यालय के अल्मोड़ा परिसर में प्रवेश ले लिया। पढ़ाई के साथ-साथ वह विवि की तमाम शैक्षणिक गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थी। पर अब इसे  नियति का खेल ही कहेंगे कि इस होनहार महिला को हरिद्वार में सड़क पर भीख मांग कर अपना और बच्चे का गुजारा करना पड़ा। 

यह भी पढ़ें: कभी कुमाऊं विश्वविद्यालय में लाइब्रेरियन रही, अब हरिद्वार में भीख मांगने को मजबूर; प्रशासन करेगा मदद


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.